अमृत योग में होगा वट सावित्री व्रत
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कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सुहाग, संतान और सुख-शांति की कामना का पर्व वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई (सोमवार) को धूमधाम से मनाया जाएगा। सुहागिनें पारंपरिक सोलह श्रृंगार कर बरगद (वटवृक्ष) की पूजा करेंगी और पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक समृद्धि के लिए व्रत रखेंगी। शुभ मुहूर्त: अमृत योग में मिलेगा विशेष फल: आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर ने बताया कि इस बार व्रत ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी को अमृत योग में पड़ेगा, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है। शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक रहेगा। इसी दौरान वटवृक्ष की पूजा कर महिलाएं व्रत का संकल्प लेंगी।
बरगद के पेड़ में बसते हैं त्रिदेव: आचार्य के अनुसार वटवृक्ष की पूजा सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मान्यता भी है। धर्मशास्त्रों में इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास स्थल माना गया है। यह पेड़ वर्षभर ऑक्सीजन देने वाला और जीवनदायी माना जाता है, इसलिए इसे पूजनीय माना गया है। सावित्री-सत्यवान की अमर कथा है प्रेरणा: वट सावित्री व्रत की जड़ें पौराणिक काल से जुड़ी हैं। सती सावित्री ने अपने तप और पतिव्रता धर्म से यमराज को भी झुका दिया था और मृत पति सत्यवान को जीवनदान दिलाया। तभी से यह व्रत सुहागिनों के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन गया। बांस के पंखे और टोकरी का अनोखा महत्व: महिलाएं बांस की बनी टोकरी में पूजा सामग्री और मौसमी फल लेकर वटवृक्ष के नीचे जाती हैं। वे सात बार पेड़ की परिक्रमा कर रक्षा सूत्र लपेटती हैं और फिर बांस के पंखे से वृक्ष को हवा देती हैं। यही पंखा पूजा के बाद पति को भी झलाया जाता है, जिससे शीतलता, प्रेम और वंशवृद्धि का आशीर्वाद माना जाता है। आचार्य के अनुसार, बांस वंश वृद्धि का प्रतीक है और इसकी शीतलता पारिवारिक सुख-शांति का आधार मानी जाती है।
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