भरोसा नहीं कर सकते; भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर पर ऐसा क्यों बोले अजमेर दरगाह के दीवान
पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करने की सलाह देते हुए चिश्ती ने कहा, ‘भारत का स्टैंड बहुत क्लियर है, इसलिए भारत सरकार और देश की सेनाओं ने सोच-समझकर ही सीजफायर का निर्णय लिया होगा।’

भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार दोपहर को सीजफायर को लेकर सहमति बनी, जिसके बाद अजमेर स्थित प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी और ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री ने देश की भावनाओं को समझा और पाकिस्तान में घुसकर उसको उसी की भाषा में जवाब दिया। साथ ही चिश्ती ने यह भी कहा कि सबको लग रहा था कि इस बार पीओके भी वापस भारत में मिल जाएगा, हालांकि ऐसा नहीं हो सका। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार को पाकिस्तान से बचकर रहने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि ऐसी नापाक सोच रखने वालों, आतंक का गढ़ वालों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस बारे में एएनआई से बात करते हुए कहा, 'भारत शुरू से ही शांतिप्रिय देश रहा है। भारत ने कभी भी युद्ध में या संघर्ष में कभी भी विश्वास नहीं रखा है...लेकिन जहां देशवासियों की आन-बान-शान की बात आती है, और देश की सुरक्षा की बात आती है, तो कभी भारत पीछे भी नहीं हटता है। और उसका जीता जागता सबूत यही है कि पहलगाम हमले के बाद जो पूरे देश में जो रोष था, पूरे देश की जो भावनाएं आहत हुई थीं, भारत सरकार ने उसको समझा था, देश के प्रधानमंत्री ने उसको समझा था, और उसको पाकिस्तान को उसी की भाषा में अंदर घुसकर करारा जवाब दिया गया था। उसमें पूरे देशवासियों को सुकून मिला था। भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर जो हमारी मां-बहनों के सिंदूर को उजाड़ा गया था, सरकार ने उसका जवाब बखूबी जवाब दिया।'
आगे उन्होंने कहा, 'भारत को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास था, इतना सब होने के बाद भी भारत के द्वारा जितने भी हमले किए गए, या जो मिसाइलें भेजी गईं, उसमें किसी भी नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया। भारत ने सिर्फ उन्हीं आतंकवादी कैंपों को टारगेट किया, जो वहां चल रहे थे।'
चिश्ती ने पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करने की सलाह देते हुए कहा, 'भारत का स्टैंड बहुत क्लियर है, इसलिए भारत सरकार और देश की सेनाओं ने सोच-समझकर ही सीजफायर का निर्णय लिया होगा। लेकिन यहां मेरा मानना यही है कि पाकिस्तान की हुकूमत और सेना पर विश्वास नहीं किया जा सकता, नापाक इरादे उनके दिलों में घर कर चुके हैं, वो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। देश को तो यही उम्मीद थी कि इस बार आर-पार की लड़ाई होगी और पीओके को वापस देश में शामिल कर लिया जाएगा। खैर ऊपरवाले को जब मंजूर होता है तभी ऐसे काम होते हैं।'
उन्होंने कहा, 'मैं तो भारत सरकार का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने देश की भावनाओं को समझा, और पाकिस्तान को घुटने पर बैठा दिया। पिछले तीन दिन से हम देख रहे थे कि पाकिस्तान भीख मांग रहा है, पैसों के लिए भी और सीजफायर के लिए भी। उसकी सरकार दुनियाभर में लोगों के दरवाजे पर जा जाकर खड़ी हो रही थी और कह रही थी कि हिंदुस्तान से हमारा समझौता कराओ और हिंदुस्तान को हम पर हमले करने से रोको, तो शायद कुछ बड़े मुल्कों ने उसकी इस पुकार को, उसकी इस बेबसी को सुन लिया और भारत सरकार से अपने संबंधों के चलते सीज फायर करवा दिया। वो सरकार की नीति है और हम सरकार व सेना के हर फैसले के साथ खड़े हैं।
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इसके बाद एकबार फिर पाकिस्तान को गैरभरोसेमंद मुल्क बताते हुए आगे कहा कि, 'लेकिन हमें सतर्क रहना चाहिए, ऐसी नापाक सोच रखने वालों को, आतंक का गढ़ रखने वालों को और जो आतंकवादियों को फाइव स्टार सुविधाएं देते हैं, उन पर हमें विश्वास नहीं करना चाहिए और उनसे हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए।'