Mother's Day Special:मुश्किल समय को भी आसान बना देती हैं मां की दी हुई ये सीखें, इस मदर्स डे आप भी लें Mothers Day Special: These learning given by each mother makes difficult times easy everybody should learn from this, लाइफस्टाइल - Hindustan
Hindi Newsलाइफस्टाइल न्यूज़Mothers Day Special: These learning given by each mother makes difficult times easy everybody should learn from this

Mother's Day Special:मुश्किल समय को भी आसान बना देती हैं मां की दी हुई ये सीखें, इस मदर्स डे आप भी लें

Mother's Day Special:'मदर्स डे' मतलब मां को खास महसूस करवाने का दिन। कल मदर्स डे है। यही वो दिन भी है, जब मां की दी हुई सीखों को याद कर लिया जाना चाहिए, ताकि जिंदगी आसान बनी रहे, बता रही...

Manju Mamgain हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSat, 9 May 2020 02:27 PM
share Share
Follow Us on
Mother's Day Special:मुश्किल समय को भी आसान बना देती हैं मां की दी हुई ये सीखें, इस मदर्स डे आप भी लें

Mother's Day Special:'मदर्स डे' मतलब मां को खास महसूस करवाने का दिन। कल मदर्स डे है। यही वो दिन भी है, जब मां की दी हुई सीखों को याद कर लिया जाना चाहिए, ताकि जिंदगी आसान बनी रहे, बता रही हैं चयनिका निगम। दोपहर के 2 बज रहे थे। मैं और मेरा भाई खेलते-खेलते स्टोर रूम में छुप गए और फिर अंदर से उसे बंद भी कर लिया। अब मस्ती करने के बाद बाहर आने की बारी आई तो दरवाजे ने खुलने से साफ इनकार कर दिया। मुश्किल से दो बार ही कोशिश की होगी कि फिर लगे हम दोनों रोने। मां जब आईं, तब तक हम दोनों भाई-बहन इतनी तेज रो रहे थे कि मोहल्ले के दो-चार लोग हमारे घर आ चुके थे। मां बाहर से हमसे बात करना चाह रही थीं, लेकिन हमारी रोने की आवाज इतनी तेज थी कि हम खुद कुछ सुन ही नहीं पा रहे थे।

इसी चिल्लाने और हाथ से निकलती हुई स्थिति के बीच अचानक से दरवाजे के नीचे से चॉकलेट अंदर आई तो लगा, अरे ये कैसे हुआ? लेकिन ठीक उसी वक्त चॉकलेट को देखकर मानो हमारा ध्यान ही इस बात से हट गया कि हम बंद हो गए हैं। दरअसल मां ने हमें चॉकलेट खिलाने के मकसद से अंदर नहीं भेजी थी, बल्कि वो तो हमारा ध्यान हटाना चाहती थीं। उस दिन हम लोग बाहर तो आ गए थे, लेकिन मां ने एक सीख जरूर दे दी थी कि बुरे समय में परेशान होने से काम नहीं चलता है, बल्कि हमें तो शांत मन से स्थिति पर काबू पाना होता है।

24 साल की प्राची की जिंदगी से जुड़ा ये किस्सा मां की अहमियत समझाता है। समझा देता है कि कितने भी अच्छे स्कूल या कॉलेज में पढ़ लो, लेकिन मां जो सीख देती हैं, वो सिर्फ उन्हीं से मिल सकती है। और सिर्फ ये ही सीखें हैं, जो जिंदगी की चुनौतियों का सामना करना सिखा देती हैं। सिखा देती हैं कि हम हमेशा जीतेंगे नहीं और हमेशा हारेंगे भी नहीं। ऐसी ही कमाल की सीखें जो सिर्फ मां देती हैं, उनको मदर्स डे के दिन याद कर लीजिए। इनमें से कुछ का हिसाब-किताब यहां हम दे देते हैं।

कद्र करना सिखा दिया-
आपको जो भी मिला है, उसकी अहमियत समझना कितना जरूरी है? जवाब में सारी मांएं एक सुर में बोलेंगी, बहुत जरूरी। वजह, वो यही अपने बच्चों को सिखाती चली आ रही हैं। मांएं. ये चाहिए, वो चाहिए वाली दौड़ से अपने बच्चों को दूर ही रखना चाहती हैं। इसलिए इस सीख की शुरुआत मांएं इस सलाह के साथ करती हैं कि अपनी चीजों को संभालो, उन्हें बर्बाद मत करो। जब अपनी चीजों की अहमियत समझेंगे तो ही वो साथ रहेंगी और उनकी जरूरत भी बरकरार रहेगी। पहले-पहल अहमियत का ये पाठ छोटी-छोटी चीजों से शुरू होता है, जैसे पेंसिल बॉक्स, कलर्स और अपने फेवरेट खिलौने आदि। फिर यही आदत आगे चल कर करियर, परिवार, दोस्त और रिश्तों पर भी लागू होगी। बच्चा बड़े होते हुए दोस्त, फिर रिश्तों और परिवार को वैसे ही जिंदगी में संभालेगा, जैसे अपने जरूरी सामानों को संभालता आया है। करियर, परिवार, दोस्त और रिश्तों का साथ सबको खुश रहने में मदद करता है।

