सनस्क्रीन लगाना सही है या गलत? जानें क्या कहती है नई रिसर्च
हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन

पिछले कुछ समय से सनस्क्रीन को ले कर अलग-अलग तरह की खबरें आ रही हैं। एक खबर यह भी थी कि सनस्क्रीन त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकता है। लेकिन कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन के मुताबिक सूरज की अल्ट्रावायलेट विकिरण से हमारी त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए, प्रोटीन्स और उनमें मौजूद सूक्ष्म कणों को नुकसान पहुंच सकता है और सनस्क्रीन से ही इसका बचाव होता है। इस अध्ययन में शामिल प्रोफेसर रिचर्ड गैलो के अनुसार दुनिया भर में मेलेनाेमा स्किन कैंसर के 80 प्रतिशत मामलों की वजह धूप से त्वचा का झुलसना ही है। सनस्क्रीन में मौजूद एसपीएफ का मतलब होता है, सन प्रोटेक्शन फैक्टर। यह जितना अधिक होगा, त्वचा को वो सूरज की किरणों से उतना ज्यादा सुरक्षित रखेगा। इसलिए दिन में अगर दस बजे से चार बजे तक आप बाहर रहती हैं तो घर से निकलने से आधा घंटा पहले सनस्क्रीन लगा कर ही निकलें।
बढ़ी है महिलाओं की आर्थिक भागीदारी
इकोनाॅमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार देश में महिलाओं का बैंक अकाउंट का प्रतिशत अब बढ़ कर 39.2 हो गया है। यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत 42 से अधिक है। महिलाएं सिर्फ बैंक अकाउंट ही नहीं खुलवा रहीं, बचत भी कर रही हैं। वुमन एंड मेन इन इंडिया 2024 शीर्षक से प्रकाशित इस सरकारी खबर में विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़े दिए गए हैं। इस खबर के अनुसार शहरी क्षेत्र की 26 प्रतिशत महिलाएं अब अपने नाम से डीमैट अकाउंट भी खुलवा रही हैं और उसके जरिये निवेश कर रही हैं। निवेश के मामले में महिलाओं की बढ़ती दिलचस्पी और भागीदारी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सुखद संकेत है।
मां बनने की चाह ऐसे भी होगी पूरी
एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में हर पांच हजार में से एक महिला का गर्भाशय कार्यशील नहीं होता। यानी वो भ्रूण को वहन नहीं कर सकता। ब्रिटेन की 36 साल की महिला ग्रेस डेविडसन ऐसी ही एक महिला हैं। उन्होंने कुछ साल पहले आईवीएफ के जरिये भी गर्भधारण करने की कोशिश की थी, पर इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर पता चला कि उनकी बच्चेदानी में ही दिक्कत है। फिर डॉक्टरों की सलाह पर पहली बार उनका गर्भाशय प्रत्यारोपित किया गया। उन्हें गर्भाशय देने वाली और कोई नहीं, उनकी बहन ऐमी थी। फरवरी, 2025 में लंदन में प्रत्यारोपित गर्भाशय के जरिए ग्रेस ने एक बेटी को जन्म दिया। डॉक्टरों के अनुसार ऐसा पहली बार हुआ है। चिकित्सा के क्षेत्र में इसे एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है। दो साल पहले सर्जरी द्वारा ऐमी का गर्भाशय ग्रेस को ट्रांसप्लांट किया गया था। बीबीसी में प्रकाशित इस खबर के अनुसार यह एक चमत्कार से कम नहीं है।
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