आसान नहीं है नॉर्मल डिलीवरी, बच्चे के जन्म के बाद महिला को झेलनी पड़ती हैं ये 5 चुनौतियां 5 Challenges Women face after normal delivery, पेरेंटिंग टिप्स - Hindustan

आसान नहीं है नॉर्मल डिलीवरी, बच्चे के जन्म के बाद महिला को झेलनी पड़ती हैं ये 5 चुनौतियां

सी-सेक्शन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि नॉर्मल डिलीवरी आसान है। नॉर्मल डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को ये 5 परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 May 2025 03:27 PM
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आसान नहीं है नॉर्मल डिलीवरी, बच्चे के जन्म के बाद महिला को झेलनी पड़ती हैं ये 5 चुनौतियां

प्रेगनेंट महिला का आखिरी फेज डिलीवरी होता है। ऐसे में नौ महीनों तक बेबी को पेट में रखने के बाद हर महिला को एक चिंता सताती है कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या फिर सी सेक्‍शन से। सी-सेक्शन डिलीवरी और नॉर्मल डिलीवरी में मुख्य अंतर यह है कि सी-सेक्शन में बच्चे को जन्म देने के लिए मां के पेट को काटकर गर्भाशय से बच्चे को निकाला जाता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा प्राकृतिक रूप से वजाइना के जरिए जन्म लेता है। वैसे तो दोनों तरह की डिलीवरी के अपने फायदे और नुकसान हैं। लेकिन सी सेक्शन के मुताबिक नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। दादी-नानी भी नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा आसान मानती हैं, लेकिन ये उतनी भी आसान नहीं है, क्योंकि इस डिलीवरी के बाद भी महिलाएं को कुछ चुनौतियों से गुजरना पड़ता है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं ये 5 चुनौतियां

1) योनि और मलाशय के बीच के हिस्से को पेरिनियम कहा जाता है। यह कभी-कभी प्रसव के दौरान फट जाता है। जिसकी वजह से आपको थोड़ी सी परेशानी या दर्द महसूस हो सकता है। इसे ठीक होने में 3 हफ्ते तक का समय लग सकता है।

2) नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाओं को कब्ज और बवासीर परेशान कर सकती है। जिसे ठीक होने में समय लगता है। इससे निपटने के लिए हाई फाइबर वाला खाना और भरपूर मात्रा में लिक्विड और पानी कब्ज से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके अलावा गर्म सिट्ज़ बाथ बवासीर की सूजन को कम करने और संक्रमण की संभावना को रोकने में मदद करता है।

3) नॉर्मल डिलीवरी के लिए महिलाएं लंबे समय तक प्रसव पीड़ा से गुजरती हैं। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने के लिए जोर लगाने से होने वाली शारीरिक मेहनत से थकावट और कमजोरी हो सकती है। जिससे शरीर को हील होने में समय लग सकता है।

4) नॉर्मल डिलीवरी के लिए योनि और पेरिनियम में टांके लगाए जाते हैं। जिन्हें ठीक होने में दो हफ्ते का समय लग सकता है और जब तक ये ठीक नहीं होते हैं तब तक पैरों को फोल्ड करके बैठने की मनाही होती है ऐसे में पैरों को हमेशा फैलाकर बैठना चुनौती भरा हो सकता है।

5) नॉर्मल डिलीवरी के बाद कमर दर्द भी महिला को परेशान कर सकता है। ये कई कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हुए बदलाव से दर्द हो सकता है। वहीं डिलीवरी के बाद मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, जिससे पीठ और कमर में दर्द हो सकता है।

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डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी सवाल के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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