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नहीं पहुंची एम्बुलेंस तो प्रसूता को झोली के सहारे इलाज के लिए निकले परिजन, मौत

मध्यप्रदेश के बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है। यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है। भंडारपानी की 28 वर्षीय जग्गोबाई पति इंदर की डिलीवरी तीन दिन पहले गांव में हुई...

Mrinal Sinha The Pebble, नई दिल्लीFri, 11 Sep 2020 02:14 PM
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नहीं पहुंची एम्बुलेंस तो प्रसूता को झोली के सहारे इलाज के लिए निकले परिजन, मौत

मध्यप्रदेश के बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है। यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है। भंडारपानी की 28 वर्षीय जग्गोबाई पति इंदर की डिलीवरी तीन दिन पहले गांव में हुई थी। जहां उसने बेटी को जन्म दिया। लेकिन जब प्रसूता का तबियत गांव में कोई सुविधा नहीं होने से एम्बुलेंस को फोन किया गया। गांव के लाेगाें ने लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा (सड़क तक) ले आए। जग्गो बाई के लिए इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई। इस परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए जहां गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार किया।

दावा किया गया है बुधवार दोपहर 12.46 बजे 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया, भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि यहां के अधिकांश बच्चों की डिलीवरी गांव में ही होती है क्योंकि गर्भवती ऐसी हालत में नीचे नहीं आ पाती।

3 दिन के बच्चे का कौन बनेगा सहारा

श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही। अगर एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं हो सकती थीं। इस मौत का कौन जिम्मेदार है। अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा। सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए। ताकि परिवार चल सकें।

घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की नूतनडंगा पंचायत के भंडारपानी गांव की हजारों फीट ऊंची पहाड़ी से उतरने पर इमलीखेड़ा आता है। यहां से घोड़ाडोंगरी सामुदायिक अस्पताल की दूरी महज 25 किलोमीटर और शाहपुर 30 किमी और बैतूल की 50 किलोमीटर है। अगर प्रयास किए जाते तो 20 से 25 मिनट में ही एंबुलेंस मौके पर पहुंचकर महिला को घोड़ाडोंगरी या शाहपुर अस्पताल पहुंचा सकती थी, इससे महिला की जान बच जाती।

जिम्मेदार मामले से जता रहे अनभिज्ञता

सीएचएमओ डॉ. प्रदीप धाकड़ ने बताया कि भंडारपानी में महिला के माैत की जानकारी संज्ञान में नहीं है। हो सकता है कि 108 काेविड में लगी होगी इसीलिए नहीं पहुंच पाई होगी।108 एम्बुलेंस के मैनेजर एके राजपूत ने कहा कि जिस नंबर से कॉलिंग हुई होगी, उसे ट्रेस कराया जाएगा। एंबुलेंस नहीं मिल पाने के क्या कारण रहे हैं। इसे चेक करवाता हूँ। कोई कारण जरूर होगा ऐसे लापरवाही नहीं बरता जा सकता है।

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