अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी जनप्रतिनिधित्व समाप्त करना चाहती है सरकार: बिर सिंह बिरुली
चाईबासा में आदिवासी बहुल क्षेत्र के शहरी निकायों में अब आदिवासी अध्यक्ष की बाध्यता समाप्त की जा रही है। मेसा बिल 2001 के तहत यह प्रावधान था कि इन क्षेत्रों में मेयर आदिवासी समुदाय से होना चाहिए।...
चाईबासा। राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्र (शिड्यूल एरिया) के शहरी निकायों में अब आदिवासी अध्यक्ष की बाध्यता समाप्त की जा रही है। यानी शिड्यूल एरिया के नगर निगम क्षेत्र में आदिवासी मेयर नहीं होगे। यही स्थिति नगरपालिका क्षेत्र में भी लागू होगी। ज्ञात हो कि मेसा बिल 2001 (मुंशीपलटीज एक्सटेंशन टू द शिड्यूल्ड एरियाज बिल 2001) में यह प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में नगर निगम या नगरपालिका में मेंयर या अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद आदिवासी समुदाय से होगा। इस प्रावधान के तहत अधिसूचित क्षेत्र में शहरी निकायों में मेयर आदि के पद पर आदिवासी समुदाय के सदस्य की बाध्यता है।
भारत सरकार द्वारा गठित स्टैंडिंग कमिटी ने मेंसा में किए गए इस प्रावधान को समाप्त करने की अनुशंसा की है। स्टैंडिंग कमिटी के इस अनुशंसा के लागू होने से अनुसूचित क्षेत्र के नगर निगमों में आदिवासी समुदाय के सदस्य को मेयर बनाने की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। इससे आदिवासी समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व खत्म हो जाएगा। आदिवासी समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व करना असंवैधानिक है।अनुसूचित क्षेत्र के मुंसिपल्टिज और नगर पालिका में भी सामान्य वर्ग अध्यक्ष और मेयर पद बन सकेंगे। यदि ऐसा होता है तो इसके लिए अखिल भारतीय परिसंघ प्रदेश से लेकर पंचायत तक चरणवाद तरीके से आंदोलन करेगी।इसका सीधा असर अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी बहुल आबादी में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस पर अपनी प्रतिक्रिया व प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ पश्चिम सिंहभूम के सचिव बिर सिंह बिरुली ने इसका कड़ी शब्दों में निंदा एवं विरोध किया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।