बोले रांची: सखुआ सींच जीना सीखा, पर आज जल बिना जीना दुश्वार
रांची के सखुआ बागान में लगभग 2000 लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 60 वर्षों से अधिक समय से इस बस्ती में स्वच्छ पानी, सफाई, और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही हैं। स्थानीय लोग...

रांची, संवाददाता। सखुआ बागान, धुर्वा की लगभग 2000 लोगों की आबादी आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यतीत कर रही है। 60 वर्षों से अधिक पुरानी यह बस्ती आज स्वच्छ पानी, सफाई, जल निकासी, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार जैसी आवश्यकताओं से वंचित है। कई सरकारी योजनाएं यहां शुरू तो हुईं, लेकिन धरातल पर उनका क्रियान्वयन अधूरा रह गया। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग प्रतिदिन संघर्ष कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में यहां के लोग शामिल हुए। बस्ती की परेशानियों से अवगत कराया। विशेष रूप से कहा- गर्मी के साथ जलसंकट बढ़ने लगा है। जलस्तर नीचे होने से लोग हलकान हैं।
नगर निगम और प्रशासन से पानी की सुविधा जल्द बहाल करने की मांग की। राजधानी के कई इलाके आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसा ही हाल यहां के धुर्वा के सखुआ बागान का भी है, जहां अब भी लोग बिजली, सड़क, पार्क एवं गंदगी जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से यहां की करीब 2000 की आबादी पानी जैसी जरूरी व मौलिक आवश्यकता से वर्षों से वंचित है। यह स्थिति केवल एक अस्थायी असुविधा नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही एक गहरी उपेक्षा का परिणाम है, जो स्थानीय प्रशासन, सरकारी योजनाओं और सामाजिक जागरुकता तीनों के स्तर पर विफलता को उजागर करती है। हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में शामिल हुए स्थानीय निवासियों के अनुसार, सखुआ बागान की यह बस्ती बीते 60 वर्षों से अधिक समय से अस्तित्व में है। यहां रहने वाले लोग गरीब और मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से आते हैं। ये मेहनतकश हैं। इनमें मजदूर, घरेलू कामगार, छोटे व्यापारी और रिक्शा चालक जैसे लोग शामिल हैं, जो रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन सबसे जरूरी पीने का साफ पानी इन लोगों को आज भी नियमित रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 2019 में डीप बोरिंग, लेकिन वर्षों से खराब 2019 में नगर निगम की ओर से इलाके में एक डीप बोरिंग करवाई गई थी, जिससे लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब शायद पानी की समस्या हल हो जाएगी। शुरुआत में कुछ दिनों तक पानी मिला भी, लेकिन यह व्यवस्था लंबे समय तक टिक नहीं सकी। कुछ ही महीनों में यह बोरिंग खराब हो गई और तब से अब तक इसे ठीक नहीं कराया गया है। न तो कोई मरम्मत की पहल हुई और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था को स्थायी रूप से लागू किया गया। टैंकर से आपूर्ति-अपर्याप्त और अस्थायी समाधान वर्तमान में नगर निगम की ओर से पानी की आपूर्ति टैंकर के माध्यम से की जाती है, लेकिन वह भी सप्ताह में केवल एक या दो ही दिन। इतनी कम आवृत्ति में आने वाला पानी इस क्षेत्र की पूरी आबादी की आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ है। टैंकर के आने पर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की लंबी कतारें लग जाती हैं। कई बार आपूर्ति इतनी कम होती है कि कुछ परिवारों को पानी नसीब ही नहीं होता। इस वजह से लोग या तो महंगे दामों पर निजी स्रोतों से पानी खरीदते हैं, या फिर कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने को मजबूर हैं। हर घर नल जल योजना का अबतक लाभ नहीं केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना- हर घर नल जल के तहत सखुआ बागान में भी पाइपलाइन बिछा दी गई है और लगभग सभी घरों में नल लगा दिया गया है। लेकिन आज तक इन नलों से एक बूंद पानी भी नहीं आया है। यह स्थिति प्रशासन की लापरवाही और योजनाओं के केवल कागजों पर सीमित रहने की सच्चाई को उजागर करती है। जनता को इस योजना की घोषणा से उम्मीद थी कि अब उन्हें स्थायी समाधान मिलेगा, लेकिन हकीकत में उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी है। स्थानीय लोगों की मांग और प्रशासन से अपेक्षा स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द खराब डीप बोरिंग को ठीक किया जाए या कोई नई बोरिंग करवाई जाए। साथ ही, हर घर नल जल योजना के अंतर्गत जो पाइपलाइन और नल लगाए गए हैं, उसमें जल आपूर्ति जल्द से जल्द शुरू की जाए। टैंकर व्यवस्था को नियमित और पर्याप्त किया जाए। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की उठी मांग सखुआ बागान की महिलाएं चाहती हैं कि सरकार उन्हें किसी न किसी स्वरोजगार योजना से जोड़े। बस्ती के अधिकतर परिवारों में एक कमाने वाला और कई आश्रित सदस्य होते हैं। ऐसे में अगर महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनें तो घर की आर्थिक स्थिति सुधर सकती है। महिलाओं का कहना है कि वे सिलाई, बुनाई, सब्जी उत्पादन, डेयरी या अन्य छोटे उद्यमों में प्रशिक्षण लेकर काम करना चाहती हैं, लेकिन संसाधनों और अवसरों की कमी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। वे चाहती हैं कि सरकार महिला समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षण, ऋण और विपणन की सुविधा दे। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि पूरे समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। कचरे का नियमित उठाव नहीं, साफ-सफाई व्यवस्था बदहाल सखुआ बागान बस्ती में साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम की ओर से यहां नियमित सफाई नहीं की जाती। ठोस कचरे के ढेर बस्ती के हर कोने में दिखाई देते हैं। इस गंदगी से मच्छर और बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है। निगम के लोग बस्ती में कचरा उठाव के लिए नहीं आते हैं। स्थानीय निवासियों की मांग है कि नगर नियमित सफाई कर्मियों की तैनाती करे। नाली निर्माण नहीं होने से जलजमाव की समस्या बस्ती में कुछ वर्ष पहले पक्की सड़क का निर्माण तो हुआ, लेकिन नाली का निर्माण नहीं किया गया। इससे बरसात के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाता है और वह घरों में प्रवेश कर जाता है। कीचड़ और गंदगी फैल जाती है। इससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं। बच्चों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता ह। बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लोगों ने कहा की जल निकासी के लिए उपाय किए जाए। स्ट्रीट लाइट नहीं, अंधेरे में डूबा रहता है पूरा इलाका सखुआ बागान बस्ती में रात होते ही अंधेरा छा जाता है। बिजली के पोल पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। राहगीरों को रात में चलना बेहद मुश्किल हो जाता है। महिलाएं और बुजुर्ग असुरक्षित महसूस करते हैं। अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं, जिससे अपराध की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों और छात्रों को शाम के बाद पढ़ने या बाहर निकलने में डर लगता है। समस्याएं 1. पीने के पानी की कमी: डीप बोरिंग वर्षों से खराब, 'हर घर नल जल' योजना चालू नहीं। 2. सफाई और जल निकासी का अभाव: नियमित सफाई नहीं, नालियों की कमी से जलजमाव। 3. स्ट्रीट लाइट नहीं: रात में अंधेरा, असुरक्षा और अपराध बढ़ने का खतरा। 4. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: मोहल्ला क्लीनिक नहीं, छोटे रोगों के इलाज में भी परेशानी। 5. नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति: युवा नशे की गिरफ्त में, सामाजिक संरचना प्रभावित। सुझाव 1. खराब बोरिंग की मरम्मत: पानी की व्यवस्था बहाल हो, नल जल योजना का लाभ लोगों को मिले। 2. सफाई और जल निकासी में सुधार हो: नियमित सफाई, सीमेंटेड नाली का निर्माण हो। 3. स्ट्रीट लाइट लगाई जाए: सभी खंभों पर स्ट्रीट लाइट से रोशनी और सुरक्षा सुनिश्चित हो। 4. मोहल्ला क्लीनिक स्थापित हो: मुफ्त इलाज, दवाएं और जांच की सुविधा मिले। 5. युवाओं को नशा से निकालने के लिए प्रयास हों: खेल, स्किल ट्रेनिंग, नशा मुक्ति अभियान चलें :: बोले लोग :: हर घर में नल जल योजना के तहत पाइप लगने के बाद भी आज तक एक बूंद पानी नहीं आया। बस्ती में एक डीप बोरिंग थी, पर खराबी आ जाने के कारण उसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में हैं। अन्य कई परेशानियां हैं, लेकिन वर्तमान में बस्ती के लोगों के लिए पानी की जल्द व्यवस्था करने की जरूरत है। -रंजन यादव, समाजसेवी बरसात के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाता है। घरों में प्रवेश करने पर लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। गंदगी फैल जाती है। गंदे पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति दशकों पुरानी है। लेकिन, नगर निगम और प्रशासन ने अब तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ड्रेनेज व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। -सीमा गुप्ता पानी की समस्या का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। प्रशासनिक उदासीनता से लोगों की जिंदगी प्रभावित है। -जितेंद्र जैसवाल जल्द से जल्द खराब डीप बोरिंग ठीक कराई जाए या नई बोरिंग कराई जाए। हर घर नल जल योजना का लाभ मिले। -मुन्नी देवी बस्ती में नाली का निर्माण नहीं होने से बरसात में पानी घरों में प्रवेश कर जाता है। जहां नाली है वहां सफाई नहीं होती। -कविता कुमारी बस्ती में पानी की बड़ी समस्या है। एक डीप बोरिंग है वो भी सालों से खराब है। पानी के लिए दूर तक जाना पड़ता है। -रेखा देवी आर्थिक स्थिति खराब रहने से लोग बीमारी तक में समय पर उपचार नहीं करा पाते हैं। बस्ती में एक मोहल्ला क्लीनिक हो। -सुमित्रा देवी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ से लोग वंचित हैं। सरकार हमारी स्थिति का संज्ञान लेकर योजनाओं को लागू करे। -सुभाष देवी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। जिससे आर्थिक स्थिति सुधर सके। -सीमा देवी सरकार महिलाओं को किसी न किसी स्वरोजगार से जोड़े। बस्ती के परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो। -किरण देवी हाल के वर्षों में युवाओं के बीच नशे की लत तेजी से बढ़ी है। प्रशासन नशे पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाए। -लक्ष्मी देवी बस्ती में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पानी से लेकर नाली तक की समस्या है। यहां पर सफाई भी नहीं होती है। -क्रांति देवी गंदगी से मच्छर और बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है। बारिश में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। -मिंता देवी स्ट्रीट लाइट नहीं होने से अंधेरा फैला रहता है। रात में सड़क पर निकलने पर डर लगता है। क्षेत्र में छिनतई की घटना भी बढ़ गई है। -गुड़िया देवी
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