जीवनसाथी प्यार के नाम पर कहीं मेंटली टॉर्चर तो नहीं कर रहा? ऐसे पहचानें शोषण what are the behavioural indicators of emotional abuse how to deal, रिलेशनशिप टिप्स - Hindustan
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जीवनसाथी प्यार के नाम पर कहीं मेंटली टॉर्चर तो नहीं कर रहा? ऐसे पहचानें शोषण

कई दफा हम प्यार में इतने डूबे होते हैं कि सामने वाले के खराब व्यवहार को भी उसके प्यार जताने का तरीका समझ बैठते हैं। रिश्ते में शोषण के छुपे संकेतों को कैसे समझें और उससे निपटें, बता रही हैं

Aparajita हिन्दुस्तानFri, 18 April 2025 03:58 PM
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जीवनसाथी प्यार के नाम पर कहीं मेंटली टॉर्चर तो नहीं कर रहा? ऐसे पहचानें शोषण

जब दो व्यक्ति प्रेम में होते हैं, तो एक-दूसरे के प्रति सम्मान, प्यार, अपनापन, बहुत अधिक ख्याल और चिंता भी होती है। वास्तव में एक-दूसरे के प्रति ख्याल और चिंता कब नियंत्रण, अपमान और मानसिक-शारीरिक शोषण में बदल जाती है, रिश्ते में रहनेवाले दूसरे साथी को पता ही नहीं चलता है। जब शोषण की बात आती है, तो हमारा ध्यान आमतौर पर शारीरिक हिंसा की ओर जाता है। इसका दूसरा पहलू यानी मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण भी बहुत अधिक हानिकारक होता है। सभी रिश्तों में मतभेद और गलतफहमियां होती हैं, लेकिन जब सम्मान और स्वतंत्रता की जगह डर और साथी का नियंत्रण लेने लगे, तो वह रिश्ता मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से खतरनाक हो जाता है। शोध से साबित हुआ है कि जिन रिश्तों में ‘भावनात्मक बराबरी’ होती है, उनमें साथी का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। शोषण का शिकार होना आपकी गलती नहीं है। खुद को दोष देने की आदत ही वह पहला जाल होता है, जिससे निकलना सबसे मुश्किल होता है। लेकिन एक बार जब आप खुद को समझना और अपनाना शुरू करते हैं, तो खुद को ठीक करने का रास्ता भी खुलता जाता है।

क्या कहते हैं शोध

हेल्थ साइकोलॉजी रिसर्च जर्नल के शोध बताते हैं कि 90 प्रतिशत मामलों में महिलाएं रिश्तों में हो रहे शोषण और दुर्व्यवहार को नजरअंदाज कर देती हैं। द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंडियन साइकोलॉजी की स्टडी बताती है कि भारतीय महिलाएं भावनात्मक शोषण को सामान्य बात मानती हैं। ऐसे संबंधों में रहने वाले लोगों में अवसाद, एंग्जायटी और पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) जैसे मानसिक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है। अब सवाल यह है कि रिश्ते में शोषण की पहचान कैसे करें?

हमेशा डर और दबाव में जीना

यदि आप हर समय यह सोचकर जी रही हैं कि पार्टनर को कैसे खुश रखें, उसे क्या कहें और क्या न कहें। किस बात को उससे छुपाएं और किस बात को जाहिर करें, तो ये सारी बातें इस बात का संकेत हैं कि आपके रिश्ते में प्यार और सम्मान खत्म हो गया है। यह रिश्ता एकतरफा और किसी एक पार्टनर द्वारा नियंत्रित करने वाला बन चुका है।

आपकी बात को झुठला देना

जब आपका पार्टनर बार-बार आपकी बातों को झुठला देता है या उसे आपकी किसी बात पर विश्वास नहीं रहता है, तो इसका मतलब है कि वह रिश्ते को अपने नियंत्रण में ले रहा है। पार्टनर यह कहे कि ‘तुम्हें गलतफहमी हुई है’, ‘तुम ज्यादा सोचते हो’, तो यह मानसिक शोषण की गंभीर निशानी है।

भावनात्मक उपेक्षा और अपमान

दोनों पार्टनर में से कोई एक-दूसरे की भावनाओं को महत्व नहीं दे, तो इसका सीधा सा मतलब है कि वह रिश्ते को खराब कर रहा है। साथी को बार-बार अपमानित करना भी शोषण की श्रेणी में आता है।

सामाजिक रूप से अलग-थलग करना

जब आपका साथी आपको दोस्तों या परिवार से दूर करने लगे, तो समझिए कि वह आपके ऊपर पूरा नियंत्रण चाहता है। साथ ही, आप पर किसी भी प्रकार की भद्दी टिप्पणी भी शोषण का परिचायक है।

वित्तीय निर्भरता थोपना

खर्चों पर नियंत्रण रखना, पैसा देने से मना करना या नौकरी करने से रोकना आदि भी यह आर्थिक शोषण के संकेत हैं।

घरेलू हिंसा

एक गैर सरकारी संगठन के आंकड़ों के अनुसार,18-49 वर्ष की आयु की 32% विवाहित महिलाओं को पति द्वारा हिंसा का सामना करना पड़ता है। रिश्ते में किसी भी तरह की हिंसा का सामना करना भी शोषण की ही निशानी है।

इससे निपटने के हैं 5 उपाय

1) अगर आपको बार-बार लगता है कि 'कुछ तो गलत है', तो आपकी यह भावना बेवजह नहीं है। यदि साथी की उपस्थिति मन में भय लाए, तो इस ओर ध्यान दें।

2) दोस्त, परिवार या काउंसलर से अपनी बात साझा करने की कोशिश करें। रिश्ते में शोषण को दूर करने का सबसे पहला उपाय है—चुप्पी तोड़ना। साथी द्वारा अपने प्रति हो रही ज्यादती के बारे में लोगों से बात करें।

3) यदि सुरक्षित हो, तो अपने साथ हुई घटनाओं का रिकॉर्ड रखें। यदि साथी चिल्लाकर गलत बात बोलता है या आप पर हाथ उठाने की कोशिश करता है, तो इन घटनाओं को रिकॉर्ड करने की कोशिश करें। इससे भविष्य में मदद मिल सकती है।

4) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, हेल्पलाइन या सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ें। यहां आपकी बेहतरी की राह बनाने वाले मौजूद हैं।

(कैडाबम्स माइंडटॉक में सीनियर साइकोलोजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट नेहा पराशर से बातचीत पर आधारित)

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