रिम्स के सीएसएसडी कर्मियों की हड़ताल से 30 से अधिक ऑपरेशन टले
रांची में सीएसएसडी और लांड्रीकर्मियों की हड़ताल के कारण रिम्स में सर्जिकल सेवाएं प्रभावित हुईं। छह महीने से मानदेय न मिलने पर कर्मचारियों ने हड़ताल की, जिससे कई ऑपरेशन स्थगित हुए। हालांकि, चिकित्सा...

रांची, संवाददाता। छह महीने से मानदेय नहीं मिलने पर सीएसएसडी (सेंट्रल स्टेरइल सप्लाई डिपार्टमेंट) और लांड्रीकर्मियों की हड़ताल के चलते रिम्स में मंगलवार को हालात अचानक बिगड़ गए। दर्जनों मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़े। हालांकि करीब 5 घंटे के मान-मन्नौवल के बाद कर्मचारियों के वापस आने पर कुछ मरीजों के ऑपरेशन हुए। हड़ताल सुबह आठ से दोपहर करीब 12:30 बजे तक चली। बता दें कि लंबे समय बाद मरीजों के ऑपरेशन का शेड्यूल निर्धारित किया गया था। ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को स्टरलाइज करने वाले विभाग के इन कर्मचारियों की हड़ताल के चलते हृदय रोग विभाग सहित अन्य जरूरी विभागों के ऑपरेशन पहली पाली में नहीं हुए।
हालांकि चिकित्सा अधीक्षक और चिकित्सा उपाधीक्षक द्वारा 3 दिन में मानदेय दिलाने का आश्वासन देने पर सभी कर्मचारी काम पर लौट आए। हालांकि सभी लंबित वेतन एक हफ्ते में दिलाने की बात कही गई। पांच दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश निदेशक ने संचिका में हुए विलंब को चिह्नित करके 5 दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही तीन दिन में एजेंसी के रुके भुगतान के भी आदेश दिए हैं। निदेशक ने कहा कि यदि ठेकेदार की गलती है तो उस पर अनिवार्य सेवा बाधित करने एवं निविदा शर्तों का उल्लंघन करने पर एफआईआर कराई जाएगी। अस्पताल की सर्जिकल सेवाएं प्रभावित कई विभागों में डॉक्टरों ने पहले से सभी विभागों में ऑपरेशन की तैयारी कर ली थी और मरीजों को उनकी निर्धारित तिथि के अनुसार बुलाया था। इसी बीच कर्मचारियों ने काम करने से इनकार कर दिया। ऐसे में ओटी में उपकरण उपलब्ध नहीं हुए और कई ऑपरेशन स्थगित कर दिए गए। सीएसएसडी विभाग ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले औजारों और उपकरणों की सफाई और स्टरलाइज करता है। इसके अलावा मरीजों को दिए जाने वाले लिनेन भी वहीं साफ किए जाते हैं। इस विभाग के ठप हो जाने से पूरे अस्पताल की सर्जिकल सेवाएं प्रभावित हो गईं। कर्मियों ने पूर्व में दी थी हड़ताल की सूचना सीएसएसडी कर्मचारियों ने पहले ही हड़ताल की सूचना दी थी। बताया कि उनकी मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है। दस दिन पहले ही अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया तो वे काम बंद कर देंगे। इसके बाद भी उनके वेतन भुगतान को लेकर प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई। हड़ताल पर जाने के बाद प्रबंधन की ओर से वार्ता के लिए अधिकारी पहुंचे।
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