How Shubman gill rose to Fame untold story of Family struggle and sacrifice परिवार ने शादियों तक में जाना छोड़ दिया, गिल ऐसे बने स्टार; नए टेस्ट कप्तान की अनसुनी कहानी, Cricket Hindi News - Hindustan
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परिवार ने शादियों तक में जाना छोड़ दिया, गिल ऐसे बने स्टार; नए टेस्ट कप्तान की अनसुनी कहानी

गिल की कहानी अनुशासन, समर्पण और दृढ़ संकल्प का पालन करने के बारे में ही है। शुभमन के खेल में भटकने से रोकने के लिए परिवार कई वर्षों तक अपने ‘कम्फर्ट जोन’ से दूर रहा। इसके साथ ही उसने पारिवारिक समारोहों से दूर रहने का फैसला किया।

भाषा नई दिल्लीSat, 24 May 2025 06:41 PM
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परिवार ने शादियों तक में जाना छोड़ दिया, गिल ऐसे बने स्टार; नए टेस्ट कप्तान की अनसुनी कहानी

शुभमन गिल 20 जून को जब सफेद टी-शर्ट के ऊपर नीले (नेवी ब्लू) रंग के कोट में इंग्लैंड के लीड्स मैदान पर टॉस के लिए उतरेंगे तो उनके पिता लखविंदर सिंह गिल और दादा दीदार सिंह का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा क्योंकि उन्हें वर्षों की मेहनत का सुखद फल मिलेगा। लखविंदर ने जब शुभमन के क्रिकेट कौशल को देखकर भारत और पाकिस्तान की सीमा से महज 10 किलोमीटर दूर पंजाब के फाजिल्का जिले के अपने गांव चाख खेरा वाला से मोहाली जाने का फैसला किया तो उनके पास कोई दूसरी योजना नहीं थी। शुभमन उस समय नौ साल के थे। उन्होंने उस उम्र तक सिर्फ एक ही ‘खिलौना’ खेला था और वह था उनके दादा से मिला बल्ला।

अनुशासन और समर्पण की कहानी
गिल की कहानी अनुशासन, समर्पण और दृढ़ संकल्प का पालन करने के बारे में ही है। इसके साथ ही यह एक ऐसे ही पिता की कहानी है जो अपने बेटे को भारतीय टीम में पहुंचाने के लिह कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। शुभमन इंग्लैंड दौरे पर जब भारतीय टीम की अगुवाई करेंगे तो यह लखविंदर के पिछले 16 साल की मेहनत का परिणाम होगा। यह जरूरी नहीं कि खेल से जुड़ी सभी कहानियां सहानुभूति भरी हों। वे जज्बे, उत्कृष्टता के प्रति जुनून और वर्षों तक एक परिवार के रूप में किए गए त्याग की कहानियां भी हो सकती हैं।

शादी तक में नहीं गए घरवाले
शुभमन के खेल में भटकने से रोकने के लिए परिवार कई वर्षों तक अपने ‘कम्फर्ट जोन’ से दूर रहा। इसके साथ ही उसने पारिवारिक समारोहों से दूर रहने का फैसला किया। शुभमन जब 2018 में अंडर-19 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ शतक लगाकर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे तब लखविंदर ने पीटीआई से कहा थाकि हमने सालों तक किसी शादी समारोह में भाग नहीं लिया था ताकि हमारे बेटे का ध्यान क्रिकेट पर नहीं भटके।

काफी संपन्न रहा है परिवार
इस बात में हालांकि कोई शक नहीं कि गिल के परिवार के पास शुरुआत से ही संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। उनके दादा दीदार अपने फाजिल्का स्थित घर के विशाल आंगन में एक अस्थायी पिच बनवा सकते थे। पिता चार लोगों के परिवार को चंडीगढ़ ले जाने का जोखिम उठा सकते थे। यह हालांकि गांव में उनके आरामदायक जीवन से बहुत दूर था।

सही समय पर सही जगह
गिल की कहानी सही समय पर सही जगह पर होने और अपने काम को सही से अंजाम देने का एक बेहतरीन उदाहरण है। गिल के ख्वाबों को 2011 में उस समय उड़ान भरने का और बड़ा मौका मिला जब भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी की नजर उन पर पड़ी। घावरी बीसीसीआई की मदद से पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) के लिए आयोजित तेज गेंदबाजों की शिविर में गए थे। उन्हें वहां यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कोई भी बल्लेबाज तेज गेंदबाजों के खिलाफ बढ़िया तकनीक से बल्लेबाजी नहीं कर रहा था।

वह मेरा बेटा है
घावरी इसके बाद अपने किसी सहायक के साथ पीसीए स्टेडियम के बाहर अंडर-14 स्तर का मैच देखने के लिए पहुंचे। वहां एक किशोर खिलाड़ी की तकनीक ने उन्हें काफी प्रभावित किया। वह उस लड़के के बारे में पता करने के लिए पास ही पेड़ की छाया में खड़े होकर पूरी प्रक्रिया को ध्यान से देख रहे एक व्यक्ति के पास पहुंचे और पूछा, ‘वह लड़का कौन है? कहां रहता है?’ किस्मत से वह लखविंदर थे जो अपने बेटे को बल्लेबाजी करते हुए देख रहे थे। लखविंदर ने कहा, ‘वह मेरा बेटा शुभमन है और वह 12 साल का है।’

फिर मिला बड़ा मौका
भारत के लिए 100 से ज्यादा विकेट लेने वाले घावरी ने इसके बाद उन्हें तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए शिविर में बुलाया। इस शिविर में 12 साल का यह खिलाड़ी संदीप शर्मा जैसे तत्कालीन भारत के अंडर-19 तेज गेंदबाजों का डटकर सहजता से सामना करने में सफल रहा। घावरी की सिफारिश के बाद गिल को पंजाब अंडर-14 टीम में शामिल किया गया।

यहां से खुली किस्मत
भारतीय टीम जब 2018 दौरे के लिए इंग्लैंड जा रही थी तब एमएसके प्रसाद की चयन समिति ने टीम में अनमोलप्रीत सिंह को मौका देने का मन बनाया था। लेकिन कोच राहुल द्रविड़ की अनुरोध पर गिल को चुना गया। प्रसाद ने कहाकि उस सत्र में अनमोलप्रीत ने शानदार बल्लेबाजी की थी और पांच में से एक चयनकर्ता किसी भी हाल में उन्हें टीम में चुनने की मांग कर रहे थे। उस समय द्रविड़ एनसीए और भारत ए टीम के कोच थे। उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लिए गिल को टीम में रखने की वकालत करते हुए अनमोलप्रीत को किसी और दौरे (ए टीम) पर भेजने की सलाह दी।

निखरते चले गए गिल
प्रसाद ने कहाकि हम उनकी मांग को ठुकरा नहीं सके। शुभमन ने इसके कुछ महीने बाद अंडर-19 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। अनमोलप्रीत के पास रन थे लेकिन शुभमन के पास तकनीक और दबाव को झेलने वाला स्वभाव था। इस खेल के शीर्ष स्तर पर इन दोनों की गिनती रनों के बराबर होती है। द्रविड़ ने कुछ खास देखा था और वह नहीं चाहते थे कि यह लड़का घरेलू क्रिकेट में ज्यादा समय तक टिका रहे। उन्होंने ‘ए’ टीम की इंग्लैंड दौरे पर कुछ प्रभावी पारियां खेलीं। लेकिन इसके एक साल बाद वेस्टइंडीज ‘ए’ के खिलाफ दोहरी शतकीय पारी खेलने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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फिर भी आसान नहीं होगा सफर
टेस्ट मैचों में उनकी बल्लेबाजी में सुधार की काफी गुंजाइश है। लेकिन उनकी कलाइयां लचीली हैं, शरीर मजबूत है और साथ ही उनका ‘स्टांस’ भी अच्छा है। उन्होंने एकदिवसीय में कुछ कमाल की पारियां खेली है। गिल भी कोहली की तरह सहजता से पुल और कवर-ड्राइव लगाते हैं। उन्होंने घरेलू पिचों पर खुद को साबित किया है लेकिन इंग्लैंड में उनकी बल्लेबाजी की असली परीक्षा होगी। टीम के नेतृत्व की बात करें तो उन्होंने मौजूदा आईपीएल इस बात का संकेत है कि वे अपनी भूमिका में आगे बढ़ रहे हैं। गिल को कोच गंभीर के रहने से काफी फायदा होगा लेकिन उनका सफर आसान नहीं होगा। रोहित शर्मा और कोहली के संन्यास के बाद पूरे देश की उम्मीदों का भार उनके ऊपर होगा।