साहित्य का सम्मान आवश्यक : हरिवंश
-हिन्दू कॉलेज में श्याम कस्तूरी सभागार का लोकार्पण नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता साहित्य

-हिन्दू कॉलेज में श्याम कस्तूरी सभागार का लोकार्पण नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
साहित्य से नई पीढ़ी संस्कारित होती है। साहित्य और साहित्यकारों का सम्मान किसी भी समाज की बेहतरी का अनिवार्य लक्षण है। उक्त बातें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने हिन्दू कालेज में के के बिरला फाउंडेशन के निदेशक प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण के नवीन चित्र काव्य संग्रह कल जब मैं नहीं रहूंगा के विमोचन के अवसर पर कही। उन्होंने श्याम कस्तूरी सभागार का लोकार्पण भी किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में जन सामान्य में अपने लेखकों के प्रति असीम श्रद्धा देखी जाती है। हमारे देश में भी युवा पीढ़ी को साहित्य और संस्कृति के प्रति ऐसा ही समर्पण दिखलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिंदू कालेज अपने गौरवशाली इतिहास में निरंतर नए सोपान तय कर रहा है जो हमारे अकादमिक जगत के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक कविता और तस्वीरों की जुगलबंदी का विलक्षण प्रयोग है।
प्रो.सुरेश ऋतुपर्ण ने इस पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला और कविता सुनाई। यह पुस्तक हिंदी, उर्दू, मराठी और पंजाबी में एक साथ आई है।
इससे पहले महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो अंजू श्रीवास्तव ने बताया कि महाविद्यालय की 126 वर्ष की यात्रा में पूर्व विद्यार्थियों और अकादमिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने नवीनीकृत श्याम कस्तूरी सभागार के लिए प्रो ऋतुपर्ण के सहयोग के लिए आभार प्रदर्शित किया। आयोजन में डॉ हरीश नवल ने प्रो ऋतुपर्ण के साथ अपने जुड़ाव की आधी सदी के संस्मरण सुनाए। अध्यक्षता कर रहे विख्यात गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने प्रसिद्ध गीत एक बार फिर जाल फेंक दे मछेरे सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।
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