नालंदा के 14 समेत सूबे के 200 ग्रामीण अस्पतालों को मिला राज्य स्तरीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र
नालंदा के 14 समेत सूबे के 200 ग्रामीण अस्पतालों को मिला राज्य स्तरीय गुणवत्ता प्रमाणपत्रनालंदा के 14 समेत सूबे के 200 ग्रामीण अस्पतालों को मिला राज्य स्तरीय गुणवत्ता प्रमाणपत्रनालंदा के 14 समेत सूबे...

नालंदा के 14 समेत सूबे के 200 ग्रामीण अस्पतालों को मिला राज्य स्तरीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र के लिए करेंगे आवेदन जिले के औंगारी अस्पताल को सबसे अधिक 84, तो सारे को सबसे कम 70 फीसदी आया अंक वैशाली का भोजपट्टी और नया गांव 94 फीसद अंक के साथ सूबे में अव्वल फोटो : गोपालबाद हॉस्पिटल : सरमेरा प्रखंड का गोपालबाद हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर। बिहारशरीफ, निज संवाददाता। नालंदा के 14 समेत सूबे के 200 ग्रामीण अस्पतालों को राज्य स्तरीय एनक्वास (गुणवत्ता) प्रमाणपत्र मिला है। नालंदा जिले में औंगारी अस्पताल को सबसे अधिक 84, तो सारे को सबसे कम 70 फीसदी अंक आया।
वहीं, वैशाली जिला का भोजपट्टी और नया गांव अस्पताल 94 फीसदी अंक के साथ सूबे में अव्वल है। इसमें 70 फीसदी से अधिक अंक लाने वाले इन अस्पतालों को राज्य स्तरीय एनक्वास प्रमाणपत्र मिलने से अब वे राष्ट्रीय एनक्वास प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करेंगे। इन ग्रामीण अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ी हैं। वहां रोजाना रोगियों का इलाज हो रहा है। टीकाकरण से लेकर इलाज करने तक की व्यवस्था में काफी सुधार हुए हैं। इसके लिए उन्हें राज्य स्तरीय एनक्वास (राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक) प्रमाण मिला है। अब ये अस्पताल राष्ट्रीय एनक्वास के लिए आवेदन करेंगे। नगरनौसा के चौरासी अस्पताल को 83, नूरसराय के चंडासी को 820, परवलपुर के कुतुलपुर व बेन के अरावां को 81, बिंद के जमसारी को 80, सरमेरा के गोपालबाद को 78, रहुई के मोरातालाब को 77, हरनौत के सिरसी को 75, करायपरसुराय के चंद्रपुरा को 74, गिरियक के चोरसुआ, थरथरी के छोटी छरियारी को 72, सिलाव के नानंद अस्पताल को 71 फीसद अंक मिले हैं। डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने बताया कि सभी अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं और सेवाओं में काफी बदलाव व सुधार आए हैं। हमारा पूरा ध्यान ग्रामीण अस्पतालों पर भी है। इसके लिए वहां समय समय पर आवेदन आने पर एनक्वास की टीम जाकर उसका निरीक्षण करती है। जिला स्तर से शुरू हुआ सफर यह अब राज्य स्तर तक पहुंच चुका है। इस जिला के 12 अस्पतालों ने इसमें सफलता पायी है। अब ये अस्पताल राष्ट्रीय एनक्वास से प्रमाणित होने के लिए आवेदन करेंगे। इससे वहां की सुविधाओं में और इजाफा होगा। टीम विभिन्न 16 बिंदुओं पर उन अस्पतालों का मूल्यांकन करती है। इसके आधार पर मार्किंग की जाती है। क्या है एनक्वास : श्री निर्मल ने बताया कि एनक्वास कार्यक्रम की शुरुआत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा की गयी है। ताकि, बेहतर प्रदर्शन करने वाली सुविधाओं को पहचानने के साथ साथ समुदाय के सार्वजनिक अस्पतालों की विश्वनियता में सुधार हो सके। इसमें अस्पताल का बाह्य मूल्यांकन, संक्रमण नियंत्रण के प्रयास, भौतिक सफाई, रोगी की देखभाल, रोगियों की प्रतिक्रिया, गुणवत्ता प्रबंधन व अन्य बिंदुओं पर जांच कर अंक दिए जाते हैं। कम से कम 70 फीसद अंक मिलने पर ही उस अस्पताल को एनक्वास का प्रमाण मिलता है। यानि वहां की सेवाएं काफी बेहतर है।
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