School Faces Water Crisis Over 7 Lakh Rupees Due Students Suffer बोले जमशेदपुर: करीब आठ लाख बकाया, कनेक्शन काटा, पानी को तरसे बच्चे, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमशेदपुर: करीब आठ लाख बकाया, कनेक्शन काटा, पानी को तरसे बच्चे

जुस्को ने 7,85,934 रुपए के बकाया बिल के कारण धातकीडीह के राजकीय ठक्कर बापा मध्य विद्यालय का पानी का कनेक्शन काट दिया। इस समस्या के चलते बच्चे एक साल से पानी के लिए तरस रहे हैं। शौचालयों में पानी नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरThu, 17 April 2025 06:21 AM
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बोले जमशेदपुर: करीब आठ लाख बकाया, कनेक्शन काटा, पानी को तरसे बच्चे

आठ लाख के करीब पानी का बकाया होने पर स्कूल का कनेक्शन टाटा स्टील यूआईएसएल ( जुस्को) ने काट दिया। सालभर से बच्चे पानी के लिए तरस रहे हैं। इस साल गर्मी बढ़ने के साथ उनकी यह परेशानी बढ़ गई है। कुछ बच्चे घर से पानी लाते हैं और कुछ स्कूल के पड़ोस से मांगकर अपना काम चलाते हैं। हालांकि जरूरत से यह काफी कम होता है, ऐसे में इंतजार स्कूल की छुट्टी का होता है। धातकीडीह के राजकीय ठक्कर बापा मध्य विद्यालय के शिक्षकों और बच्चों ने पानी की समस्या को हिन्दुस्तान के साथ साझा किया, साथ में जिम्मेदारों से इस समस्या का समाधान का आग्रह भी किया। राजकीय ठक्कर बापा मध्य विद्यालय धातकीडीह के बच्चे और शिक्षक साल भर से प्यासे हैं। 7,85,934 रुपए बिल बकाया होने के कारण अप्रैल, 2024 में जुस्को ने स्कूल का पानी का कनेक्शन काट दिया था। तब से यह स्कूल तरह-तरह की समस्याएं झेल रहा है। काफी प्रयास के बावजूद आज तक इसके पानी का कनेक्शन बहाल नहीं हो सका है। ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की जानकारी विभाग, जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को नहीं है। यहां की समस्या के बारे में सभी जानते हैं। परंतु इस ज्वलंत समस्या का समाधान करने में सभी विफल रहे हैं। इधर, मौसम की मार शुरू हो गई है। शहर का तापमान 40 के पार जा चुका है। परंतु यहां की पानी की समस्या नहीं सुलझी है। इसके कारण यहां के मासूमों की पढ़ाई पर असर पड़ने लगा है। प्यास लगने पर उन्हें पड़ोस के घरों में पानी मांगने जाना पड़ता है या फिर घर जाकर पानी पीते हैं। कई बार जब बच्चे घर जाते हैं, तो लौटते ही नहीं।

सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो शौचालय हैं। परंतु उसमें पानी नहीं है। बाहर से पानी ले जाना पड़ता है। इसके कारण गंदगी पसरी रहती है। यही वजह है कि बच्चों को जब शौचालय जाना होता है, तो वे चापाकल से पानी ढोने के बजाय अपने घर चले जाते हैं। कई तो फिर लौटते ही नहीं हैं। इसके कारण उनकी पढ़ाई का नुकसान होता है। परंतु इस मामले में कुछ भी करने में विद्यालय प्रबंधन असमर्थ है।

बच्चे घर से लाते हैं पानी, रसोइया भी लाती है

पानी की समस्या के कारण एक साल से यहां के बच्चे पानी घर से ही बोतल में लेकर आते हैं। हालांकि कुछ छोटे बच्चे पानी लेकर नहीं आते हैं। वैसे बच्चों के लिए प्रधानाध्यापक ने वहां एक नल वाला जार लगा रखा है। उसे भरकर स्कूल की रसोइया पड़ोस की बस्ती में लगे सार्वनजिक नल से पानी लेकर आती है। हालांकि वहां भी पानी हमेशा नहीं आता है। रसोइया मनीषा मुखी के अनुसार वहां सुबह 6 बजे, फिर 10.30 बजे और शाम में 4 बजे पानी आता है। उसी समय पानी भरा जा सकता है। बाकी समय में अगर पानी घट जाए, तो किसी से मांगकर ही लाना पड़ता है।

