संभल हिंसा में शामिल एक और गिरफ्तार, अब तक 84 आरोपियों को जेल भेज चुकी पुलिस
पिछले साल संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। इसमें पुलिस और प्रशासनिक अफसरों समेत 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे और 4 युवकों की मौत हुई थी। पुलिस भीड़ का हिस्सा बनकर पथराव और फायरिंग करने के मामले में 84 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

यूपी के संभल में सदर कोतवाली पुलिस ने हिंसा में शामिल एक और आरोपी को रविवार सुबह उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी बीते वर्ष शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा में शामिल था और भीड़ में शामिल होकर पुलिस टीम पर पथराव किया था। आरोपी के न्यायालय से वारंट जारी होने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
बीते वर्ष शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। जिसमें पुलिस व प्रशासनिक अफसरों समेत 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे और चार युवकों की मौत हुई थी। पुलिस भीड़ का हिस्सा बनकर पथराव और फायरिंग करने के मामले में 84 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। अन्य आरोपियों की फोटो और वीडियो के आधार पर पहचान कराकर उन्हें पकड़ने के प्रयास में पुलिस जुटी है। हिंसा मामले में वांछित आरोपी शेर मोहम्मद निवासी कोट गर्वी ने भी भीड़ का हिस्सा बनकर हिंसा के दौरान पुलिस टीम पर पथराव किया था। आरोपी के न्यायालय से वारंट भी जारी हो चुके हैं। रविवार को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। थाना प्रभारी अमरीश कुमार ने बताया कि शेर मोहम्मद को उसके घर से गिरफ्तार कर चालान कर दिया।
संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में निर्णय आज
उधर, संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट सोमवार को अपना निर्णय सुनाएगा। संभल जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका में संभल जिला न्यायालय में लंबित मूल वाद की आगे की अदालती कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस मामले में हिंदू पक्ष के वादी ने यह घोषणा करने की मांग की है कि उन्हें संभल जिले के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित श्री हरिहर मंदिर में प्रवेश का अधिकार है, जो कथित तौर पर जामा मस्जिद है। इस मामले में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गत 13 मई को सुनवाई पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
हरिशंकर जैन और सात अन्य ने सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल की अदालत में एक मुकदमा किया है, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि संभल के कोट पूर्वी स्थित जामा मस्जिद एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी। वादी ने हरिहर मंदिर में प्रवेश के अधिकार की घोषणा की मांग की है। दीवानी अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एएसआई को एडवोकेट कमिश्नर के साथ सर्वे का निर्देश दिया था और मुकदमे की पोषणीयता पर भी सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने संभल की दीवानी अदालत के समक्ष लंबित मूल मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर हाईकोर्ट ने भारतीय एएसआई को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोई हलफनामा दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने आगे का समय दिया।
यह पुनरीक्षण याचिका सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई, जिसमें संभल की दीवानी अदालत के समक्ष पूरी कार्यवाही के साथ मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया है कि मुकदमा 19 नवंबर 2024 की दोपहर दाखिल किया गया था और कुछ ही घंटों के भीतर अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। साथ ही उसे मस्जिद में प्रारंभिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया, जो उसी दिन यानी 19 नवंबर को और फिर 24 नवंबर 2024 को किया गया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाए। दीवानी अदालत ने 19 नवंबर को ही हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि मस्जिद मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1526 में संभल में हरिहर मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी।