मुगलों को याद करने के दिन बीते, अब दिल्ली के लाल किले में गूंजेगी सम्राट विक्रमादित्य की शौर्य गाथा
भारत में अब मुगल बादशाहों बाबर, अकबर और औरंगजेब के दिन अब बीत चुके हैं। अब भगवान राम, विक्रमादित्य और छत्रपति शिवाजी की शौर्य गाथा को याद करने का युग आ रहा है। यह बदलाव भारत के इतिहास को सही रूप देने का प्रयास है।

भारत में अब मुगल बादशाहों बाबर, अकबर और औरंगजेब के दिन अब बीत चुके हैं। अब भगवान राम, विक्रमादित्य और छत्रपति शिवाजी की शौर्य गाथा को याद करने का युग आ रहा है। यह बदलाव भारत के इतिहास को सही रूप देने का प्रयास है। फिल्मों में भी भगवान राम से लेकर मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज तक महान राजाओं को दिखाया जा रहा है। इसी क्रम में एक अन्य महान सम्राट विक्रमादित्य की विरासत अब एक नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से जल्द हमारे सामने आने वाली है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि राजधानी दिल्ली के लाल किले में 12 से 14 अप्रैल तक महान सम्राट विक्रमादित्य के व्यक्तित्व एवं शौर्य को उजागर करने वाले तीन दिवसीय विक्रमादित्य महानाट्य आयोजित किया जाएगा। सीएम ने कहा कि इसका मकसद अतीत के गौरवशाली इतिहास को जन सामान्य के सामने लाना और 2 हजार वर्ष पहले सम्राट विक्रमादित्य द्वारा सुशासन के सिद्धांतों पर स्थापित शासन संचालन व्यवस्था और उनकी कीर्ति से रूबरू कराना है।
सीएम यादव ने शनिवार को दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए बताया कि उज्जयिनी के सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य युग परिवर्तन और नवजागरण की महत्वपूर्ण धुरी रहे हैं। उनके द्वारा प्रवर्तित विक्रम सम्वत् हमारी एक अत्यंत मूल्यवान धरोहर है। उन्होंने कहा कि विक्रम सम्वत् हिंदू समाज का महज एक पर्व या नव वर्ष भर नहीं है। विक्रम सम्वत् तथा सम्राट विक्रमादित्य भारत के गौरव को, मनोबल को और राष्ट्र की चेतना को जागृत करने का एक सर्वोत्तम अवसर है। इसी क्रम में सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन, न्याय प्रियता, दानशीलता, पराक्रम आदि को उजागर करने वाला तीन दिवसीय विक्रमोत्सव राजधानी में आयोजित कया जा रहा है। विक्रमादित्य शोध पीठ, मध्य प्रदेश सरकार की ओर आयेजित विक्रमोत्सव के दौरान नाटक, प्रदर्शनी और अन्य कार्यक्रमों के जरिये सम्राट विक्रमादित्य का जीवनवृत्त परिलक्षित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि करीब 2100 वर्ष पहले विक्रमादित्य का काल शौर्य, न्याय, साहित्य, धर्म कला, संस्कृति, ज्ञान, विज्ञान, उद्याेग, व्यापार, आदि के बल और प्रताप की चमक से विश्व को चमत्कृत करने का समय था। यह वह समय था जब दुनिया के कई भागों में भारत की संस्कृति और धर्म की सुगंधि विस्तारित थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के विराट व्यक्तित्व को सबके सामने लाने के लिए महानाट्य की कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि जब इसका मंचन दिल्ली में 12, 13 और 14 अप्रैल को लाल किले पर होगा तो इसमें हाथी, घोड़ों, पालकी के साथ 250 से ज्यादा कलाकार अभिनय करते नजर आएंगे। महानाट्य में शामिल कलाकार निजी जीवन में अलग-अलग क्षेत्र के प्रोफेशनल्स हैं। महानाट्य में वीर रस समेत सभी रस देखने को मिलेंगे। महानाट्य का मंचन गौरवशाली इतिहास को विश्व के सामने लाने का मध्यप्रदेश सरकार का एक अभिनव प्रयास है। इस कालजयी रचना को सबके सामने रखने में दिल्ली सरकार का भी सहयोग मिल रहा है। इससे पहले हैदराबाद में भी विक्रमादित्य महानाट्य की प्रस्तुति हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विरासत से विकास ओर’ नारे से प्रेरणा लेकर ऐसे ही आयोजन अन्य राज्यों की राजधानी में भी आयोजित किए जाएंगे।
डॉ. यादव ने व्याख्यान माला में उपस्थित सभी श्रोताओं को आगामी 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली में आयोजित होने वाले सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि इस महानाट्य के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की वीरता, दानशीलता, सहनशीलता को जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा। इससे दर्शकों को विक्रमादित्य के दर्शन को जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा मिलेगी।
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