जंगलों में फलों से लद गए हैं चिरौंजी के पेड़
चाकुलिया वन क्षेत्र में चिरौंजी के पेड़ फलो से लदे हुए हैं, जो ग्रामीणों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बन गए हैं। ग्रामीण चिरौंजी के बीज को 40 से 50 रुपये प्रति किलो बेचकर लाभ कमा रहे हैं। वन विभाग से...

चाकुलिया, संवाददाता। चाकुलिया वन क्षेत्र में वनोत्पाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इन दिनों जंगलों में औषधीय गुणों से भरपूर चिरौंजी (चार, पिला) के पेड़ फलो से लदे गये हैं। चिरौंजी के फल ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। चिरौंजी फल का बीज ग्रामीणों की आय का प्रमुख जरिया बना है। पेड़ों पर फल पकने लगे हैं और ग्रामीण चिरौंजी का फल तोड़ने में मस्त हैं। चिरौंजी के बीज को धूप में सूखा कर 40 से 50 रुपये किलो की दर से बेच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग जंगलों में चिरौंजी के पौधों का भी रोपण कराये तो ग्रामीणों की आमदनी में और वृद्धि होगी। क्योंकि जंगलों में चिरौंजी के पुराने पेड़ धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं।
चाकुलिया वन क्षेत्र के जंगलों में बड़ी संख्या में चिरौंजी के पेड़ हैं। खासकर पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे पहाड़ के जंगलों में चिरौंजी के पेड़ बहुत हैं। जनवरी-फरवरी में पेड़ों पर फूल निकलते हैं। मार्च के अंत तक फल निकल आते हैं और अप्रैल शुरू होते ही पकने लगते हैं। गरीबों और खास कर सबर जनजाति के लिए चिरौंजी का बीज गर्मी के मौसम में आय का प्रमुख जरिया बनता है। ग्रामीण फलों से बीज निकालते हैं और धूप में सूखाकर छोटे व्यापारियों को बेचते हैं। चिरौंजी का बीज खरीदने के लिए छोटे व्यापारी गांव आते हैं। चिरौंजी का फल तोड़ने के लिए ग्रामीण सुबह ही घर से निकल पड़ते हैं। यही चिरौंजी बीज की दाल बड़े-बड़े शहरों में 500 से 800 रुपए प्रति किलो की दर से बिकती है। चिरौंजी में कई औषधीय गुण भी होते हैं। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। इसका प्रयोग खीर और मिठाइयां बनाने में होता है। पेट के लिए चिरौंजी का बीज काफी फायदेमंद होता है। चाकुलिया प्रखंड के मधुपुर निवासी वन सुरक्षा समिति के सदस्य चंडी चरण मुंडा ने कहा कि इस मौसम में चिरौंजी का बीज बेच कर ग्रामीण लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग चिरौंजी के पौधों का भी रोपण करवाए तो और बेहतर होगा। ग्रामीण की आमदनी बढ़ेगी।
चिरौंजी के बीज बेचकर ग्रामीण आय प्राप्त करते हैं। जंगलों में चिरौंजी के पौधों के रोपण के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद इस दिशा में कार्य होगा।
-दिग्विजय सिंह, प्रभारी वन क्षेत्र पदाधिकारी, चाकुलिया
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