औरंगजेब की कब्र पर ना खर्च करें सरकारी धन, CCTV लगाए रखें; कब्र विवाद में राज ठाकरे की मांग
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने कहा कि उस स्थान पर एक बोर्ड लगाया जाना चाहिए जिस पर लिखा हो कि हम मराठों ने औरंगजेब को यहीं दफनाया है जो हमें खत्म करने आया था।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने मंगलवार को कहा कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर सरकारी धन खर्च नहीं किया जाना चाहिए। यह मांग ऐसे समय में आयी है जब दक्षिणपंथी संगठन कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं। राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के एक स्थानीय प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर दिलीप स्वामी को एक ज्ञापन सौंपकर मध्य महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुलताबाद स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित कब्र से संबंधित पांच मांगों को सूचीबद्ध किया।
मनसे ने कहा कि उस स्थान पर एक बोर्ड लगाया जाना चाहिए जिस पर लिखा हो, ‘‘हम मराठों ने औरंगजेब को यहीं दफनाया है जो हमें खत्म करने आया था।’ ’ज्ञापन के अनुसार, कब्र के आस-पास की सजावट को हटाया जाना चाहिए और जिस क्षेत्र में यह ढांचा है, वहां सीसीटीवी की निगरानी होनी चाहिए। साथ ही, ढांचे के रखरखाव पर सरकारी धन खर्च नहीं किया जाना चाहिए।
विद्यार्थियों को अध्ययन करने भेजें
पार्टी ने कहा कि जिले के विद्यालयों के छात्रों को मकबरे के अध्ययन दौरे पर भेजा जाना चाहिए ताकि वे विवादास्पद मध्यकालीन मुगल बादशाह से जुड़े इतिहास को जान सकें। मनसे का यह ज्ञापन औरंगजेब की कब्र को हटाने की दक्षिणपंथी संगठनों की मांग के बीच आया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा था कि लोग मुगल बादशाह औरंगजेब को पसंद करें या न करें, लेकिन उसकी कब्र एक संरक्षित स्मारक है, लेकिन किसी को उसका महिमामंडन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश
इससे दो दिन पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगजेब की कब्र को लेकर कथित तौर पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयासों की निंदा की थी और कहा था कि इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से इतिहास से जुड़ी जानकारियों के लिए व्हाट्सऐप पर आने वाले संदेशों पर निर्भर न रहने को कहा। ठाकरे ने शिवाजी पार्क में वार्षिक गुड़ी पड़वा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मुगल शासक ‘‘एक विचार को मारना चाहते थे और वह है शिवाजी’ लेकिन असफल रहे।
उन्होंने कहा कि बीजापुर के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था और यह छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना संभव नहीं था। ठाकरे ने लोगों से उकसावे में नहीं आने और विचलित न होने का आग्रह करते हुए कहा कि शिवाजी से पहले और शिवाजी के बाद के युगों में सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां भिन्न थीं।