साथ में मिलकर करें वित्तीय प्लानिंग तो भविष्य होगा सुरक्षित, देखें काम के टिप्स
- नए जीवन की शुरुआत के साथ जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और साथ में बढ़ता है आर्थिक दबाव भी। आपके साथ ऐसा न होने पाए इसके लिए अपने पार्टनर के साथ मिलकर आर्थिक साझेदारी तय करें और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ें। कैसे? बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी

सात फेरों के बाद दो शख्स मैं से हम बनते हैं। तब उनकी जिंदगी में तमाम जिम्मेदारियों के साथ ही आती है,आर्थिक जिम्मेदारी भी। इस जिम्मेदारी को कई बार सिर्फ एक कंधे पर डाल दिया जाता है। बदलते समय के साथ यह जिम्मेदारी अब दोनों कंधे उठाने लगे हैं। नतीजा, भार कम होने लग गया है। पर, क्या नियोजित हुआ है? अगर नहीं तो इसकी जरूरत है। आपका साथ में मिलकर वित्तीय योजनाओं को बनाना और उसे सही दिशा में ले जाना बेहद जरूरी है। आप दोनों का यह प्रयास न सिर्फ आपके रिश्ते में विश्वास लाएगा बल्कि आपको आपके आर्थिक लक्ष्यों के करीब भी पहुंचाएगा।
वित्तीय लक्ष्य में हो जुगलबंदी
जब हम दुख-सुख साझा करते हैं, जिंदगी को मिलकर प्लान करते हैं, तो वित्तीय योजनाएं भी साझा होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है, अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं को समझना और जानना। आपको मालूम होना चाहिए कि क्या आपको घर खरीदना है? या फिर बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचाने हैं? या फिर रिटायरमेंट के लिए निवेश करना है? मुमकिन है कि आप दोनों के अलग-अलग सपने हों। ऐसे में बेहतर होगा कि आप उन्हें अपने पार्टनर से साझा करें। आपका ऐसा करना आपसी सहमति बनाने में मददगार होगा। जब आप एक दिशा में काम कर पाएंगी, तो यकीनन आप अपने आर्थिक सपनों को सही तरीके से पूरा करने की ओर कदम बढ़ा पाएंगी।
बजट है जरूरी
बजट बनाना वित्तीय स्थिति को नियंत्रित करने में मददगार होता है। जब दो अलग-अलग लोग कमाते और खर्च करते हैं, तब आमदनी और खर्चों का हिसाब रखना और भी जरूरी हो जाता है। इस बाबत वित्तीय सलाहकार उमा शंकर शर्मा कहते हैं कि हर महीने के खर्चों का सही-सही अनुमान लगाना चाहिए और फिर उन खर्चों को आवश्यक खर्च और अनावश्यक खर्च के तौर पर दो हिस्सों में बांट लेना चाहिए। यहां ये समझना बहुत जरूरी है कि आप किस प्रकार के खर्चों को कम कर सकती हैं और कहां बचत कर सकती हैं।
समान रूप से बांटें खर्च
हर शख्स की आमदनी उसकी काबिलियत, काम के आधार पर अलग-अलग होती है। तो ऐसे में मुमकिन है कि आप दोनों में से किसी आय कम हो तो किसी की ज्यादा। यह स्थिति खर्चों को लेकर असहमति का कारण बन सकती है। ऐसा आपके साथ न हो इसके लिए आप दोनों अपनी आमदनी के हिसाब से खर्चों को बराबरी से बांटने का तरीका आजमा सकती हैं। ऐसा करने से न तो किसी पर आर्थिक दबाव आएगा और न ही किसी में हीन भावना आएगी।
करें चर्चा
आसपास वालों से आपको भी सलाह मिली होगी कि अपने पैसों के बारे सच-सच अपने पार्टनर को नहीं बताना चाहिए। पर, अगर आप दोनों एक-दूसरे से अपने वित्तीय लक्ष्यों, खर्चों और निवेश के बारे में खुलकर बात करेंगी तो यकीनन समस्याओं का हल जल्दी निकाला जा सकता है। बातचीत से आपको पार्टनर की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल पाएगी और आप जान पाएंगी कि आप कितना खर्च और निवेश करने की स्थिति में हैं। यकीन मानिए, इस मामले में आपसी पारदर्शिता आपसी विश्वास का आधार बन जाएगी।
सोच-समझकर करें सटीक निवेश
जब आप पहले चरण यानी अपनी आमदनी का एक हिस्सा बचाने और खर्चों को प्रबंधित करने में पास हो जाते हैं, तो दूसरी जरूरी बात पर ध्यान जाता है- वह है निवेश। यह भी एक साथ मिलकर और सोच- समझकर करना चाहिए। इसके लिए आपके पास शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड्स, रियल एस्टेट या गोल्ड वगैरह के विकल्प हैं। महिलाओं को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ स्कीम चल रही हैं, जिनमें अच्छी ब्याज दरें मिल रही हैं। आप उस ओर भी सोच सकती हैं। अगर आप दोनों को निवेश के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, तो एक वित्तीय सलाहकार की मदद लेना बेहतर होगा। सही निवेश के जरिये आप भविष्य में अपने लक्ष्य आसानी से हासिल कर पाएंगी।
इमरजेंसी फंड है जरूरी
जिंदगी में समस्याएं बता कर नहीं आतीं। बीमारी, नौकरी छूटना या घर के किसी सदस्य का बीमार पड़ जाना जैसी समस्याएं कभी भी आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकती हैं। ऐसी स्थितियों के लिए आपको आर्थिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। लिहाजा, बिन बताए आ जाने वाले खर्चों के लिए आपके पास इमरजेंसी फंड का होना जरूरी है। बकौल, उमा शंकर, यह फंड आपके कम से कम 6 महीने के खर्चों के बराबर होना चाहिए।
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