क्या यह इनका ATM है? नेशनल हेराल्ड केस को लेकर अनुराग ठाकुर का कांग्रेस पर तीखा प्रहार
- National Herald case: भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने नेशनल हेराल्ड केस को लेकर कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जो अखबार नियमित छपता भी नहीं है उसको भी कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों ने विज्ञापन के नाम पर रुपये दिए हैं।

नेशनल हेराल्ड केस कांग्रेस पार्टी के लिए गले की फांस बना हुआ है। इस मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी लगातार हमलावर बनी हुई है। शुक्रवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस के ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए। ठाकुर ने नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का भ्रष्टाचार मॉडल करार देते हुए कहा कि कांग्रेस ने इसके जरिए 90 करोड़ का कर्ज माफ करके एक यंग इंडियन कंपनी को मात्र 50 लाख रुपए में ही 2000 करोड़ की संपत्ति दे दी। इस कंपनी में गांधी परिवार की 76 फीसदी की हिस्सेदारी है।
दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ठाकुर ने सवाल पूछा कि यदि कांग्रेस पार्टी को अखबार का कर्ज माफ करना ही था तो नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएट जर्नल्स का कर्ज सीधे ही क्यों माफ नहीं किया गया.. इसके लिए नई कंपनी क्यों बनाई गई? इसके साथ ही ठाकुर ने सवाल किया कि आखिर क्या एक राजनीतिक पार्टी इतना कर्जा दे सकती है और अगर दिया भी गया है तो क्या इस पर ब्याज लिया गया है?
ठाकुर ने कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा नेशनल हेराल्ड को दिए जाने वाले विज्ञापनों पर भी सवाल उठाया। भाजपा नेता ने कहा कि नेशनल हेराल्ड एक समय पर दैनिक अखबार था लेकिन अब यह नियमित रूप से नहीं छपता है.. लेकिन फिर भी कांग्रेस शासित राज्यो की सरकारें इसे जमकर विज्ञापन देती हैं। ठाकुर ने हिमाचल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर दैनिक रूप से छपने वाले अखबारों को सरकारी विज्ञापन कम मिलता है, जबकि नेशनल हेराल्ड को ज्यादा विज्ञापन मिलते हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि क्या नेशनल हेराल्ड नामक यह अखबार कांग्रेस पार्टी के लिए एटीएम बन गया है?
भाजपा नेता ने कांग्रेस पार्टी से सवाल किया कि उन्हें बताना चाहिए कि आखिर उनके द्वारा शासित राज्यों की सरकारों ने कब-कब और कितना पैसा विज्ञापन खर्च के रूप में नेशनल हेराल्ड को दिया है। ठाकुर ने कहा कि जो अखबार नियमित रूप से छपता तक नहीं है उसको दैनिक अखबारों से कम विज्ञापन देना सीधे-सीधे भ्रष्टाचार मॉडल की तरफ इशारा करता है।