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बोले काशी: नो एंट्री का लफड़ा, आय घटी-मंदी ने जकड़ा

Varanasi News - वाराणसी की जंगमबाड़ी फर्नीचर मंडी मंदी से जूझ रही है। ऑनलाइन कारोबार और बढ़ती लकड़ी की कीमतें कारोबारियों के लिए संकट बन गई हैं। ग्राहकों की पहुंच में बाधा, सरकारी नीतियों का असर और जीएसटी में कमी की...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 8 April 2025 08:31 PM
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बोले काशी: नो एंट्री का लफड़ा, आय घटी-मंदी ने जकड़ा

वाराणसी। वाराणसी शहर में जंगमबाड़ी की फर्नीचर मंडी मंदी की त्रासदी से उबरना चाहती है लेकिन इसका उपाय कारोबारियों को सूझ नहीं रहा। ऑनलाइन कारोबार लकड़ी के फर्नीचर कारोबार को जैसे कुचलने पर उतारू है। लकड़ी की बढ़ती कीमतें, कच्चे माल की समय पर उपलब्धता, बाजार में बदलता ट्रेंड, ग्राहकों की सुगमता पूर्ण पहुंच न होने आदि संकटों ने कारोबारियों को बेतरह झटका दिया है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि कारोबारियों को अक्सर ‘बोहनी न होने का दंश झेलना पड़ता है। कारोबारी चाहते हैं कि सरकार कारोबार संवर्धन के लिए कारगर कदम उठाए। जंगमबाड़ी में कारोबारियों ने ‘हिन्दुस्तान से खुलकर अपनी समस्याएं बताईं। कहा कि काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है। भीड़ नियंत्रण के लिए कई जगहों पर की गई बैरिकेडिंग बड़ी बाधा के रूप में सामने आ रही है। बाहर के श्रद्धालुओं का लक्ष्य ‘धार्मिक यात्रा होता है. लेकिन आसपास के जिलों के ग्राहक बैरिकेडिंग के कारण यहां तक पहुंच नहीं पाते। वे शहर के बाहर की दुकानों से ही खरीदी कर लेते हैं। यह मंडी मुख्य मार्ग पर है। मालवाहकों पर रोक से न तो कच्चा माल दुकानों तक समय पर पहुंच पाता है और न ही बिका माल सुगमता से जा पाता है। यह एक कारण है। दूसरा कारण है ऑनलाइन कारोबार। लोग घर बैठे आर्डर देकर माल मंगा लेते हैं। इसका भी असर यहां के कारोबार पर पड़ा है। कारोबारी यह भी कहते हैं कि पहले लगन में ग्राहकों की दुकानों पर भीड़ रहती थी, लेकिन अब श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते लगन में भी कमाई काफी घटी है। बताया, अभी पिछली लगन की कमाई से ही काम चला रहे हैं। दुकान का किराया, बिजली बिल समेत सभी खर्च पूरे साल होते हैं। पूरे साल पूंजी भी फंसी रहती है। दिनभर में कोई ग्राहक आ गया तो ठीक वरना जैसे दुकान खोलते हैं, वैसे ही बंद कर घर चले जाते हैं।

झेल रहे हैं नो एंट्री का दर्द

वाराणसी फर्नीचर एवं फर्निशिंग व्यापार मंडल के प्रभारी प्रकाश सोनेजा और सदस्य अजीत जायसवाल का कहना कि सरकारी नीतियों के कारण पूर्वांचल में जंगमबाडी की सबसे बड़ी फर्नीचर मंडी वर्षों से व्यापार में पिछड़ रही है। मंडी में 150 से ज्यादा फर्नीचर व्यापारी है। फर्नीचर ऐसी वस्तु है जिसे लाने, ले जाने के लिए मालवाहक की जरूरत पड़ती है। महाकुंभ के 40 दिनों तक कारोबार बंद ही रहा। आज भी सोनारपुरा से छोटे मालवाहक आने पर 24 घंटे की रोक है। ग्राहक दुकान तक कैसे पहुंचेगा? अगर पहुंच भी गया तो माल भेजना बड़ी समस्या है। फर्नीचर व्यापार से सरकार को जीएसटी के रूप में काफी राजस्व मिलता है। अभी इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, इससे उत्पाद का मूल्य बढ़ जाता है। अगर जीएसटी 05 प्रतिशत हो जाए तो दुकानदार-ग्राहक दोनों को राहत होगी।

शहर के बाहर स्थान आवंटित करें

संगठन के अध्यक्ष अजय गुप्ता और महामंत्री रमेश यादव ने कहा कि बढ़ती भीड़, वाहनों पर रोक, माल के न पहुंच पाने आदि के संबंध में लंबे समय से सरकार और प्रशासन से मांग करते रहे हैं। यहां के कारोबारियों को भी सुविधाएं उपलब्ध कराएं लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली। लिखित शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस कारोबार से काफी संख्या में लोग जुड़े हैं। अगर यही हाल रहा तो उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ सकता है। उन्होंने कहा कि शहर के बाहर फर्नीचर कारोबार के लिए स्थान आवंटित किया जाए। जहां वाहनों की पहुंच सुगमता से हो सके।

कुटीर उद्योग की मान्यता मिले

वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय जायसवाल और उपाध्यक्ष नवीन वर्मा ने कहा कि इस कारोबार को कुटीर उद्योग के रूप में मान्यता देने की जरूरत है ताकि कारोबार को मंदी से उबारने में सहायता मिल सके। पूरे फर्नीचर व्यापार की बात की जाए तो फर्नीचर निर्माता को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती। उसे कच्चे माल की खरीद, बिजली बिल भुगतान पर कोई छूट नहीं मिलती। कच्चे माल की कीमत पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस कारण ऑर्डर लेना मुश्किल हो रहा है।

बेहतर उत्पादों की पूछ घटी

फर्नीचर व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. यादवेंद्र सिंह, नितिन अग्रवाल, अमन जायसवाल का कहना है कि ऑनलाइन कारोबार से गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। हमारे उत्पाद क्वालिटी में बेहतर हैं लेकिन दुकानों तक ग्राहकों की सुगम पहुंच ही नहीं बन पा रही है। ग्राहक पहुंच भी जाते हैं तो सुविधाएं और साधनों, जाम आदि की समस्या से जूझना पड़ता है। इसका असर सीधे कारोबार पर ही पड़ रहा है। कमजोर और फैंसी उत्पादों की कीमतें कम होने और सुगमता से घर तक न पहुंच पाने का भी दंश झेलना पड़ रहा है।

शौचालय-पेयजल का इंतजाम जरूरी

व्यापार मंडल के सदस्य प्रदीप सिंह, अनूप जायसवाल और भैया लाल यादव ने कहा कि इस क्षेत्र में दिन भर भीड़ रहती है। कई बार घंटों जाम का दंश झेलना पड़ता है। ग्राहकों, राहगीरों, श्रद्धालुओं के लिए क्षेत्र में न तो शौचालय का इंतजाम है और न ही पेयजल का। यहां के कारोबारी अपने संसाधनों से राहगीरों, श्रद्धालुओं की सहायता करते हैं। महाकुंभ के दौरान कारोबारियों ने दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की पूरी तन्मयता से सहायता की।

सुझाव

0 फर्नीचर कारोबार संवर्धन के लिए संबंधित विभाग सहयोग करें। इसे भी कुटीर उद्योग जैसी सुविधाएं मिलें तो कारोबार चमकेगा।

0 फर्नीचर पर 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 05 प्रतिशत किया जाए। इससे कारोबारी और ग्राहक दोनों को राहत होगी।

0 जंगमबाड़ी फर्नीचर मंडी क्षेत्र में लोगों की सुविधा के लिए सुलभ शौचालय और पेयजल का समुचित इंतजाम जरूरी है।