एक चापाकल है, निकलता है गंदा पानी

ऐसा भी नहीं है कि स्कूल में पानी का कोई स्रोत नहीं है। एक चापाकल है और उससे पानी भी निकलता है। परंतु वह पानी पीने लायक नहीं है। उससे बदबू भी आती है। इसके कारण उसका इस्तेमाल कम ही किया जाता है। बीमारी के डर से उस पानी का इस्तेमाल शौचालय में भी नहीं किया जाता।

हरिजन सेवक संघ के नाम से है पानी का बिल

इस स्कूल में पानी का बिल हरिजन सेवक संघ के नाम से भेजा गया है। दरअसल ठक्कर बापा ने ही हरिजन सेवक संघ का गठन किया था। पहले वही स्कूल का संचालन करता था। बाद में यह समाप्त हो गया। ऐसे में बिल का भुगतान कौन करे, यह भी अहम सवाल है। वैसे स्कूल के प्रधानाध्यापक दो-दो बार जुस्को के पास कनेक्शन के लिए आवेदन कर चुके हैं। परंतु कहा जा रहा है कि वे बिल का भुगतान करें, तब कनेक्शन मिलेगा।

48 बच्चे और दो शिक्षक हैं स्कूल में

राजकीय ठक्कर बापा मध्य विद्यालय धातकीडीह में कुल 48 बच्चे नामांकित हैं। सभी दलित वर्ग के हैं। अधिकांश स्कूल आते भी हैं। जैसा कि मध्य विद्यालयों का नियम है, यहां पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। शिक्षक दो ही हैं। एक प्रधानाध्यापक पंकज कुमार और दूसरी शिक्षिका कुमारी अनीता।

1935 में हुई थी स्कूल की स्थापना

यह कोई साधारण स्कूल नहीं है। 90 साल पुराना है। 1935 में इसकी स्थापना दलितों के उत्थान के उद्देश्य से हुई थी। इसके पीछे महात्मा गांधी की प्रेरणा थी। बताया जाता है कि महात्मा गांधी 1925 में महामारी फैलने पर शहर आये थे। तब उनसे ठक्कर बापा मिले थे। दोनों के मिलन की तस्वीर स्कूल की दीवार पर सजी है। इस पर एक अखबार में आलेख छपा था, उसकी कटिंग भी लगी है। जब यह स्कूल स्थापित हुआ था, जब शहर में इक्का-दुक्का स्कूल ही थे। इसके बावजूद इस स्कूल की दुर्दशा समझ से परे है।

ठक्कर बापा जमशेदपुर में अपने सामाजिक कार्य और आदिवासी तथा दलित समुदाय के उत्थान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने करीब 100 साल पहले झारखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में दलित व आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण काम किया था। ठक्कर बापा कुछ समय के लिए जमशेदपुर में भी रहे थे। वे महात्मा गांधी के सहयोगी थे और उनके हरिजन उत्थान कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।

सिर्फ स्कूल नहीं, सीआरपी व बीईईओ ऑफिस भी है

यह स्कूल परिसर काफी बड़ा है। इसका आकार 21000 वर्गफीट है। यहां सिर्फ स्कूल ही नहीं है। इसी परिसर में संकुल संसाधन केन्द्र और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी जमशेदपुर-2 का कार्यालय भी है। नीचे में स्कूल जबकि दोनों ऑफिस दूसरे तल पर चलते हैं। पानी की समस्या से इन दोनों कार्यालयों को भी जूझना पड़ रहा है। सभी शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी अपने-अपने घरों से ही पानी लाते हैं।

अधिकारी और कर्मचारी बताते हैं कि समस्या तो तब होती है, जब संकुल संसाधन केन्द्र में प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। तब बाहर से पानी का जार खरीद कर रखना पड़ता है। हालांकि शौचालय की समस्या तो तब भी होती है।

4 अप्रैल को विधायक सरयू राय ने की थी बैठक

गत चार अप्रैल को जमशेदपुर पश्चिम विधान सभा क्षेत्र के विधायक सरयू राय ने अपने क्षेत्र के स्कूलों की मूलभूत सुविधाओं और समस्याओं बैठक बुलाई थी। उस बैठक में ठक्कर बापा स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी भी शामिल हुईं थीं। उसमें विधायक को पानी का कनेक्शन जुस्को के द्वारा काटे जाने की जानकारी प्रधानाध्यापक पंकज कुमार ने दी थी। विधायक ने इस पर गहरी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि जुस्को पानी का कनेक्शन कैसे काट सकता है। वह लीज समझौते के तहत मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बाध्य है। तब उन्होंने कहा था कि वे इस मामले में जुस्को प्रबंधन से बात करेंगे। हालांकि समस्या जस की तस है।

जुस्को श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष को भी है जानकारी

इस मामले की जानकारी जुस्को श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय को भी है। वे गत मार्च महीने में स्कूली बच्चों के बीच स्कूल बैग और पानी का बोतल बांटने पहुंचे थे। पानी का बोतल पाकर बच्चों ने छूटते ही कहा था-यहां तो पानी ही नहीं है, वे बोतल का क्या करेंगे। इससे पांडेय झेंप गये थे। फिर उन्होंने स्कूल प्रबंधन से मामले की जानकारी ली थी और वादा किया था कि वे कंपनी प्रबंधन से इस मामले में बात करेंगे।

चुनाव में पानी का टैंकर लाना पड़ा था

इस स्कूल की पानी की समस्या से जिले के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी वाकिफ हैं। इसकी वजह यह है कि पानी का कनेक्शन काटे जाने के बाद ही पिछले साल लोक सभा और फिर विधान सभा का चुनाव हुआ था। चूंकि इस स्कूल में जमशेदपुर पश्चिम विधान सभा क्षेत्र का दो बूथ 133 और 134 है। जब यहां बूथ पर पानी की समस्या की जानकारी अधिकारियों को हुई थी तो उन्होंने दोनों चुनाव में टैंकर भेज दिया था।

बच्चे कम क्योंकि पास में 15 स्कूल

इस स्कूल के करीब 500 मीटर के दायरे में 15 सरकारी और गैर सरकारी स्कूल हैं। इनमें कई बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल हैं। इंग्लिश मीडियम स्कूल दोपहर दो बजे से कम फीस लेकर गरीब बच्चों के लिए क्लास चलाते हैं। ऐसे में जो अभिभावक थोड़े भी सक्षम हैं, वे वहीं अपने बच्चों को भेजते हैं।

कई बच्चे फुटबॉलर, इंस्पायर अवार्ड भी मिला है

ऐसा नहीं है कि दलित बहुल बच्चों वाले इस स्कूल के नाम कोई विशेषता नहीं है। इस स्कूल के बच्चे फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी हैं। सुब्रतो कप के अंडर 13 टीम में यहां के बच्चे शिरकत कर चुके हैं। यहां के बच्चों को इंस्पायर अवार्ड भी मिला है।

अप्रैल 2024 में स्कूल के पानी का कनेक्शन काटा गया था। मैंने विभाग को मामले की जानकारी उसी समय दे दी थी। दो-दो बार पानी का कनेक्शन देने के लिए जुस्को को आवेदन दिया है। हालांकि वहां कहा गया कि बकाया बिल का भुगतान करें तभी कनेक्शन मिलेगा। फिलहाल बाहर से जार में पानी भरकर मंगाया जाता है, ताकि बच्चों को प्यासा न रहना पड़े। रसोइया को बार-बार पानी लाने भेजना पड़ता है। चापाकल का पानी बेहद खराब है। कुछ ही देर में यह काला पड़ने लगता है।

-पंकज कुमार, प्रधानाध्यापक

मैं भी पानी घर से ही लेकर आती हूं। कभी रसोइया तो कभी हेडमास्टर पानी मंगाते हैं। मैंने जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक और प्रखंड विकास पदाधिकारी को इस मामले की जानकारी लिखित रूप से दे दी है। मीडिया में भी मामला आ चुका है। विधायक सरयू राय की बैठक में भी मामला उठा था। जुस्को का एक कर्मचारी आया था, उसने कहा था कि कुछ दिनों में बताएंगे। हालांकि दोबारा आया नहीं। परिसर में एक चापाकल तो है, परंतु वह भी बार-बार खराब होता रहता है।

