Bangladesh takes U turn cancels Rs 180 crore order given to Indian defence shipyard Yunus China बांग्लादेश का यू-टर्न, भारत के साथ रद्द किया 180 करोड़ का रक्षा सौदा; चीन की गोद में बैठे यूनुस, India News in Hindi - Hindustan
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बांग्लादेश का यू-टर्न, भारत के साथ रद्द किया 180 करोड़ का रक्षा सौदा; चीन की गोद में बैठे यूनुस

बांग्लादेश ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स को दिया 21 मिलियन डॉलर का रक्षा ऑर्डर रद्द कर दिया। यह निर्णय भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव और बांग्लादेश की चीन के साथ बढ़ती नजदीकी का परिणाम माना जा रहा है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 23 May 2025 06:32 AM
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बांग्लादेश का यू-टर्न, भारत के साथ रद्द किया 180 करोड़ का रक्षा सौदा; चीन की गोद में बैठे यूनुस

भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिछले साल हुई एक महत्वपूर्ण डील को बांग्लादेश सरकार ने रद्द कर दिया है। यह डील कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) के साथ 21 मिलियन डॉलर (लगभग 180 करोड़ रुपये) की थी, जिसमें बांग्लादेश के लिए 800 टन की एक आधुनिक महासागरीय टग बोट का निर्माण होना था।

लोन देकर बांग्लादेश की मदद कर रहा था भारत

यह कॉन्ट्रैक्ट जुलाई 2024 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बांग्लादेश नेवी के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ डिफेंस परचेज और GRSE के अधिकारियों के बीच साइन हुआ था। यह सौदा भारत द्वारा बांग्लादेश को दी गई 500 मिलियन डॉलर की डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत पहला बड़ा प्रोजेक्ट था, जिसे 2023 में प्रभावी बनाया गया था।

टग बोट की बात करें तो यह 61 मीटर लंबी होनी थी और इसकी अधिकतम गति पूरी लोडिंग के साथ 13 नॉट्स (लगभग 24 किमी/घंटा) होनी थी। कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, इसका निर्माण और डिलीवरी 24 महीनों के भीतर होनी थी। इस डील के साथ ही भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की बांग्लादेश यात्रा भी हुई थी, जिसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को और गहरा करना और समुद्री साझेदारी के नए रास्ते तलाशना था।

हसीना की सत्ता से विदाई से बदले हालात

हालांकि, अगस्त 2024 में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई। नई सरकार के आने के बाद से द्विपक्षीय परियोजनाओं और सहयोग में ठहराव देखने को मिला है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत किया था, खासकर चीन के बढ़ते रणनीतिक प्रभाव को देखते हुए, लेकिन अब इस फैसले को संबंधों में एक झटका माना जा रहा है। बांग्लादेश ने कुछ साल पहले ही चीन से अपनी पहली डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी हासिल की थी, जो भारत की चिंता का विषय रहा है।

इस साल की शुरुआत में थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पड़ोसी मानते हैं और उनके बीच किसी भी प्रकार की "शत्रुता" दोनों के हित में नहीं है। अब टग बोट डील की रद्दीकरण को विशेषज्ञ दोनों देशों के संबंधों में आई तल्खी के प्रतीक के तौर पर देख रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया में चीन अपने प्रभाव को लगातार बढ़ा रहा है।

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द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ता तनाव

हाल के महीनों में भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक तनाव भी बढ़ा है। बांग्लादेश ने अप्रैल 2025 में भारतीय धागे, चावल, तंबाकू, मछली और पाउडर दूध जैसे उत्पादों पर व्यापार प्रतिबंध लगाए। इसके जवाब में, भारत ने बांग्लादेश से 770 मिलियन डॉलर (लगभग 6,600 करोड़ रुपये) के आयात पर प्रतिबंध लगाए, जो द्विपक्षीय आयात का लगभग 42% है। इन प्रतिबंधों में रेडीमेड गारमेंट्स, कार्बोनेटेड पेय, प्रोसेस्ड फूड और लकड़ी के फर्नीचर जैसे उत्पाद शामिल हैं। भारत ने बांग्लादेश के गारमेंट्स के आयात को केवल कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों तक सीमित कर दिया और सभी स्थलीय मार्गों को बंद कर दिया।

चीन के साथ बढ़ती नजदीकी और भारत की चिंता

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के तहत चीन के साथ बढ़ते रणनीतिक संबंधों ने भारत की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। विशेष रूप से, बांग्लादेश के लालमोनिरहाट में द्वितीय विश्व युद्ध के समय के हवाई अड्डे पर चीन की संभावित मौजूदगी ने भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं पैदा की हैं, क्योंकि यह हवाई अड्डा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े सिलिगुरी कॉरिडोर के करीब है। इसके अलावा, बांग्लादेश के एक पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एएलएम फजलुर रहमान के एक बयान ने तनाव को और बढ़ाया, जिसमें उन्होंने भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमला करने की स्थिति में बांग्लादेश को चीन के साथ गठबंधन करने और भारत के पूर्वोत्तर को कब्जाने की बात कही। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया।