ताइवान की मदद से चीन को कैसे झटका दे सकता है भारत, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बताया
- उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। चीन से 2023-24 में उसका आयात कुल 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि निर्यात 16.65 अरब अमेरिकी डॉलर था।

ताइवान के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) सु चिन शू ने कहा कि ताइवान चीन से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात को कम करने में भारत की मदद कर सकता है और आर्थिक भागीदारी बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करना होगा। सु चिन शू ने 'पीटीआई-भाषा' से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि व्यापार समझौते से 'सेमीकंडक्टर' और उच्च प्रौद्योगिकी के अन्य क्षेत्रों में ताइवान की कंपनियों के लिए भारत में अधिक निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा और इससे उच्च शुल्क व्यवस्था से निपटने में मदद मिलेगी। इससे चीन को झटका लगेगा।
भू-राजनीति पर भारत के प्रमुख सम्मेलन रायसीना डायलॉग में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए सु चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और जनसांख्यिकी के मामले में भारत की लाभ की स्थिति के मेल से भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे नई दिल्ली को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी। ऐसा बताया जाता है कि उन्होंने भारत और ताइवान के बीच समग्र संबंधों को विस्तार देने के तरीकों पर भारतीय वार्ताकारों के साथ बंद कमरे में बैठक भी की।
सु चिन शू ने कहा, ''मुझे लगता है कि खासकर आर्थिक सहयोग के मामले में संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं।'' ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों का चीन से आयात करने के बजाय उनका संयुक्त उत्पादन करके चीन के साथ अपने बड़े व्यापार घाटे को कम कर सकता है। उन्होंने कहा, ''इनमें से अधिकांश आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) उत्पाद हैं और हमारे नजरिए से उनके उत्पादन की भारत में बहुत संभावना है। ताइवान न केवल सेमीकंडक्टर, बल्कि सभी अन्य आईसीटी उत्पादों में मदद कर सकता है।''
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। चीन से 2023-24 में उसका आयात कुल 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि निर्यात 16.65 अरब अमेरिकी डॉलर था। ताइवान दो करोड़ 30 लाख से अधिक आबादी वाला एक स्व-शासित द्वीप है, जो दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत सेमीकंडक्टर और 90 प्रतिशत से अधिक ऐसे उन्नत चिप का उत्पादन करता है, जो स्मार्टफोन, कार उपकरणों, डेटा केंद्रों, लड़ाकू जेट और एआई प्रौद्योगिकियों जैसे लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक हैं।
ताइवान के उप राष्ट्रीय सलाहकार ने कहा कि ताइवान भारत के साथ व्यापार समझौता करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि ताइवान का भारत के साथ व्यापार वार्ता करने का बहुत मजबूत इरादा है। उन्होंने कहा कि शुल्क वास्तव में बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ''इसलिए हमारे दृष्टिकोण से एक व्यापार समझौता करना पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा।'' दोनों पक्षों ने प्रस्तावित एफटीए के लिए पहले ही अध्ययन कर लिया है तथा समझौते पर प्रारंभिक चर्चा भी कर ली है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ताइवान का 17वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 'मेक इन इंडिया' नीति के तहत भारत में ताइवानी उद्यमों का कुल निवेश चार अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है जिसमें जूते, मशीनरी, ऑटोमोबाइल घटकों से लेकर पेट्रोकेमिकल और आईसीटी उत्पाद क्षेत्र तक शामिल हैं। चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और वह इसे चीनी मुख्य भूमि के साथ एकीकृत करने पर जोर देता है लेकिन ताइवान खुद को चीन से पूरी तरह अलग मानता है। भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। इसके बावजूद उनके बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध बढ़ रहे हैं।