-तेजिन्दर कौर, बीईईओ, जमशेदपुर-2

राज्य के शिक्षा मंत्री हमारे जिले के हैं, इसके बावजूद स्कूल की यह स्थिति है। भीषण गर्मी में पानी नहीं मिलने से बच्चों को डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। हमने मंत्री, डीसी, डीईओ सभी से अनुरोध किया कि पानी का उपाय कर दें, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब यही उपाय है कि बच्चों को हमलोग डीसी ऑफिस में पढ़ने के लिए ले जाएं, क्योंकि उपायुक्त भी इस मामले में उदासीन दिख रहे हैं। जिले में एक दलित बच्चों के स्कूल की ऐसी दशा आश्चर्यजनक है।

-रमेश मुखी, विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष

पानी नहीं होने से बच्चों को समस्या हो रही है। समस्या तो स्टाफ को भी है, क्योंकि यहां पर शिक्षा विभाग के दो-दो कार्यालय भी चलते हैं। जब ट्रेनिंग होती है तो समस्या विकट हो जाती है।

-राजेश कर्मकार, संकुल साधनसेवी

चापाकल तो है, परंतु उसका पानी गंदा है। उससे दुर्गंध आती है। हरिजन बस्ती से पीने का पानी लाना पड़ता है। वह पानी भी तीन टाइम ही आता है। इसलिए उसी समय जाना पड़ता है।

-मनीषा मुखी, रसोइया

पीने के पानी की समस्या है। शौचालय-बाथरूम जाने के लिए घर जाना पड़ता है। पौधे पानी के अभाव में सूख रहे हैं। चापाकल का पानी गंदा निकलता है। कभी-कभी तो हमें वही पानी पीना पड़ता है।

- बेबी कुमारी, बाल संसद की प्रधानमंत्री

एक साल से यह समस्या है। चापाकल का पानी कुछ ही देर में काला हो जाता है। घर से पानी लेकर आना पड़ता है। बच्चे भी यही करते हैं। पता नहीं यह समस्या कब दूर होगी।

-कुमारी अनीता

हमलोग शौचालय नहीं जा सकते हैं। मध्याह्न भोजन खाने के बाद बर्तन वैसे ही रह जाता है। चापाकल का पानी गंदा निकलता है, इसलिए वह किसी काम का नहीं है। हम लोग बहुत परेशान हैं।

-मानव मुखी, बाल संसद के शिक्षा मंत्री

स्कूल में बच्चों की उपस्थिति ठीक है। अगर तीन दिन लगातार नहीं आते हैं तो उन्हें रेड स्टार दिया जाता है। उनके अभिभावक को भी जानकारी दी जाती है। पानी की समस्या परेशान करती है।

-उन्नव मुखी, बाल संसद के उपस्थिति मंत्री

घर से ही हमलोग पानी लाते हैं। नहीं रहने पर चापाकल से लेते हैं। कभी-कभी तो मजबूरी में गंदा पानी ही पीना पड़ता है। पानी की कमी की वजह से हम लोगों को बहुत समस्या होती है।

-देवेश

स्कूल में एक साल से पानी की समस्या है। बच्चों को शौचालय जाने में बहुत समस्या होती है। छोटे-छोटे बच्चे हैं तो पेशाब करने और शौच के लिए जाना ही पड़ता है। परंतु पानी के अभाव में दिक्कत होती है।

-पारो देवी, अभिभावक

मेरे तीन बच्चे यहां पढ़ते हैं, परंतु यहां पानी है ही नहीं। अपने घर से पानी जार में भरकर हमलोग देते हैं। मेरे यहां से ही पानी स्कूल जाता है। जार का पानी खत्म होने पर गर्मी में बच्चों को घर जाना पड़ता है।

-प्रियंका मुखी, अभिभावक

यहां के बच्चों को नियमित रूप से छात्रवृत्ति मिल रही है। पहली से पांचवीं कक्षा तक 1500 रुपये सालाना मिलते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाथरूम के लिए पानी नहीं होने से हमें समस्या होती है।

-अभय मुखी, बाल संसद के छात्रवृत्ति मंत्री

मैं छठी कक्षा में पढ़ता हूं। उसमें 13 बच्चे हैं। परंतु हमें पीने के लिए पानी पड़ोस के घरों से मांगना पड़ता है। शौचालय में कभी-कभी गंदा पानी लेकर जाना पड़ता है, जिससे बीमारी या संक्रमण का डर बना रहता है।

-आरव मुखी

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