ब्यूरो:: न्याय पथ के जरिए कांग्रेस ने राष्ट्रवाद और विचारधारा को दी धार
कांग्रेस ने अहमदाबाद में न्यायपथ अधिवेशन में राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए राष्ट्रवाद पर आक्रामक रुख अपनाया। पार्टी ने भाजपा के राष्ट्रवाद को छद्म बताया और अपने विचारधारा को...

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विश्लेषण :::
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- अहमदाबाद में आयोजित अधिवेशन में पहली बार राष्ट्रवाद पर अपनाया आक्रामक रुख
- विचारधारा को लेकर पार्टी ने असमंजस की स्थिति की साफ
नई दिल्ली, सुहेल हामिद।
कांग्रेस ने अहमदाबाद में न्यायपथ अधिवेशन से राष्ट्रीय राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश की है। इसके जरिये कांग्रेस ने राष्ट्रवाद और विचारधारा को धार दी है।
अधिवेशन में पार्टी ने एक तरफ यह संदेश दिया कि मजबूत विचारधारा के बगैर कोई पार्टी भाजपा और आरएसएस का मुकाबला नहीं कर सकती। साथ ही पार्टी ने संगठन के अंदर भी विचारधारा को स्पष्ट किया है। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस ने पहली बार भाजपा पर पलटवार किया है। अधिवेशन में कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजनीति, संगठन और गुजरात को संदेश दिया। वहीं राजनीतिक प्रस्ताव में इंडिया गठबंधन के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर देते गठबंधन की राह पर चलने की बात रखी। इसके अलावा, जिला अध्यक्षों को अधिकार देने का ऐलान कर संगठन मजबूत बनाने का प्रयास किया है।
एक दशक में पहली बार आक्रामक रुख
पिछले एक दशक में यह पहला मौका है, जब कांग्रेस ने राष्ट्रवाद पर आक्रामक तरीके से अपना रुख रखते हुए भाजपा के राष्ट्रवाद को छद्म राष्ट्रवाद करार दिया है। न्यायपथ अधिवेशन के जरिए कांग्रेस संगठन के अंदर भी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश की है। पार्टी अध्यक्ष ने साफ कहा कि जो नेता या कार्यकर्ता काम नहीं करना चाहते हैं, उन्हें फौरन रिटायर हो जाना चाहिए।
राहुल ने साफ किया
कांग्रेस के अंदर सबसे बड़ी दुविधा विचारधारा को लेकर थी। पार्टी के अंदर एक बड़ा तबका सॉफ्ट हिंदुत्व की वकालत करता रहा है। पर न्यायपथ अधिवेशन में राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि विचारधारा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने किया कि पार्टी भाजपा के हिंदुत्व को नहीं मानती है। भाजपा के हिंदू धर्म की परिभाषा और कांग्रेस के हिंदू धर्म में भी फर्क है।
एकजुटता भी जताई
न्यायपथ अधिवेशन में कांग्रेस ने कई मुद्दों पर इंडिया गठबंधन के साथ एकजुटता भी जताई। चर्चा के दौरान वक्फ संशोधन अधिनियम, ईवीएम और मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी जैसे कई मुद्दे उठे। इन पर इंडिया गठबंधन के घटकदलों के बीच लगभग एक राय है। पार्टी एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा घटकदल है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारियां भी अधिक है। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि दिल्ली और हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की भूमिका को लेकर कई तरह के सवाल उठे थे।
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