0 माल लाने और ले जाने के लिए जिला प्रशासन वाहनों के दुकानों तक पहुंचने की व्यवस्था करे, नो एंट्री का असर पड़ने लगा है।

0 मु्ख्य मार्ग जाम से निजात के लिए समुचित प्रबंध होना चाहिए ताकि कारोबार के लिए अनुकूल माहौल मिले, श्रद्धालुओं को भी राहत होगी।---

शिकायतें

0 फर्नीचर कारोबार संवर्धन के लिए कोई सहयोग नहीं मिलता। इस कारोबार को कुटीर उद्योग जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं।

0 18 प्रतिशत जीएसटी से भी फर्नीचर कारोबार को झटके लग रहे हैं। कारोबारी और ग्राहक दोनों को नुकसान होता है।

0 फर्नीचर मंडी में श्रद्धालुओं और आम लोगों की सुविधा के लिए सुलभ शौचालय और पेयजल का समुचित इंतजाम नहीं है।

0 जंगमबाड़ी क्षेत्र में 24 घंटे नो एंट्री के कारण माल लाने और ले जाने के लिए छोटे चार पहिया वाहन दुकानों तक नहीं पहुंच पाते।

0 मु्ख्य मार्ग होने के कारण इस क्षेत्र में अक्सर श्रद्धालुओं और आम लोगों को जाम का दर्द झेलना पड़ता है। इससे कष्ट होता है।

कारोबारी पीड़ा

सरकारी नीतियों के कारण फर्नीचर मंडी व्यापार में पिछड़ रही है। कारोबारी 24 घंटे नो एंट्री का दर्द झेल रहे हैं।

-अजित जायसवाल

अभी 18 प्रतिशत जीएसटी से मूल्य बढ़ जाता है। यह पांच प्रतिशत हो जाए तो दुकानदार और ग्राहक को राहत होगी।

-प्रकाश सोनेजा

वाहनों पर रोक, माल के न पहुंच पाने आदि के संबंध में लंबे समय से सरकार और प्रशासन से मांग करते रहे हैं। कोई सफलता नहीं मिली।

-अजय गुप्ता

शहर के बाहर फर्नीचर कारोबार के लिए स्थान आवंटित किया जाए ताकि वहां वाहनों की पहुंच हो सके।

-रमेश यादव

इस कारोबार को कुटीर उद्योग के रूप में मान्यता मिले ताकि कारोबार को मंदी से उबारने में सहायता मिल सके।

-अजय जायसवाल

फर्नीचर निर्माताओं को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती। कच्चे माल की कीमत पर नियंत्रण होना जरूरी है।

-नवीन वर्मा

ऑनलाइन कारोबार से गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा। ग्राहक सुगमता से दुकानों तक पहुंच नहीं पा रहे।

-अमन जायसवाल

-ग्राहकों को जाम आदि की समस्या से जूझना पड़ता है। इसका असर सीधे कारोबार पर पड़ रहा है।

डॉ. यादवेंद्र सिंह

कमजोर और फैंसी उत्पादों की कीमतें कम होने एवं सुगमता से घर तक न पहुंच पाने का दंश हमें झेलना पड़ रहा है।

-नितिन अग्रवाल

इस क्षेत्र में दिन भर भीड़ रहती है। घंटों जाम झेलना पड़ता है। ग्राहकों, राहगीरों के लिए कोई सुविधा नहीं है।

-प्रदीप सिंह

क्षेत्र में पेयजल-शौचालय का इंतजाम नहीं है। कारोबारी अपने बूते राहगीरों, श्रद्धालुओं की सहायता करते हैं।

-अनूप जायसवाल

महाकुंभ के दौरान कारोबारियों ने दूर-दराज के श्रद्धालुओं की खूब सहायता की। अब ग्राहकों की राह जोह रहे।

-भैया लाल यादव

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