क्या होते हैं डमी स्कूल, जिनपर सख्त हुआ CBSE; दिल्ली-एनसीआर में है करोड़ों का कारोबार
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने डमी स्कूलों में पढ़ने वाले वाले छात्रों और उनके अभिभावकों को चेतावनी दी है। सीबीएसई ने कहा है कि नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने डमी स्कूलों में पढ़ने वाले वाले छात्रों और उनके अभिभावकों को चेतावनी दी है। सीबीएसई ने कहा है कि नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शिक्षाविदों ने सीबीएसई के इस कदम की सराहना की है।
शिक्षा विशेषज्ञों की मानें तो राजधानी दिल्ली में डमी स्कूलों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। अनुमान है कि दिल्ली में इसका सालाना कारोबार चार से पांच हजार करोड़ रुपये तक का है। उधर, अभिभावक संघों ने सीबीएसई के फैसले पर एतराज जताया है। उनका कहना है कि सीबीएसई ने अच्छा विचार किया है, लेकिन छात्रों को इसमें न शामिल करते हुए कोचिंग संस्थानों पर गाज गिरानी चाहिए थी। सीबीएसई के वकील ने कहा कि देश भर में 300 से अधिक डमी स्कूलों पर कार्रवाई की बात कही थी।
कोचिंग सेंटर करवाते हैं दाखिला
दिल्ली में मुनिरका, जनकपुरी, राजेंद्र नगर, हॉजखास, कालू सराय, बेर सराय, लक्ष्मी नगर और द्वारका जैसे इलाकों में जगह-जगह कोचिंग हब बन गए हैं। यहां अधिकतर जेईई और नीट की तैयारी होती है। कोचिंग सेंटर छात्रों व अभिभावकों को लुभाने के लिए डमी स्कूल की पेशकश करते हैं।
डीयू में राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले आशुतोष मिश्रा ने कहा कि सरकार को सबसे पहले कार्रवाई स्कूल व कोचिंग संस्थानों पर करनी चाहिए। ये सबके आंखों के सामने है कि कोटा जैसे शहर में वहां के छात्र नहीं बल्कि यूपी, बिहार, दिल्ली व अन्य राज्यों से पढ़ने आते हैं। ऐसे में छात्र वहां स्कूल कहां जाते हैं। उनका दाखिला डमी स्कूल में होता है। वह दावा करते हुए कहते हैं कि डमी स्कूल का कारोबार बीते कुछ वर्षों में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सीबीएसई यह कदम उठाने जा रहा है अच्छा है, लेकिन कोचिंग संस्थानों पर सख्त कार्रवाई हो। बता दें हाईकोर्ट ने जनवरी में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
स्कूलों के अंदर ही चल रही कोचिंग
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने दावा करते हुए बताया कि कोचिंग करने जाएंगे तो कोचिंग संस्थान ही खुद डमी स्कूल के बारे में बताते हैं। वह कहती हैं कि यह काम बिना किसी की अनुमति के नहीं हो सकता है। साथ ही, कुछ स्कूल के अंदर ही कोचिंग चल रही है। इनके लिए अलग से कमरे बने हुए हैं। यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी बाहर से आते हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीएसई को सबसे पहले ऐसे कोचिंग संस्थानों की पहचान करनी चाहिए और उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।
वहीं, वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि कोर्ट समय-समय पर इसे लेकर राज्य सरकार और सीबीएसई को सावधान करता रहा है। लेकिन, ठोस कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में पढ़ना जरूरी है। वह कहते हैं कि अगर स्कूल में सही तरह से पढ़ाया जाए तो बच्चों को बाहर कोचिंग लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अग्रवाल ने कहा कि सीबीएसई ने इस पर कार्य किया है तो यह अच्छी बात है। लेकिन, इस पर निरंतर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या हैं डमी स्कूल
ये ऐसे स्कूल हैं जहां छात्रों के लिए नियमित रूप से जाना अनिवार्य नहीं है। कोचिंग संस्थान छात्रों पर स्कूल के कार्यभार को कम करने के लिए नियमित स्कूलों के साथ गठजोड़ करते हैं। इस प्रकार उन्हें अपनी प्रवेश परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिक समय मिलता है। डमी स्कूलों में प्रवेश लेने की यह अवधारणा विज्ञान के छात्रों के लिए दो प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं यानी जेईई और नीट के लिए सबसे लोकप्रिय है।
एक स्कूल की मान्यता पर कई शाखाएं चल रहीं
गुरुग्राम में 149 निजी अवैध स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। सीबीएसई से एक स्कूल की मान्यता लेकर कई शाखाएं चलाई जा रही हैं। शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में अवैध स्कूलों के संचालन का खुलासा हो चुका है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार ऐसे अवैध स्कूलों की संख्या और अधिक हो सकती है।
कैसे बना इतना बड़ा कारोबार
अभिभावक अपने बच्चों को कितने ही महंगे स्कूलों में पढ़ा लें, लेकिन उन्हें यह डर रहता है कि बिना कोचिंग के बच्चों के अच्छे अंक नहीं आएंगे। कोचिंग संस्थान और डमी स्कूलों के बीच गहरा संबंध है। जो अभिभावक और छात्र नीट और जेईई कोचिंग के लिए इन संस्थानों से संपर्क करते हैं, उन्हें डमी स्कूलों में प्रवेश के अनुरोध के साथ संस्थानों द्वारा बिचौलियों की सहायता प्रदान की जाती है। ये बिचौलिये दिल्ली-एनसीआर में सीबीएसई-संबद्ध डमी स्कूलों की सूची जुटाकर हर सप्ताह कोचिंग संस्थानों के कुछ दौरे करते हैं, जहां इच्छुक विद्यार्थियों को प्रवेश मिल सकता है। ये बिचौलिये विद्यार्थियों को डमी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के बदले में कोचिंग सेंटर्स को कमीशन का भुगतान करते हैं।