84 बीघा में प्राचीन जलाशय की दुर्दशा पर एनजीटी सख्त
नरेला इलाके में प्राचीन जलाशय को पुनर्जीवन के लिए जवाब मांगा, अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी

नई दिल्ली। राजधानी के नरेला इलाके में स्थित करीब 84 बीघा (सात हेक्टेयर) क्षेत्रफल वाले प्राचीन जलाशय की दुर्दशा पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। जलाशय पर कथित अतिक्रमण और संरक्षण की अनदेखी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियों से जवाब तलब किया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने मुद्दे को पर्यावरणीय मानकों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ माना है। याचिकाकर्ता राम चंद्र भारद्वाज की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस जलाशय का ऐतिहासिक महत्व है।
इसे राजा चांद ने वाटर स्पोर्ट्स के लिए बनवाया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उक्त जलाशय पर अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके पुनर्जीवन की दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। पुनर्जीवन की योजना पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संदीप भारद्वाज ने सुनवाई के दौरान राजस्व रिकॉर्ड, वेटलैंड अथॉरिटी ऑफ दिल्ली की संस्तुति समेत कई दस्तावेज पेश किए। उन्होंने बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से जलाशय की सुंदरता बढ़ाने के लिए योजना बनाने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने सभी प्रतिवादियों को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
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