Boosting Katni Rice Cultivation in Bhagalpur and Banka Aiming for 2000 Acres कतरनी का रकबा बढ़ेगा, बांका और जगदीशपुर होगा नया ठिकाना, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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कतरनी का रकबा बढ़ेगा, बांका और जगदीशपुर होगा नया ठिकाना

बांका और जगदीशपुर की कतरनी अन्य क्षेत्रों से ज्यादा खुशबू वाली इन दोनों जगहों पर

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 5 May 2025 03:56 AM
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कतरनी का रकबा बढ़ेगा, बांका और जगदीशपुर होगा नया ठिकाना

भागलपुर, वरीय संवाददाता। कतरनी धान का उत्पाद खास सुगंध के चलते देश के साथ-साथ विदेशों में भी जलवा बिखेर चुका है। कई ऐसे देश हैं जहां कतरनी चूड़ा और चावल यहां से भेजा जाता है, जिसको जीआई टैग भी मिल चुका है। अब इसकी खेती का रकबा भी बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। चूंकि बांका व भागलपुर के जगदीशपुर क्षेत्रों में उपजने वाली कतरनी की खुशबू व स्वाद अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेजोड़ है, इसलिए इसी क्षेत्र में कतरनी की खेती का रकबा ज्यादा बढ़ेगा। इसको लेकर न केवल किसानों को कतरनी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि किसानों को कतरनी का बीज भी उपलब्ध कराया जाएगा।

इसे अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी दी गई है ‘आत्मा को बांका व भागलपुर जिले की बात करें तो सिर्फ इन दो जिलों में ही बीते साल करीब 800 एकड़ में कतरनी की खेती की गई थी। जिसे अब बढ़ाकर दो हजार एकड़ कर दिया गया है। कतरनी की खेती के इस बढ़े रकबे को लक्ष्य में तब्दील करने के लिए आत्मा यानी एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी को दी गई है। आत्मा भागलपुर के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह कहते हैं कि चूंकि बांका में कतरनी की खेती बहुत ही प्रचुर मात्रा में होती है। इसलिए दो हजार एकड़ के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकेगा। इसमें स्टेकहोल्डर्स, किसानों, एनजीओ व रिसर्च इंस्टीट्यूट को शामिल किया जाएगा। इसमें न केवल किसानों को जागरूक किया जाएगा बल्कि उन्हें अत्याधुनिक मशीन व बीज आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। चूंकि जीआई टैग मिलने के बाद कतरनी की पहचान वैश्विक व मांग ज्यादा बढ़ गई है, इसलिए कतरनी की चावल से किसानों को अच्छी कमाई भी मिल जाएगी। बांका व जगदीशपुर में कतरनी की खेती के विकास की संभावना ज्यादा जिला कृषि पदाधिकारी प्रेम शंकर प्रसाद बताते हैं कि गंगा के उस पार नवगछिया से लेकर जिले के जगदीशपुर, गोराडीह, शाहकुंड, कहलगांव, सन्हौला व आंशिक सुल्तानगंज क्षेत्र में कतरनी की खेती ज्यादा होती है। लेकिन स्वाद के मामले में जगदीशपुर क्षेत्र में उपजाई जाने वाली कतरनी लाजवाब है। जगदीशपुर को कतरनी धान का कटोरा भी कहा जाता है। अगर कतरनी धान के रकबे में विस्तार होता है तो किसानों को अधिक लाभ होगा। किसानों को कृषक उत्पादक कंपनी या संगठन से जोड़ा जाएगा। इसके माध्यम से किसानों के कतरनी धान, चूड़ा व चावल को बाजार उपलब्ध कराते हुए भरपूर मुनाफा प्रदान किया जाएगा। किसानों को कतरनी की खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है। गांव में शिविर लगाकर किसानों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही जैविक कतरनी को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही इसकी खेती में खाद का प्रयोग कम से कम किया जाएगा। कोट कतरनी की खेती के विस्तार को लेकर विभाग लगातार काम कर रहा है। किसानों को जागरूकता के साथ ही कतरनी का बीज उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही कतरनी के खेतों तक तक पानी पहुंचे, इसका मुकम्मल इंतजाम होगा। ताकि भागलपुर व बांका जिले में दो हजार एकड़ में कतरनी की खेती करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। -प्रेम शंकर प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी, भागलपुर

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