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क्यों होती है बेवजह की उदासी? जानें कारण और बचाव के उपाय

  • जिंदगी में सब कुछ अच्छा हो रहा है, पर मन है कि गाहे-बगाहे उदासी के घेरे में डूब जाता है। बिना किसी कारण के क्यों हो जाता है मन उदास, बता रही हैं शमीम खान।

Manju Mamgain हिन्दुस्तानFri, 18 April 2025 03:02 PM
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क्यों होती है बेवजह की उदासी? जानें कारण और बचाव के उपाय

जीवन में हमें कई प्रकार के हालातों का सामना करना पड़ता है और उनका सीधा प्रभाव हमारे व्यवहार पर पड़ता है। पर, कई बार बिना किसी स्पष्ट कारण के भी दुख और उदासी महसूस हो सकती है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो परेशान न हों, क्योंकि यह बहुत सामान्य स्थिति है। जरूरी नहीं है कि हमेशा उदासी का कारण कोई दुखद घटना ही हो। हमारे शरीर और मस्तिष्क में कई बदलाव होते रहते हैं, वो भी उदासी का कारण बन सकते हैं। अनुवांशिक और पर्यावर्णीय कारक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तो जानिए, क्यों होती है बेवजह की उदासी, यह समस्या कितनी गंभीर है और इससे बचने के लिए कौन-से कदम उठाए जा सकते हैं:

क्यों होती है बेवजह की उदासी?

उदासी को लेकर आम धारणा यह है कि इसके लिए भावनात्मक आघात जिम्मेदार होता है। पर, इसके अलावा भी कई कारण आपको उदास कर सकते हैं। अकसर जब लोगों को उदासी का कारण पता नहीं होता है तो वो परेशान हो जाते हैं कि उनके साथ कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है, फिर भी वो उदास क्यों हैं। हमारे शरीर और मस्तिष्क में कई प्रक्रियाएं चल रही होती हैं, कई बार इनके साइड इफेक्ट के रूप में मन उदास हो जाता है। उदासी एक सामान्य मानव भावना है। अगर कभी-कभी उदासी महसूस होती है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन जब लगातार कई दिनों तक गहरी उदासी बनी रहे तो इसे गंभीरता से लें, क्योंकि यह क्लीनिकल डिप्रेशन में बदल सकती है। बिना किसी स्पष्ट कारण के भी उदासी हो सकती है। कई बार उदासी शरीर में होने वाले मामूली आंतरिक परिवर्तनों जैसे थकान या पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं के कारण हो सकती है। इसके अलावा, मौसम, नींद की कमी, हार्मोन संबंधी परिवर्तन, मासिक चक्र और गर्भावस्था के दौरान भी आप उदास महसूस कर सकती हैं।

जैविक कारक

उदासी में मस्तिष्क के कुछ निश्चित क्षेत्रों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं, जो भावनाओं को संचालित करते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे सेरोटोनिन या डोपामाइन का असंतुलन उदासी की भावना पैदा कर सकता है। वह भी तब जब कोई बाहरी ट्रिगर न हो। क्लीनिकल ऑटोनॉमिक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 'रसायन जैसे ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रेसिन, एंडोजेनस ओपिऑइड्स और हार्मोन्स जैसे प्रोलैक्टिन व टेस्टोस्टेरॉन भी मूड को प्रभावित करते हैं।'

हार्मोन संबंधी परिवर्तन

डायलॉग्स इन क्लीनिकल साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मासिक चक्र शुरू होने से पहले या गर्भावस्था के दौरान तनाव, उदासी-बैचेनी महसूस करने के लिए हार्मोनल बदलाव जिम्मेदार होते हैं।

अनुवांशिक कारक

मूड डिसऑर्डर पर स्टैंडफोर्ड मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, अवसाद के 50 प्रतिशत मामले अनुवांशिक होते हैं। कुछ मामलों में अवसाद का कारण पूरी तरह अनुवांशिक होता है। कई महिलाओं को उदास और दुखी रहना विरासत में मिलता है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, 'कई बार हमारे अचेतन मन में अतीत की यादें या ट्रॉमा इतनी गहरी जड़ें जमा लेती हैं कि उनका प्रभाव हमारे मूड और व्यवहार पर पड़ता है।'

पर्यावर्णीय कारक

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, 'सूरज की रोशनी का एक्सपोजर उन अणुओं के स्तर को प्रभावित करता है, जो सेरोटोनिन (हैप्पी हार्मोन) के स्तर को सामान्य बनाए रखने में सहायता करते हैं। जो लोग सूरज की रोशनी में कम समय बिताते हैं, उनमें अकसर विटामिन-डी की कमी भी पाई जाती है। विटामिन -डी की कमी डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है।'

स्वास्थ्य समस्याएं

कई स्वास्थ्य समस्याएं भी उदासी का कारण बन सकती हैं। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग अकसर उदास और दुखी रहने लगते हैं। शरीर में सूजन रहना, शारीरिक सक्रियता की कमी, कुपोषण, थकान, शरीर में ऊर्जा की कमी, नींद पूरी न होने पर भी मूड खराब रहता है।

बेवजह की उदासी से कैसे बचें

• अगर आप उदास हैं तो ज्यादा परेशान न हों। कभी-कभी उदासी को महसूस कर के ऐसे ही छोड़ देना भी काम कर जाता है।

• टहलें या अपना कोई शौक पूरा करें। इससे दिमाग दूसरी दिशा में सोचने लगता है।

• गहरी सांसें लेने या माइंडफुलनेस को आजमाने से तंत्रिका तंत्र को शांत करके भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

• अपनी देखभाल करना जैसे अच्छा खाना, पानी पीना और पर्याप्त नींद लेना भावनात्मक थकावट को दूर करने में मदद करता है।

• अपने ऐसे दोस्तों या परिवार के सदस्यों से बात करें, जिन पर आप विश्वास करती हैं।

• अगर लगातार उदासी बनी हुई है और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, तो विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।

(मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद में मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. जया सुकुल से बातचीत पर आधारित)

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