Intercity Bus Operations Disrupted Haldwani to Rudrapur Commuters Face Inconvenience बोले रुद्रपुर: इंटरसिटी बसें पकड़ने के लिए सात किमी चल रहे सिडकुल कर्मी, Rudrapur Hindi News - Hindustan
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बोले रुद्रपुर: इंटरसिटी बसें पकड़ने के लिए सात किमी चल रहे सिडकुल कर्मी

रुद्रपुर और हल्द्वानी के बीच इंटरसिटी बसों के संचालन में यात्रियों को हो रही समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले निर्धारित मार्ग का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे सिडकुल कर्मियों को 7 किलोमीटर...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरMon, 19 May 2025 08:50 PM
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बोले रुद्रपुर: इंटरसिटी बसें पकड़ने के लिए सात किमी चल रहे सिडकुल कर्मी

वर्ष-2013-14 में रुद्रपुर से हल्द्वानी के लिए इंटरसिटी बसों के संचालन की अनुमति दी गई थी। खासतौर से सिडकुल कर्मियों के लिए चलाई गई इन बसों का एक मार्ग तय किया गया था। इन्हें इसी मार्ग से यात्रियों को लाना-ले जाना था। यह नियम महज कुछ दिन ही चल पाया। इसके बाद इंटरसिटी बसों के संचालकों ने स्वयं का मार्ग तय कर लिया। इस बीच रुद्रपुर व हल्द्वानी के बीच का किराया भी बढ़ा दिया। सिडकुल के कारोबारियों ने पूर्व में जिला प्रशासन के सामने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो सका।

वहीं परिवहन विभाग भी इंटरसिटी बसों की मनमानी को लेकर आंखें मूंदे हुए है। वर्तमान में प्रतिदिन हल्द्वानी से रुद्रपुर नौकरी करने आने वाले लोग अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्हें बस पकड़ने के लिए करीब 7 किलोमीटर चलकर मुख्य हाईवे पर पहुंचना और अतिरिक्त किराया भी देना पड़ता है। औसतन 40 हजार से ज्यादा लोग प्रतिदिन हल्द्वानी से रुद्रपुर में सिडकुल स्थित कंपनियों में नौकरी और व्यवसाय आदि के लिए आते हैं। इन्हें परिवहन आदि में होने वाली दिक्कतों के मद्देनजर दोनों शहरों के बीच इंटरसिटी बसों का संचालन शुरू किया गया। सिडकुल स्थित कर्मचारियों को परेशानी न हो, इसलिए इन बसों के लिए ब्रिटानिया चौक, पानी की टंकी, पारले चौक से होते हुए नैनीताल हाईवे का मार्ग तय किया गया था। इसी तरह उन्हें हल्द्वानी से आते समय पारले चौक, पानी की टंकी, ब्रिटानिया चौक से होते हुए नैनीताल हाईवे में आना था। इंटरसिटी बस संचालकों ने कुछ दिन इस नियम का पालन किया, लेकिन बाद में यात्रियों की कमी का बहाना करके सीधे नैनीताल हाईवे से बसें दौड़ाने लगे। इसकी वजह से सिडकुल कर्मचारियों को परेशानी होने लगी। वर्तमान में उन्हें हल्द्वानी के लिए बस पकड़ने के लिए अपने ऑफिस से करीब 7 किलोमीटर पैदल चलकर नैनीताल हाईवे तक आना पड़ता है। ब्रिटानिया व पारले चौक पर भी यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें धूप, बरसात में खड़े रहकर बस का इंतजार करना पड़ता है। ज्यादातर इंटरसिटी बसें बाजार क्षेत्र से ही भरकर आ जाती हैं, इसलिए यात्रियों को कई बार घंटों बस का इंतजार करने के बाद भी सीट नहीं मिल पाती है। प्रतीक्षालय की सुविधा नहीं होने से सिडकुल में कार्यरत महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। कई कंपनियों में महिलाओं को अपने बच्चों के साथ ऑफिस आने की अनुमति है, ऐसी महिलाओं को आवाजाही में और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा देर रात काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या भी यहां अत्यधिक है, लेकिन उनके लिए परिवहन की भी कोई व्यवस्था नहीं होती है। तय मार्ग पर एक माह भी नहीं चल पाईं बसें : सिडकुल स्थित कंपनियों में कार्यरत ज्यादातर लोग हल्द्वानी, लालकुआं, किच्छा आदि क्षेत्रों से आते हैं, इसलिए उनके लिए इंटरसिटी बसों का संचालन करने का मुद्दा सिडकुल कारोबारियों ने जिला स्तरीय उद्योग मित्र बैठक में उठाया था। इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने रुद्रपुर व हल्द्वानी के बीच इंटरसिटी बसों का संचालन पंतनगर सिडकुल होते हुए कराए जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन पंतनगर सिडकुल के अंदर से करीब एक माह के लिए ही बसों का संचालन हुआ,इसके बाद बसें सीधे नैनीताल हाईवे से होकर जाने लगीं। सिडकुल के कारोबारियों ने बताया कि एक महीने में ही इंटरसिटी बसों के संचालकों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि तय मार्ग में सवारियां नहीं मिलती हैं, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है। इसके बाद वह अपनी मनमानी पर उतर आए और निर्देशों की धज्जियां उड़ाने लगे। बताया कि इसके बाद यह मुद्दा पूर्व जिलाधिकारी युगल किशोर पंत के सामने भी उठाया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। कहा कि वर्तमान में सिडकुल कर्मियों को बस पकड़ने के लिए करीब 7 किमी. पैदल चलकर या ई-रिक्शा से नैनीताल मुख्य हाईवे पर पहुंचना पड़ता है। इससे अतिरिक्त समय लगता है और आर्थिक नुकसान भी होता है। सिडकुल कर्मियों के लिए प्रतीक्षालय तक नहीं : सिडकुल कर्मियों के लिए प्रतीक्षालय तक नहीं है, जिससे उन्हें धूप आदि में खड़ा होकर बसों का इंतजार करने को मजबूर होना पड़ता है। सिडकुल कर्मियों ने बताया कि सिडकुल परिसर में प्रवेश के दो रास्ते हैं। एक ब्रिटानिया चौक व दूसरा पारले चौक, लेकिन दोनों ही स्थानों पर यात्रियों के बैठने, धूप, बारिश आदि से बचने की कोई व्यवस्था नहीं है। सोमवार को करीब 2.30 बजे ब्रिटानिया चौक पर बीते 15-20 मिनट से हल्द्वानी के लिए बस के इंतजार में खड़े यात्रियों ने कहा कि इतनी तेज धूप है, लेकिन यहां बैठने, छाया आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। दोपहर के समय यात्रियों की संख्या कम होती है, इसलिए यहां काफी देर तक बस के इंतजार में खड़ा रहना पड़ता है। कहा कि लोग यहां स्थित एक पेड़ के नीचे खड़े होकर बस का इंतजार करने को मजबूर हैं। सिडकुल स्थित कुछ कंपनियों में कर्मचारियों को हर दिन अपने बच्चों को काम पर लाने की अनुमति मिलती है। अपनी करीब 2 वर्षीय बेटी के साथ प्रतिदिन ऑफिस आने वाली दीपा बिष्ट ने बताया कि वह सीट मिलने पर ही बस में सवार होती हैं, ऐसे में खाली सीट के लिए उन्हें काफी देर तक बस का इंतजार करना पड़ता है। बरसात में प्रतीक्षालय नहीं होने से काफी परेशानियां होती हैं। इसी तरह पारले चौक पर भी यात्रियों के लिए सुविधायुक्त प्रतीक्षालय की कमी है। यात्रियों की सुरक्षा के साथ होता है खिलवाड़ : इंटरसिटी बसों में यात्रियों की सुरक्षा के साथ आए दिन खिलवाड़ होता है। यात्रियों ने बताया कि इंटरसिटी बसों के चालक व परिचालक अक्सर नियमों को ताक पर रखते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ती है। बताया कि इंटरसिटी बसों में कई बार परिचालक ही चालक बन जाते हैं, जिससे अक्सर दुर्घटना होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों की वजह से बीते दो-तीन माह में टांडा जंगल के पास दो बार इंटरसिटी बसें दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची हैं। कहा कि रुद्रपुर-हल्द्वानी मार्ग में चलने वाली कई इंटरसिटी बसें काफी पुरानी हो चुकी हैं। ऐसे में यात्री उनकी फिटनेस को लेकर भी चिंतित रहते हैं। कहा कि जब परिवहन विभाग के अधिकारी सालों बाद भी सभी इंटरसिटी बसों में किराया सूची चस्पा नहीं करवा पाए तो उनसे और क्या उम्मीद की जा सकती है। कहा कि यात्रियों को प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर होना पड़ता है। 40 हजार से अधिक यात्रियों के लिए मात्र 30 इंटरसिटी बसें : हल्द्वानी से प्रतिदिन रुद्रपुर में कामकाज व नौकरी आदि के लिए आने वाले लोगों की संख्या 40 हजार से अधिक बताई जाती है, लेकिन इनके लिए वर्तमान में 30 इंटरसिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। सिडकुल के कारोबारियों ने बताया कि सिडकुल में प्रतिदिन करीब 3 लाख कर्मचारी काम के लिए आते हैं। इसमें हल्द्वानी आदि से आने वालों की संख्या 35-40 हजार है। इसमें से कुछ लोग अपने निजी वाहनों व कुछ अन्य संसाधनों से आते हैं। इनके अलावा भी हजारों की संख्या में अन्य लोग व्यवसाय व नौकरी के लिए प्रतिदिन हल्द्वानी से रुद्रपुर आते हैं। सिडकुल स्थित बस स्टॉपों पर परिवहन निगम की बसों के नहीं रुकने से यात्रियों को और ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। कहा कि शाम के समय हल्द्वानी जाने के लिए इंटरसिटी बसों में यात्रियों को भेड़-बकरी की तरह ठूंसकर भरा जाता है। रात्रि शिफ्ट वालों के लिए बसों की कोई व्यवस्था नहीं : सिडकुल स्थित कंपनियों में कर्मचारियों की अलग-अलग शिफ्ट लगती हैं। ऐसे में कई यात्रियों की शिफ्ट देर रात्रि में खत्म होती है। इनमें बहुत से लोग प्रतिदिन हल्द्वानी से अप-डाउन करते हैं। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गजेंद्र रावत, दिनेश तिवारी आदि ने बताया कि वह प्रतिदिन सार्वजनिक वाहनों से हल्द्वानी से सिडकुल में नौकरी करने आते हैं। उनकी शिफ्ट दोपहर 2 बजे से रात में 11 बजे तक चलती है। ऐसे में उन्हें वापस हल्द्वानी जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कहा कि देर रात्रि में सिडकुल से रोडवेज जाने के लिए आसानी से वाहन नहीं मिलता है, इसलिए उन्हें ब्रिटानिया चौक पर ही रोडवेज की बस का इंतजार करना पड़ता है। ज्यादातर रोडवेज की बसें यहां नहीं रुकती हैं, इसलिए घंटों इंतजार करने के बाद ही कोई बस रुक पाती है। कहा कि रात्रि में ब्रिटानिया चौक पर असामाजिक तत्वों का जमवाड़ा लगा रहता है, ऐसे में उनका भय भी सताता रहता है। कहा कि इस ओर रात्रि में पुलिस गश्त भी नहीं होती है। शिकायतें : 1-इंटरसिटी बसों के लिए सिडकुल के भीतर से होकर जाने का मार्ग तय किया गया था, लेकिन बस संचालकों ने यात्रियों की कमी का हवाला देकर नया मार्ग बना लिया। 2-सिडकुल कर्मियों के लिए प्रतीक्षालय तक का निर्माण नहीं किया गया है। इससे यात्रियों को घंटों तक धूप-बारिश में खड़े होकर बस की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। 3-इंटरसिटी बसों में यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होता है। कई बार परिचालक तक बस चलाने लगते हैं। बसों की फिटनेस को लेकर भी यात्रियों को संदेह होता है। 4-हल्द्वानी से 40 हजार से ज्यादा लोग रोजाना नौकरी व रोजगार के लिए रुद्रपुर आते हैं, लेकिन उनके लिए मात्र 30 इंटरसिटी बसें हैं। परिवहन निगम की बसें भी स्टॉप पर नहीं रुकती हैं। 5-सिडकुल स्थित कंपनियों में कई शिफ्टों में कार्य होता है, लेकिन देर रात्रि तक कार्य करने वाले कर्मचारियों को हल्द्वानी के लिए आसानी से बस नहीं मिल पाती हैं। सुझाव 1- इंटरसिटी बसों का संचालन सिडकुल कर्मियों के लिए ही किया गया था। ऐसे में परिवहन विभाग को सख्ती से बसों को पुराने मार्ग परचलने को बाध्य करना होगा। 2-सिडकुल कर्मियों के लिए ब्रिटानिया चौक, पारले चौक आदि में प्रतीक्षालय का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे उन्हें असुविधा न हो। 3-इंटरसिटी बसों में यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न हो, इसलिए परिवहन विभाग को सख्ती बरतनी चाहिए। साथ ही बसों की फिटनेस आदि की जांच करनी चाहिए। 4-प्रतिदिन हल्द्वानी से रुद्रपुर आने वाले लोगों के लिए इंटरसिटी बसों की संख्या बढ़ाई जाए। साथ ही परिवहन विभाग को अपने सभी चालकों को स्टॉप पर रुकने के निर्देश देने चाहिए। 5-देर रात्रि तक कार्यरत कर्मचारियों के लिए परिवहन विभाग को बसों की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे उन्हें घंटों तक बस के इंतजार में न बैठना पड़े। साझा किया दर्द इंटरसिटी बसों को वोल्टास चौक तक आना ही चाहिए था। इस चौक से सभी लिंक रोड जुड़ी हुई हैं। इंटरसिटी बसों के सिडकुल परिसर में नहीं आने से यात्रियों को परेशानी होती है। पुराने नियमों से बसों का संचालन होना चाहिए। - अजय तिवारी, संस्थापक सदस्य व पूर्व अध्यक्ष, सिडकुल इंटरप्रेन्योर वेलफेयर सोसाइटी यात्रियों की कमी की बात कहकर इंटरसिटी बसों के संचालकों ने पंतनगर सिडकुल होते हुए बसों का संचालन बंद कर दिया है। इससे सिडकुल कर्मियों को पैदल चलकर हाईवे तक पहुंचना पड़ता है। इंटरसिटी बसों का संचालन पूर्व मार्ग से किया जाए। - तेजराम बाघेल, कारोबारी, सिडकुल सिडकुल कर्मचारियों की वजह से ही इंटरसिटी बसों को परमिट दिए गए थे। इन्हें ब्रिटानिया चौक, पानी की टंकी, पारले चौक से होकर हाईवे को जाना था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद बस संचालकों ने अपना नया मार्ग चुन लिया। - विकास पांडे, कारोबारी, सिडकुल हम तो यह सोच रहे थे कि हल्द्वानी से आने वाले सिडकुल कर्मियों के बाद किच्छा, लालकुआं आदि से आने वाले कर्मचारियों को भी इंटरसिटी बसों का लाभ मिलेगा, लेकिन हल्द्वानी मार्ग पर ही नियमों का पालन नहीं हुआ। प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए। - राजेश मिश्रा, पीआरओ, सिडकुल इंटरप्रिन्योर वेलफेयर सोसायटी प्रतिदिन हल्द्वानी से नौकरी करने रुद्रपुर आता हूं। अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन इंटरसिटी बसों की मनमानी से वाकिफ हो चुका हूं। बसों में किराया सूची तक नहीं है। सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। - अमृत लाल, सिडकुल कर्मचारी इंटरसिटी बसों से सभी सिडकुल कर्मी परेशान हैं। देर रात्रि ऑफिस से निकलने वालों के लिए भी सुविधा होनी चाहिए। ब्रिटानिया चौक पर रात्रि में पुलिस गश्त होनी चाहिए। - गजेंद्र रावत, सिडकुल कर्मचारी रोडवेज की सभी बसों को ब्रिटानिया और पारले चौक पर रुकना चाहिए। यात्रियों को सुविधा होगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों को इसे सख्ती से लागू करना चाहिए। - दिनेश तिवारी, सिडकुल कर्मचारी हल्द्वानी जाने वाली बसों की संख्या कम है। साथ ही परिवहन निगम की बसें स्टॉप पर नहीं रुकती हैं। ऐसे में इंटरसिटी बस वाले अपनी मनमर्जी चलाते हैं, इससे सिडकुल कर्मी परेशान होते हैं। - उमेश सिंह बोरा, सिडकुल कर्मचारी इंटरसिटी बस का प्रयोग बहुत कम करता हूं। उसमें यात्रियों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जाता है। यात्रियों की सुरक्षा अक्सर खतरे में रहती है। रोडवेज की बसें रुकनी चाहिए। - हेम जोशी, सिडकुल कर्मचारी यात्रियों के बैठने के लिए यहां प्रतीक्षालय तक नहीं बना है। काफी देर बाद बसे मिलती हैं, तब तक यात्रियों को धूप-बारिश में ही खड़ा रहना पड़ता है। इससे काफी परेशानी होती है। - विद्या, सिडकुल कर्मचारी इंटरसिटी बसों से यात्री बहुत परेशान हैं। पूरा किराया लेते हैं। क्षमता से अधिक यात्री ले जाते हैं। इन बसों की फिटनेस आदि की जानकारी भी नहीं मिल पाती है। - जयशंकर राजपूत, सिडकुल कर्मचारी सिडकुल कर्मियों के लिए परिवहन की सुविधा दुरुस्त होनी चाहिए। रोजाना हल्द्वानी से आने वाले कर्मचारियों को इंटरसिटी बसों के कारण काफी परेशान होना पड़ता है। - अनीता, सिडकुल कर्मचारी बोले अध्यक्ष तत्कालीन जिलाधिकारी से अनुरोध किया गया था कि हल्द्वानी, किच्छा, लालकुआं से प्रतिदिन आने वाले सिडकुल कर्मियों के लिए इंटरसिटी बसों का संचालन पंतनगर सिडकुल होते हुए कराया जाए। उन्होंने इसकी अनुमति दी। शुरुआत में रुद्रपुर से हल्द्वानी के लिए इंटरसिटी बसों का संचालन सिडकुल होते हुए किया गया, लेकिन एक महीने में ही इंटरसिटी बसों के संचालकों ने यात्री नहीं मिलने की बात कहकर मार्ग बदल दिया। हमने उनसे सिडकुल परिसर से ही यात्री ले जाने की बात कही, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। - श्रीकर सिन्हा, अध्यक्ष, सिडकुल इंटरप्रेन्योर वेलफेयर सोसाइटी बोले एआरटीओ सभी इंटरसिटी बसों की जल्द जांच की जाएगी। बसों में किराया सूची और सीसीटीवी कैमरे लगाने अनिवार्य हैं। साथ ही क्षमता से अधिक यात्री ले जाने और बसों की फिटनेस आदि की जांच की जाएगी। नियमों का पालन नहीं करने वाले बस संचालकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। - मोहित कोठारी, एआरटीओ

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