मरीजों पर हाथ साफ कर रही थी दोनों नर्सें, अनुभव प्रमाण पत्र लेना था इरादा!
- बिना अनुमति मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में दो बाहरी नर्सों द्वारा ड्यूटी किए

भागलपुर, वरीय संवाददाता मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में अनधिकृत रूप से ड्यूटी करते पकड़ी गई दोनों नर्सों के खिलाफ अस्पताल प्रशासन घटना के 24 घंटे बाद आवेदन पत्र नहीं दे सका। मजबूरन बरारी पुलिस को पकड़ी गई दोनों नर्सों को छोड़ना पड़ गया। हालांकि बरारी पुलिस ने दोनों नर्सों को पकड़े जाने की बात से पूरी तरह से इनकार कर दिया। इस मामले में अस्पताल प्रशासन ने मैट्रन को नोटिस जारी करते हुए पूछा है। वहीं इस मामले में संदेह के रडार पर आई अस्पताल की स्टाफ नर्स के खिलाफ शोकॉज जारी कर दिया गया। विभागीय सूत्रों की माने तो इस खेल में अधीक्षक कार्यालय के एक से दो बाबू से लेकर मैट्रन विभाग से लेकर वार्डों में तैनात सिस्टर इंचार्ज तक शामिल हैं। इसमें निजी नर्सिंग कॉलेज से नर्सिंग की डिग्री लेने वाली युवतियों को अस्पताल में ट्रेनिंग दिलाकर उन्हें अनुभव (इंटर्नशिप) प्रमाण पत्र दिया जाता है। ऐसा करने के पीछे पैसे का खेल बताया जा रहा है।
अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में नर्सिंग ड्यूटी करती पकड़ी गई थी शिवानी-काजल
शहर के अलीगंज क्षेत्र की रहने वाली शिवानी कुमारी व काजल कुमारी ने क्रमश: कैमूर व लखीसराय के एक निजी अस्पताल से जीएनएम की पढ़ाई की है। ये दोनों नर्सें बिना अनुमति के सोमवार को दोपहर बाद करीब तीन बजे मायागंज अस्पताल की मैट्रन रीता कुमारी द्वारा अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में मरीजों की नर्सिंग करते पकड़ी गई थी। मैट्रन ऑफिस ले जाई गई शिवानी व काजल ने लिखित रूप से बताया था कि वे दोनों अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स सीता कुमारी के कहने पर मेडिसिन वार्ड में अनधिकृत रूप से ड्यूटी कर रही थी।
24 घंटे बीत गये अस्पताल की तरफ से आवेदन ही नहीं दिया गया
सोमवार की शाम करीब चार बजे हॉस्पिटल मैनेजर सुनील कुमार गुप्ता के बुलावे पर बरारी पुलिस दो महिला कांस्टेबल के साथ अस्पताल पहुंची थी और दोनों पकड़ी गई नर्सों को पकड़कर थाने ले गई थी। 24 घंटे बीत जाने के बावजूद जब बरारी पुलिस को कोई आवेदन नहीं मिला तो बरारी पुलिस ने दोनों को उनके मां-बाप के हवाले कर दिया। हालांकि बरारी थानेदार बिट्टू कुमार कमल ने बताया कि उनके द्वारा किसी भी ऐसी नर्स को हिरासत में लिया नहीं गया है। ऐसे में उन्हें छोड़े जाने की बात पूरी तरह से निराधार है। वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने कहा कि इस मामले में अस्पताल की मैट्रन रीता कुमारी को आवेदन दिया जाना चाहिए था। उन्हें मंगलवार को स्पष्टीकरण का नोटिस दिया गया है और पूछा गया है कि उनके रहते इस तरह बाहरी द्वारा मरीजों का इलाज कैसे किया जा रहा था। आखिर इसके पीछे का खेल क्या है और कौन-कौन किस खेल में शामिल है, इसकी जांच कर रिपोर्ट जारी करें। वहीं मेडिसिन विभाग की स्टाफ नर्स सीता कुमारी की ड्यूटी नाइट शिफ्ट में है। उसके खिलाफ शोकॉज जारी करते हुए उससे 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया है।
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