हिम्मत...जग जीतने की-
हिम्मत सिर्फ शारीरिक शक्ति नहीं दिखाती है, बल्कि ये तो दिल और मन का साहस भी होती है। साहस, जो आपको बुरे समय में भी डट कर खड़े रहने दे। मां इसी हिम्मत का तो पाठ पढ़ाती है। वो भी बहुत मामूली तरीके से। जैसे, पेशे से टीचर तनुश्री ने पिछले साल अपने काम से ब्रेक ले लिया था। वजह थी बेटी की दसवीं की परीक्षा। तनुश्री से जब बेटी ने पूछा कि ऐसा क्यों कर रही हैं, तो उनका जवाब था ताकि तुम सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे पाओ। तनुश्री इसी बहाने बेटी को समझाना चाहती थीं कि जब कुछ चाहो तो उसको पाने के लिए पूरे दिल से सब कुछ भूलकर जुट जाओ। जीतने के लिए लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी होता है। वो कहती हैं, ‘बच्चे एक साथ सब कुछ मैनेज नहीं कर सकते, इसलिए मैंने कुछ दिन घर पर रहने का फैसला किया था। इसी बहाने बेटी को मकसद और उसकी अहमियत दोनों समझ आ गए।' बड़े हो जाने पर यही फोकस करने की कला आ जाती है और बच्चे अपने ध्येय पर नजर बनाए रखते हैं।

गुणों को सहेज लेना-
मां आपको दूसरों की अच्छाइयां या गुणों से सीख लेने का सुझाव भी अपनी परवरिश के साथ दे देती हंै। वो बताती हैं कि बुरे के साथ बुरे मत बनना, लेकिन अच्छे के साथ अच्छा बनने की कोशिश जरूर करना। यही वजह है कि वो खुद के अंदर की अच्छाइयों और खासियतों को बिना सिखाए ही सिखा देती है। ठीक ऐसा ही 47 साल की मंजू श्रीवास्तव ने भी किया था। वो कहती हैं, ‘मैं अकसर आस-पड़ोस की गरीब लड़कियों को घर बुलाकर मुफ्त में कढ़ाई सिखाया करती थी। मेरा बेटा छोटी उम्र से ये सब देखता था। उसने कभी खुद ये सब काम नहीं किया। उसे डिजाइनिंग अच्छी लगती थी, ये मुझे अभी 2 साल पहले तब पता चला जब वो वेब डेवलपर बना। वो वेबसाइट डिजाइन करता है और उसने डिजाइनिंग को इस तरह से अपनाया है। खास बात ये भी है कि वो अपने हैल्पर के बच्चों को मुफ्त में वेब डिजाइनिंग के बेसिक स्किल्स भी सिखाता है। कह सकती हूं कि बच्चे भी अपनी मां से लगातार सीखते हैं, इसलिए मां सही करेगी तो बच्चे भी छुटपन से ही सही और गलत को पहचानना सीख लेंगे।'

मिलजुल कर रहना-
दस लोगों के भरे-पूरे परिवार में रहते हुए 23 साल की मेघा ने अपनी मां को नौकरी पर जाते भी देखा और घर के काम और बाकी जिम्मेदारियां निपटाते भी। इसके बाद कई बार परिवार में हुई गलतफहमियों को भी उन्होंने ऐसे हैंडल किया कि मानो कुछ हुआ ही ना हो। उसने अपनी मां को बुरे से बुरे समय में भी बहस करते या फिर बुरा-भला कहते सुना ही नहीं।

यही वजह है कि मेघा ने सबके साथ बनाकर रखने की कला बहुत अच्छे से सीख ली है। वो घर और ऑफिस दोनों जगह ही सबकी प्यारी है। जिन लोगों को उसमें कमियां दिखती हैं, वो उसे बताते हैं लेकिन सुधार के मकसद से। जबकि आमतौर पर लोग कमियां बताते हैं, मगर उनका रवैया नकारात्मक होता है। मगर मेघा के व्यवहार को देखते हुए जैसे मानो सब उसके ही पाले में खड़े रहते हैं।

परिवार समझे मां की भूमिका-
अकसर देखा जाता है कि मां की परवरिश के तरीके में परिवार वाले कमियां ही निकालते रहते हैं। जबकि वैज्ञानिक तरीके से भी ये बात सिद्ध हो चुकी है कि बच्चा सबसे पहले मां को ही पहचानना शुरू करता है। उसी की बातों को मानता और समझता है। इसलिए जिंदगी में मां की अहमियत को परिवार समझे और बच्चे की परवरिश में मदद भी करें। इस तरह मां दोगुने साहस से परवरिश में जुट जाएगी। ये भी देखा जाता है कि बच्चे भी एक उम्र के बाद मां की बातों में कमियां निकालने लगते हैं। उन्हें मां के सुझाव बेमतलब लगते हैं। लेकिन यकीन कीजिए समय आने पर उन्हें ये बातें समझ जरूर आती हैं और काम भी आती हैं।

कुछ और बातें, जो मां है बताती-
-मानसिक और शारीरिक परिवर्तन का एहसास
-घर से जुड़ी जिम्मेदारियों को समझाना
-अच्छी-बुरी बातें बताना
-अपनी सुरक्षा के बारे में आगाह करना
 

(क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता से बातचीत पर आधारित)

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।