शहर में वायु गुणवत्ता बताने वाली पांच मशीनें डेढ़ माह से खराब
फरीदाबाद में धूल भरी हवा चलने से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, लेकिन यहां की वायु गुणवत्ता मापने वाली मशीनें करीब डेढ़ महीने से खराब हैं। इससे लोग खराब हवा के स्वास्थ्य पर प्रभाव को नहीं समझ पा रहे हैं।...
फरीदाबाद,वरिष्ठ संवाददाता। धूल भरी हवा चलने से प्रदूषण का स्तर बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन फरीदाबाद के लोगों को बिगड़ी हवा के बारे में पता नहीं चल पा रहा है। यहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता को मापने के लिए लगाई गई पांच मशीनें करीब डेढ़ माह से खराब पड़ी हैं। जिले के लोगों को पता नहीं चल पा रहा कि खराब वायु गुणवत्ता में सांस लेकर खुद को बीमारी की ओर ले जा रहे हैं। बता दें कि फरीदाबाद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय सेक्टर-16ए के अलावा बल्लभगढ़, एनआईटी, सेक्टर-30 और सेक्टर-11 में वायु गुणवत्ता मापने वाली मशीन लगी है।
हवा का रुख बदलने स्मार्ट सिटी में मौसम परिवर्तन के साथ तापमान और प्रदूषण बढ़ गया है। गुरुवार को राजस्थान से आने वाली उत्तर-पश्चिमी हवा चलने से वातावरण में धूल छाई रही। यह धूल लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक साबित हो सकती है। वहीं, अधिकतम तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया। स्मार्ट सिटी में बारिश की वजह से 10 मई से पहले मौसम काफी खुशनुमा था। सुबह के समय चमचमाती धूप जिलेवासियों को परेशानी करती। अधिकतम तापमान 36 डिग्री तक पहुंचता था और सूरज के ढलते ही तापमान सामान्य हो जाता था और गर्मी का अनुभव कम होता था। न्यूनतम तापमान 25 डिग्री तक पहुंच जाता। 11 मई से मौसम ने करवट ली और उत्तर पश्चिमी हवा ने स्मार्ट सिटी के तापमान को बढ़ाना शुरू कर दिया। 12 मई को तापमान बढ़कर 38 डिग्री पहुंच गया। वहीं 13 मई को 40 और 14 को 43 डिग्री पहुंच गया था। उत्तर पश्चिमी हवा के साथ धूल नहीं थी। बुधवार तक जिलेवासी सिर्फ बढ़े तापमान की वजह से गर्मी से परेशान थे। गुरुवार को हवा के साथ धूल ने लोगों को और अधिक परेशान कर दिया। सुबह के समय धूल की हल्की पीली चादर दिखाई दी। धूल बढ़ा सकती है शारीरिक परेशानी राजस्थान से धूल के साथ आ रही हवा शारीरिक परेशानी बढ़ा सकती है। सबसे अधिक परेशानी अस्थमा, हृदय, उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए परेशानी बढ़ा सकती है। मौसम विभाग ने अगले से दो तीन दिनों तक धूल भरी हवा चलने की आशंका व्यक्त की है। ऐसे में अस्थमा रोगियों सहित अन्य लोगों को अपना विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। बाहर निकलते समय मास्क अवश्य लगाए और इन्हेलर साथ रखे। बीके अस्पताल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश गुप्ता ने बताया कि सांस के साथ धूल के साथ शरीर में जाकर एलर्जी उत्पन्न करते हैं। इससे उन्हें परेशानी हो सकती है। धूल की वजह से ऊर्जा का हृास होता है। इस मौसम में काम करने से अधिक ऊर्जा लगानी पड़ती है। परिणाम स्वरूप रक्तचाप बढ़ता है। इससे हृदय रोगियों को भी परेशानी हो सकती है। एकॉर्ड अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताया कि जब तक धूल उड़ रही है तब तक उच्च रक्तचाप व हृदय के रोगी घर से निकलने से परहेज करें। घर पर ही रहकर हल्के-फुल्के व्यायाम करें। अन्य जिले भी हुए प्रदूषित धूल भरी हवा का प्रभाव केवल फरीदाबाद नहीं, बल्कि दिल्ली की सीमा से लगते जिलो पर भी पड़ा है।दिल्ली की सीमा से लगते जिलों की वायु गुणवत्ता खराब स्थिति में पहुंच गई है, जोकि बुधवार तक सामान्य थी। बुधवार को दिल्ली का एक्यूआई 128 था, जो कि गुरुवार को बढ़कर 292 पहुंच गया। इसी तरह अन्य जिलों का जैसे गाजियाबाद का एक्यूआई 278, गुरुग्राम का गंभीर श्रेणी में यानि 318, ग्रेटर नोएडा का 246 और नोएडा का 276 पहुंच गया। बुधवार तक इस सभी जिलों में प्रदूषण का स्तर सामान्य था। वायु गुणवत्ता मापने वाली मशीन पंचकूला से ही बंद चल रही है। मशीन कब तक शुरू होगी, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में पंचकूला के अधिकारी ही बता पाएंगे। -संदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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