मनरेगा घोटाले में गुजरात के मंत्री बच्चूभाई का दूसरा बेटा भी गिरफ्तार, करोड़ों की हेराफेरी का मामला
मनरेगा घोटाले के सिलसिले में गुजरात के मंत्री बच्चूभाई खबाद के दूसरे बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। दो दिन पहले उनके बड़े बेटे को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। मामला करोड़ों रुपए की हेराफेरी से जुड़ा है।

मनरेगा घोटाले के सिलसिले में गुजरात के मंत्री बच्चूभाई खबाद के दूसरे बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। दो दिन पहले उनके बड़े बेटे को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। मामला करोड़ों रुपए की हेराफेरी से जुड़ा है।
गुजरात के मंत्री बच्चूभाई खबाद के छोटे बेटे किरण को भी 71 करोड़ रुपए के मनरेगा घोटाले के सिलसिले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे दो दिन पहले उनके बड़े भाई बलवंत को हिरासत में लिया गया था। उन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उपाधीक्षक और जांच अधिकारी जगदीशसिंह भंडारी ने सोमवार को पुष्टि की कि किरण के साथ तीन और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 11 हो गई है।
पहले गिरफ्तार किए गए सात लोगों में मंत्री का बड़ा बेटा बलवंत भी शामिल है। भंडारी ने बताया कि सोमवार को पुलिस ने मंत्री के छोटे बेटे किरण, जो पूर्व तालुका विकास अधिकारी (टीडीओ) है और दो सहायक प्रोग्रामिंग अधिकारियों (एपीओ) को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी धोखाधड़ी की उस योजना में शामिल थे, जिसमें कई अनुबंधित एजेंसियों ने मनरेगा के तहत निर्धारित काम पूरा किए बिना या सामग्री की आपूर्ति किए बिना सरकार से भुगतान प्राप्त किया था।
इस घोटाले में कथित तौर पर 35 एजेंसी मालिक शामिल थे, जिन्होंने मनरेगा के तहत भुगतान का दावा करने के लिए काम पूरा करने का फर्जी प्रमाण पत्र और जाली दस्तावेज जमा करके 2021 और 2024 के बीच 71 करोड़ रुपए हड़पने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत की। देवगढ़ बारिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री बच्चूभाई खबाद वर्तमान में पंचायत और कृषि राज्यमंत्री हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके बेटे बलवंत और किरण आदिवासी बहुल दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया और धनपुर तालुका में मनरेगा परियोजनाओं में धोखाधड़ी करने वाली एजेंसियों के मालिक हैं। पिछले महीने दर्ज की गई प्राथमिकी में सरकारी कर्मचारियों सहित अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और विश्वासघात के आरोप शामिल हैं।
इस मामले की जांच तब शुरू हुई जब जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) ने निरीक्षण के दौरान घोटाले का खुलासा किया। इसमें पता चला कि सड़कों, चेक दीवारों और पत्थर के बांधों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भुगतान किया गया था, जिनका वास्तव में कभी निर्माण ही नहीं हुआ था।
इसके अलावा, पुलिस ने पाया कि सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्य एजेंसियों या उन एजेंसियों को भी भुगतान जारी किया गया था जिन्होंने कभी आधिकारिक टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया था। पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि मामले में अभी जांच चल रही है।
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