Unseasonal Rain Brings Relief and Concerns for Farmers in Koderma जिले में हल्की बारिश और तेज हवा से कृषि प्रणाली में बदलाव, सब्जी फसलों को पहुंचा सकता है नुक्सान, Kodarma Hindi News - Hindustan
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जिले में हल्की बारिश और तेज हवा से कृषि प्रणाली में बदलाव, सब्जी फसलों को पहुंचा सकता है नुक्सान

बेमौसम बारिश से किसानों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन फसलों को नुकसान का खतरा भी बढ़ गया है। गेहूं और सब्जियों की फसलें प्रभावित हो सकती हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मौसम के अनुसार खेती के...

Newswrap हिन्दुस्तान, कोडरमाFri, 11 April 2025 02:50 AM
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जिले में हल्की बारिश और तेज हवा से कृषि प्रणाली में बदलाव,  सब्जी फसलों को पहुंचा सकता है नुक्सान

जयनगर निज प्रतिनिधि। बेमौसम बारिश से लोगों को गर्मी से राहत जरूर मिली, लेकिन फसलों को नुक्सान पहुंचा सकता है। मौसम के बदलते मिजाज से किसान चिंतित हैं। गुरुवार को तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और गर्मा सब्जी फसलों को नुक्सान न होने का ज्यादा संभावना है। इस समय गेंहू फसल पक कर तैयार हैं। कुछ किसान गेंहू की कटाई किये, मगर ज्यादातर गेंहू खेतों में लगी है। ऐसे बारिश और ओलावृष्टि से गेंहू फसल और सब्जी फसलों को नुक्सान होने का संभावना रहती है ‌। इस समय सब्जी फसलों में अंकुर निकल रही है और बारिश और ओलावृष्टि से अंकुर टुटने और पौधे में लगे फुल झड़ने सब्जी फसलों और फलदार पौधों से इस समय बारिश और लगातार चल रही तेज हवाओं ने खेती-किसानी पर स्पष्ट असर डाला है। आमतौर पर गर्मी के मौसम में मध्यम वर्षा पर निर्भर रहने वाले किसान अब कम मिट्टी नमी और सूखी हवाओं के कारण परेशान हैं। यह हल्की बारिश भले ही कम मात्रा में हुई हो, लेकिन इससे बीजों के अंकुरण, पौधों की शुरुआती वृद्धि और फसलों की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है। साथ ही, लगातार चल रही हवा से मिट्टी की ऊपरी परत जल्दी सूख रही है और नाजुक पौधों को नुकसान हो रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र कि कृषि वैज्ञानिक डॉ. नुपुर चौधरी ने बताया कि बदलते मौसम के अनुसार किसान अपना तरीका बदल रहे हैं। अब किसान पानी की बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं, जैसे कि ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक का उपयोग करके मिट्टी में नमी बनाए रखना। खेतों के किनारे तेज हवा से बचाव के लिए तेजी से बढ़ने वाले पेड़ों या झाड़ियों को लगाया जा रहा है। किसानों को ऐसे मौसम सहनशील बीजों का चयन करें ।

उपाय खेती को अधिक टिकाऊ और सुरक्षित बना रहे हैं।

फलदार पौधों पर प्रभाव

कोडरमा में आम, अमरूद और नींबू जैसे फलदार पौधे अब फूलों की अवस्था से निकलकर फलों की शुरुआती अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं। इस समय हल्की वर्षा लाभदायक होती है क्योंकि यह मिट्टी में नमी बनाए रखती है और फल सेटिंग में मदद करती है। लेकिन तेज हवा के कारण कच्चे फल टूटकर गिर सकते हैं, विशेषकर आम और अमरूद के, जिससे पैदावार घटने का खतरा रहता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे जल तनाव से बचें, सूखे दिनों में हल्की सिंचाई करें, और पेड़ों की जड़ों के पास जैविक मल्च लगाएं। ट्री गार्ड और हवा अवरोधक पौधों का उपयोग करके फल और शाखाओं की सुरक्षा की जा सकती है।

किसानों को यह भी सलाह दी जा रही है कि वे मिट्टी की नमी पर नजर रखें और सिंचाई व बुवाई के निर्णय मौसम पूर्वानुमान के आधार पर लें। जैविक खाद और मल्चिंग से मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता बढ़ती है। साथ ही, जलवायु तनाव के कारण कीट व रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है, ऐसे में समेकित कीट प्रबंधन का अपनाना जरूरी है।

फायदे भी हैं हल्की बारिश के

इन चुनौतियों के बावजूद हल्की बारिश कई लाभ भी लेकर आती है। यह मिट्टी को ताजगी देती है, हानिकारक लवणों को बाहर निकालती है और खेत का सूक्ष्म वातावरण सुधारती है। इससे परागण करने वाले कीट सक्रिय होते हैं और पौधों की वृद्धि में सहायता मिलती है। यदि सिंचाई के साथ सही समय पर वर्षा हो, तो यह पौधों को नई ऊर्जा देती है, जड़ों की वृद्धि को बढ़ाती है और अंततः फसल उत्पादन में वृद्धि करती है।

कोडरमा के किसान अनुभव और नवाचार के सहारे इन छोटे लेकिन प्रभावशाली मौसम परिवर्तनों के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र से मिल रही सहायता और किसानों की जागरूकता से यह स्पष्ट है कि थोड़ी सी बारिश भी खेती को नई दिशा दे सकती है।

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