शिवाजी महाराज ने किसी मस्जिद पर हमला नहीं किया, 100% सेकुलर शासक थे: नितिन गडकरी
- नितिन गडकरी ने कहा कि जब अफजल खान जंग में मारा गया तो महाराज शिवाजी ने अपने ही कई सैनिकों को आदेश दिया कि उसे पूरे सम्मान के साथ प्रतापगढ़ किले में ही दफना दिया जाए। उन्होंने जिन सैनिकों को आदेश दिया था, वह मुस्लिम समुदाय के ही थे और उनकी सेना का लंबे समय तक हिस्सा रहे थे।

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को 100 फीसदी सेकुलर शासक बताया है। उन्होंने कहा कि महाराज शिवाजी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को मानने वाले शासक थे। शिवाजी महाराज पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीयों के दिल में उनका खास स्थान है। उन्होंने कहा कि वह मेरे और मेरे पैरेंट्स के लिए भी खास स्थान रखते हैं। उन्होंने कहा कि आज सेकुलर शब्द बहुत ज्यादा प्रचलन में है। लेकिन इंग्लिश डिक्शनरी में जो सेकुलर शब्द है, उसका अर्थ पंथनिरपेक्षता से नहीं है। उन्होंने कहा कि सेकुलर का अर्थ यह है कि सभी पंथों का एक समान सम्मान किया जाए। सेकुलर का यही अर्थ है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपना जीवन लोककल्याण को समर्पित किया और सेकुलर मूल्यों के साथ काम करते रहे।
महाराष्ट्र सदन में नितिन गडकरी ने कहा, 'महाराज शिवाजी ने अपनी जिंदगी में कई युद्ध लड़े, लेकिन उन्होंने कभी किसी मस्जिद पर अटैक नहीं किया। उन्होंने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया। वह जनता के प्रति समर्पित शासक थे। उनका प्रशासन सख्त था और जनता के लिए हितैषी था।' उन्होंने प्रतापगढ़ की लड़ाई का जिक्र किया, जो 10 नवंबर, 1659 को हुई थी। उन्होंने कहा कि यह युद्ध शिवाजी महाराज और बीजापुर के सैनिकों के बीच हुआ था, जिनका नेतृत्व अफजल खान कर रहा था। अफजल खान जब जंग में मारा गया तो महाराज शिवाजी ने अपने ही कई सैनिकों को आदेश दिया कि उसे पूरे सम्मान के साथ प्रतापगढ़ किले में ही दफना दिया जाए। उन्होंने जिन सैनिकों को आदेश दिया था, वह मुस्लिम समुदाय के ही थे और उनकी सेना का लंबे समय तक हिस्सा रहे थे।
शशि थरूर ने बताया- कुरान पर क्या था शिवाजी का आदेश
इस मौके पर कांग्रेस के सांसद शशि थरूर भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि नितिन गडकरी ने शिवाजी महाराज के सेकुलर मूल्यों की बात की। शिवाजी महाराज के प्रशंसक भी उनकी इस खूबी की बात कम करते हैं। शशि थरूर ने कहा कि शिवाजी महाराज ने बहुत सी लड़ाइयां लड़ीं। फिर भी वह सेकुलर मूल्यों पर कायम रहे। उन्होंने अपने सैनिकों को सख्त निर्देश दिया था कि यदि उन्हें कभी कुरान मिले तो उसे सम्मान से अपने पास रखें। उसे पूरा सम्मान दें, जब तक कि कोई मुस्लिम उन्हें न मिले। उन्होंने कहा कि ऐसे ही शिवाजी के मूल्य थे। हम सभी लोग जानते हैं कि महाराज शिवाजी महिलाओं का कितना सम्मान करते थे। उनकी सेना में हर जाति और समुदाय के लोग शामिल थे। दलित से लेकर ब्राह्मण तक और हिंदू से लेकर मुसलमान तक हर समुदाय हिस्सा था।
शिवाजी महाराज के हिंदुत्व को ही बाल गंगाधर तिलक ने बढ़ाया
शिवाजी ने कभी किसी के प्रति भेदभाव नहीं रखा। नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे भरोसा है कि दुनिया अब समझेगी कि शिवाजी के मूल्य कैसे थे। उन्हें मुगल शासन काल के दौरान लिखे इतिहास और अंग्रेजी शासन में लिखी किताबों के माध्यम से ढंग से नहीं समझा जा सकता। उन्होंने कहा कि उनके साथ कई इतिहासकारों ने अन्याय किया है और उन्हें लुटेरा तक लिखा है। मैं कहता हूं कि वह बहुत शानदार शासक थे और सभी की चिंता करते थे। उनका गवर्नेंस सिस्टम ऐसा था कि आज भी मिसाल है। शशि थरूर ने कहा कि शिवाजी का हिंदुत्व भी वही था, जिसे बाद में बाल गंगाधर तिलक ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि वह मुगल पक्ष के लोगों ने लिखा था कि शिवाजी महाराज लुटेरा थे, जो कि सत्य से परे है।