Finally the deal is done US and Ukraine sign mineral deal who will get what आखिरकार बन गई बात! अमेरिका-यूक्रेन ने साइन की खनिज डील, किसे क्या मिलेगा?, International Hindi News - Hindustan
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आखिरकार बन गई बात! अमेरिका-यूक्रेन ने साइन की खनिज डील, किसे क्या मिलेगा?

यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दबाव नीति और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। आइए, इस समझौते को विस्तार से समझते हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, कीवThu, 1 May 2025 10:49 AM
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आखिरकार बन गई बात! अमेरिका-यूक्रेन ने साइन की खनिज डील, किसे क्या मिलेगा?

आज यानी 1 मई को अमेरिका और यूक्रेन ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस खनिज समझौते को यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड के तहत लागू किया जाएगा। समझौते के जरिए अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों (रेयर अर्थ मिनरल्स) तक पहुंच मिलेगी, जबकि यूक्रेन को अमेरिका से आर्थिक और पुनर्निर्माण सहायता प्राप्त होगी। यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दबाव नीति और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। आइए, इस समझौते को विस्तार से समझते हैं।

समझौते की पृष्ठभूमि

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत 2022 में हुई और तब से अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है। जनवरी 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार सत्ता में लौटे डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू से ही यूक्रेन से इस सहायता के बदले आर्थिक रिटर्न की मांग की। ट्रंप का तर्क था कि अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध में समर्थन देने के लिए भारी खर्च किया है, और इसके बदले यूक्रेन को अपने प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से दुर्लभ खनिजों, तक पहुंच देनी चाहिए।

यूक्रेन के पास यूरोपीय संघ द्वारा घोषित 34 महत्वपूर्ण खनिजों में से 22 का भंडार है, जिनमें लिथियम, कोबाल्ट, और अन्य रेयर अर्थ मेटल्स शामिल हैं। ये खनिज आधुनिक तकनीकों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, और कंप्यूटर चिप्स के लिए आवश्यक हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यूक्रेन के खनिज भंडार अमेरिका को चीन पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकते हैं। चीन वर्तमान में वैश्विक रेयर अर्थ मिनरल्स का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

क्या बोले अमेरिकी अधिकारी?

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका यूक्रेन और रूस के बीच तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त कराने की कोशिशों में लगा है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह समझौता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूक्रेन की स्थिरता और भविष्य में व्यक्तिगत हित देगा और यूक्रेन को 'ब्लैंक चेक' की तरह मदद देने की चिंता को संबोधित करेगा।

यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा, “यह समझौता रूस को स्पष्ट संदेश देता है कि ट्रंप प्रशासन एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन के साथ दीर्घकालिक शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साझेदारी की परिकल्पना अमेरिकी और यूक्रेनी जनता के बीच स्थायी शांति और समृद्धि के लिए की थी।” बेसेंट ने यह भी कहा कि “कोई भी व्यक्ति या देश जिसने रूसी युद्ध मशीन को फंड किया है या सहायता दी है, वह यूक्रेन के पुनर्निर्माण से लाभ नहीं उठा पाएगा।”

क्या कहा गया समझौते में?

हालांकि ट्रंप प्रशासन ने समझौते की विस्तृत जानकारी तुरंत नहीं दी, लेकिन अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह करार यूक्रेन की प्राकृतिक संपत्तियों से जुड़ा है। समझौते के तहत अमेरिकी इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DFC) यूक्रेन के साथ मिलकर इस निवेश कोष के विवरण को अंतिम रूप देगा।

यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शम्यहाल ने टेलीग्राम पर जानकारी दी कि इस कोष में दोनों देशों को समान मतदान अधिकार मिलेंगे और यूक्रेन अपनी जमीन, खनिज संपदा और अधोसंरचना पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखेगा। साथ ही, इस कोष से प्राप्त लाभ को यूक्रेन में ही पुनर्निवेश किया जाएगा।

अमेरिका का यूक्रेन पर प्रभाव

इस समझौते को लेकर यूक्रेन समर्थक कुछ राहत महसूस कर रहे हैं। अमेरिका के पूर्व कीव राजदूत विलियम बी. टेलर ने कहा, “उन्हें पहले के प्रस्ताव की तुलना में कहीं बेहतर खनिज सौदा मिला है।” टेलर के अनुसार, अमेरिकी पक्ष ने यूक्रेन की कई मांगों को मान लिया है। हालांकि, एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन द्वारा की गई सुरक्षा गारंटी (जैसे सैन्य सहायता की निरंतरता) की मांग को ठुकरा दिया। फिर भी यह समझौता ट्रंप के साथ सद्भावना बनाने और उन्हें यूक्रेन की स्थिरता में आर्थिक दिलचस्पी देने का एक जरिया बन गया।

जब व्हाइट में भिड़े थे जेलेंस्की और ट्रंप

समझौता फरवरी में ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई विवादास्पद बैठक के बाद काफी समय तक अटका रहा। ट्रंप ने उस समय यूक्रेन को दी गई अमेरिकी सहायता को ऋण के रूप में चुकाने की बात कही थी, जिसे यूक्रेनी नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था कि इससे देश की आने वाली पीढ़ियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। जेलेंस्की ने अमेरिकी निवेश को आकर्षित करने के लिए खनिज सौदे का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ट्रंप ने साफ कहा था कि यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी अमेरिका से नहीं बल्कि यूरोप से मांगनी चाहिए।

समझौते की पूर्व ड्राफ्टिंग को कुछ लोगों ने 'यूक्रेन से जबरन सौदा करवाने' की कोशिश बताया। फरवरी में प्रस्तावित हस्ताक्षर समारोह के बजाय ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को फटकारा और उन्हें ‘कृतज्ञता दिखाने’ को कहा। इसके बाद अमेरिकी सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी अस्थायी रूप से रोक दी गई।

समझौते की मुख्य बातें

यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड:

इस फंड का उद्देश्य रूस के हमलों से तबाह हुए यूक्रेन के बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में निवेश करना है। फंड का संचालन अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट और इंटरनेशनल डिवेलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। अमेरिका इस फंड में निवेश करेगा, जिसके बदले उसे यूक्रेन के खनिज संसाधनों से राजस्व प्राप्त होगा।

दुर्लभ खनिजों तक पहुंच:

यूक्रेन अमेरिका को अपने दुर्लभ खनिज भंडारों, जैसे लिथियम, कोबाल्ट, और ग्रेफाइट, के दोहन की अनुमति देगा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन में दुनिया की खनिज संपदा का लगभग 5% हिस्सा मौजूद है, जिसमें डोनेट्स्क और लुहान्स्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं, हालांकि इनमें से कुछ क्षेत्रों पर रूस का कब्जा है। इस डील से अमेरिका को उच्च तकनीकी क्षेत्रों के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

सुरक्षा गारंटी का अभाव:

समझौते में यूक्रेन के लिए कोई स्पष्ट सुरक्षा गारंटी शामिल नहीं है, जो जेलेंस्की की प्रमुख मांग थी। ट्रंप प्रशासन ने सैन्य सहायता के बजाय आर्थिक साझेदारी पर जोर दिया है, जिससे यूक्रेन के लिए भविष्य में सुरक्षा संबंधी अनिश्चितता बनी रह सकती है।

डील की अनुमानित कीमत:

शुरुआत में ट्रंप ने 500 बिलियन डॉलर की डील की मांग की थी, जिसे बाद में 350 बिलियन डॉलर तक कम किया गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने इसे "ट्रिलियन-डॉलर डील" भी बताया, हालांकि इसका सटीक मूल्य स्पष्ट नहीं है। यह डील यूक्रेन के खनिज संसाधनों के साथ-साथ सैन्य उपकरण और अन्य संसाधनों को भी शामिल कर सकती है।

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किसे क्या मिलेगा?

अमेरिका को लाभ:

खनिज संसाधनों तक पहुंच: अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों का उपयोग करने का अधिकार मिलेगा, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, और रक्षा उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह डील अमेरिका को चीन पर रेयर अर्थ मिनरल्स की निर्भरता कम करने में मदद करेगी।

आर्थिक और भू-राजनीतिक लाभ: यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करके अमेरिका क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थिति को मजबूत करेगा। ट्रंप प्रशासन इसे रूस को एक मजबूत संदेश के रूप में पेश कर रहा है कि अमेरिका एक स्वतंत्र और समृद्ध यूक्रेन का समर्थन करता है।

युद्धविराम की संभावना: ट्रंप का दावा है कि यह डील रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की दिशा में पहला कदम हो सकती है, हालांकि इस दावे पर विशेषज्ञों में मतभेद हैं।

यूक्रेन को लाभ:

पुनर्निर्माण के लिए धन: यूक्रेन को अपने बुनियादी ढांचे, जैसे सड़कें, बिजली संयंत्र, और स्कूलों, के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी निवेश मिलेगा। यह आर्थिक सहायता युद्ध से तबाह अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद कर सकती है।

आर्थिक साझेदारी: खनिज संसाधनों के संयुक्त विकास से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ हो सकता है, बशर्ते समझौते की शर्तें निष्पक्ष हों।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन: यह डील यूक्रेन को वैश्विक मंच पर अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी का संदेश देती है, जो रूस के खिलाफ उसकी स्थिति को मजबूत कर सकती है।

यूक्रेन की चुनौतियां:

सुरक्षा अनिश्चितता: समझौते में सुरक्षा गारंटी का अभाव यूक्रेन के लिए जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब रूस के साथ युद्ध जारी है।

खनिज संसाधनों का नियंत्रण: कुछ आलोचकों का मानना है कि यह डील यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों पर अमेरिकी नियंत्रण को बढ़ावा दे सकती है, जिससे यूक्रेन की संप्रभुता प्रभावित हो सकती है।

खनिज भंडार पर सवाल: अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यूक्रेन में दुर्लभ खनिजों का कोई बड़ा प्रमाणित भंडार नहीं है, जिससे डील की वास्तविक उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियां और आशंकाएं

यूक्रेन के पास 20 से अधिक महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार हैं, जिनकी कीमत एक कंसल्टिंग फर्म ने कई ट्रिलियन डॉलर आंकी है। हालांकि इन खनिजों को निकालना आसान नहीं होगा क्योंकि उनके पुराने सोवियत-युग के नक्शे अभी तक आधुनिक नहीं किए गए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, अमेरिका को इस समझौते से "सैकड़ों अरब डॉलर" की कमाई होनी चाहिए, जबकि यूक्रेन फिलहाल प्राकृतिक संसाधनों से सालाना सिर्फ 1 अरब डॉलर कमाता है। वहीं, अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम समझौता रूस को अधिक फायदा पहुंचाता दिख रहा है। इसके तहत यूक्रेन को नाटो में शामिल होने की उम्मीद छोड़नी होगी, और अमेरिका क्रिमिया को रूस का हिस्सा मान सकता है - जिसे यूक्रेन ने खारिज कर दिया है।

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