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विवाह रजिस्ट्रेशन नियम में करें संशोधन, हाईकोर्ट का यूपी सरकार को निर्देश, क्यों पड़ी जरूरत?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 में संशोधन का आदेश दिया है। हाईकोर्ट का मानना है कि बिना सत्यापन हो रहे पंजीकरण में तमाम फर्जीवाड़ा हो रहा है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराज, विधि संवाददाताThu, 22 May 2025 03:20 PM
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विवाह रजिस्ट्रेशन नियम में करें संशोधन, हाईकोर्ट का यूपी सरकार को निर्देश, क्यों पड़ी जरूरत?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाली दस्तावेजों के जरिए शादी कराने वाले गिरोह पर और घर से भागकर शादी के बाद मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 को संशोधित करने के निर्देश दिए हैं और इसके लिए छह महीने का समय निर्धारित किया है। कोर्ट ने कहा कि विवाह की वैधता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए नियम में संशोधन करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि सत्यापन योग्य विवाह पंजीकरण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शनिदेव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने यह आदेश जाली दस्तावेजों के जरिए शादी कराने वाले संगठित गिरोह का खुलासा होने पर दिया है। कोर्ट के समक्ष घर से भागकर शादी करने वाले करीब 125 अलग-अलग मामलों की सुनवाई के दौरान कई विसंगतियां आईं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि सुरक्षा के लिए अदालतों में विवाह के फर्जी प्रमाण पत्र दिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के रूप में नामित व्यक्ति के नाम भी काल्पनिक पाए गए। सुनवाई के दौरान पाया गया कि कई मामलों में तो वास्तव में विवाह हुआ ही नहीं था। विवाह प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाओं का कोई अता पता नहीं था।

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कोर्ट ने कहा कि वयस्क होने पर निःसंदेह सभी को जीवन साथी चुनने का अधिकार है लेकिन इस अधिकार का प्रयोग वैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करके नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि राज्य और उसके तंत्रों की जिम्मेदारी है कि वह कानून का सख्ती से पालन कराएं और विवाह संस्था की अखंडता व पवित्रता की रक्षा करें। कोर्ट ने कहा कि ऐसे विवाह के कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं। भागकर शादी के बाद मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे मामले भी सामने आएं हैं। ऐसे में विवाह पंजीकरण अधिनियम में संशोधन जरूरी है।

कोर्ट ने संशोधन के सुझाव भी दिए

कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव को 2017 के विवाह पंजीकरण के नियम में संशोधन में कुछ सुझाव भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि विवाह के लिए धार्मिक रीतिरिवाज, अनुष्ठान का खुलासा अनिवार्य किया जाए। विवाह अधिकारियों को आपत्तियां उठाने, संदेह के आधार पर आवेदन अस्वीकार करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का अधिकार दिया जाए। इसके अलावा फर्जी प्रमाण पत्रों को रोकने के लिए पुजारियों/संस्थाओं को विनियमित करने के लिए कानून बनाया जाए। विवाह कराने वाली संस्थाओं की जवाबदेही के लिए आयु और निवास प्रमाण की फोटोकॉपी रखना अनिवार्य किया जाए।

फर्जी आयु दस्तावेज को रोकने के लिए पंजीकरण के साथ ऑनलाइन आयु सत्यापन प्रणाली बनाई जाए। विवाह पंजीकरण के लिए वर वधु का आधार प्रमाणीकरण दोनों पक्षों और गवाहों का बायोमीट्रिक डाटा, फोटो, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, पैन, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आधिकारिक पोर्टल से आयु सत्यापन की जाए। ख़ासकर भागकर शादी करने वाले जोड़ो के वीडियो फोटो को भी विवाह पंजीकरण में शामिल किया जाए।

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