NEP : कैसे हो 3 से 11 साल तक के बच्चों की पढ़ाई, CBSE ने भाषा को लेकर जारी की गाइडलाइन, स्कूल हर माह देंगे रिपोर्ट
सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे मई अंत तक विद्यालय में एक समिति बनाएंगे जो एनसीएफ लागू करने पर काम करेगी। इसे शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू करने को कहा गया है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के तहत 3 से 11 साल तक के बच्चों की पढ़ाई की भाषा को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें सभी स्कूलों से कहा गया है कि वे शैक्षणिक सत्र 2025-26 से बच्चों की पठन पाठन की भाषा को लेकर एनसीएफ में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें। सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे मई अंत तक विद्यालय में एक समिति बनाएंगे जो एनसीएफ लागू करने पर काम करेगी। समिति छात्रों की मातृभाषा, संसाधन और करिकुलम का कार्य करेगी। यह समिति छात्रों की भाषाई जरूरतों का आकलन करेगी और भाषा शिक्षण सामग्री तैयार करवाएगी। नई गाइडलाइन का मकसद सभी छात्रों को उनकी मातृभाषा में मजबूत आधार देना है।
नई गाइडलाइन में शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के अलावा यह भी कहा गया है कि स्कूल जुलाई माह से हर महीने की पांच तारीख तक एनसीएफ लागू करने की स्टेट रिपोर्ट बोर्ड को भेजेंगे। रिपोर्ट को लेकर बोर्ड ने एक लिंक भी जारी किया है।
गर्मियों की छुट्टी के अंत तक करिकुलम करें तैयार
सीबीएसई ने कहा कि गर्मियों की छुट्टी के अंत तक विद्यालयों को पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री को तैयार कर लेना चाहिए ताकि R1 लेंग्वेज का इस्तेमाल मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन (दिशानिर्देशों की भाषा) के रूप में किया जा सके। साथ ही सही समय पर बच्चों को R2 लेंग्वेज से रूबरू कराया जा सके। इनके लागू किए जाने से पहले शिक्षक को ट्रेनिंग व वर्कशॉप भी पूरी की जानी चाहिए। ट्रेनिंग में बहुभाषी शिक्षण, क्लासरूम स्ट्रेटिजी और भाषा मूल्यांकन पर फोकस किया जाना चाहिए।
जुलाई 2025 से लागू करें
सीबीएसई ने स्कूलों से कहा है कि वे गाइडलाइन को जुलाई 2025 से लागू करें। स्कूल बदलाव (संसाधनों की खरीद, शिक्षक या सिलेबस का नया रूप देना) के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय भी ले सकते हैं। हालांकि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि लागू करने में ज्यादा देरी न हो।
एनसीएफ में क्या हैं निर्देश
आपको बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को लागू करने के लिए सरकार ने एनसीएफ पेश किया था। एनसीएफ में स्कूल करिकुलम को चार हिस्सों में बांटा है - फाउंडेशन स्टेज (उम्र 3 से 8 साल), प्रीपेरेटरी स्टेज (उम्र 8 से 11 साल), मिडिल स्टेज (उम्र 11 से 14 साल), सेकेंडरी स्टेज (उम्र 14 से 18 साल),। सीबीएसई की ताजा गाइडलाइन फाउंडेशन व प्रीपेरेटरी स्टेज को लेकर जारी की गई है। एनसीएफ के मुताबिक फाउंडेशन स्टेज में बच्चों को उसकी मातृभाषा में ही दिशानिर्देश दिए जाएंगे।
खास बातें
- एनसीएफ में R1 को मातृभाषा और R2 को दूसरी भाषा के रूप में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
- फाउंडेशन स्टेज (प्री प्राइमरी से दूसरी क्लास तक , उम्र 3-8) में R1 लेंग्वेज और R2
लेंग्वेज पढ़ाई जाए।
- एनसीएफ में इस बात पर जोर दिया गाय है कि स्कूलों में पढ़ाई लिखाई की पहली भाषा (आर1) छात्र की मातृभाषा या क्षेत्रीय/राज्य भाषा होनी चाहिए। जब तक किसी अन्य भाषा में बुनियादी साक्षरता हासिल न हो जाए तब तक आर1 को ही शिक्षण के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।
- बालवाटिका स्टेज के लिए स्कूल खेल आधारित और एक्टिविटी बेस्ड चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे जादुई पिटारा और ई-जादुई पिटारा का उपयोग कर सकते हैं, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। कक्षा 1 और 2 के लिए एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित की हैं जो हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। ये पुस्तकें ncert.nic.in/textbook.php पर अन्य भाषाओं में भी डिजिटल रूप में उपलब्ध हैं।
देखें सीबीएसई का पूरा सर्कुलर
प्रीपेरेटरी स्टेज (ग्रेड 3-5; आयु 8-11)
प्रीपेरेटरी स्टेज में छात्र R1 में पढ़ाई जारी रख सकते हैं। बच्चे आर1 में सभी चीजें समझना शुरू करते हैं इसलिए सभी विषयों में इसी भाषा में शिक्षण होना चाहिए कम से कम तब तक जब तक कि किसी अन्य भाषा की जानकारी न हो जाए।