मुंगेर विवि में शोध परिषद की बैठक स्थगित, 37 शोधार्थी लौटे बैरंग
से 37 शोधार्थियों और संबंधित शिक्षकों को निराश होकर विश्वविद्यालय से बैरंग लौटना पड़ा। ज्ञात हो कि, शोध पंजीकरण की प्रक्रिया के तहत शोध प्रस्ताव को पह

मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय में पीएचडी के पहले सत्र में चयनित शोधार्थियों के लिए शोध प्रस्ताव की स्वीकृति प्रक्रिया में गंभीर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। मंगलवार को आयोजित की गई स्नातकोत्तर शोध परिषद की बैठक, सामाजिक विज्ञान के डीन की अनुपस्थिति के कारण स्थगित कर दी गई, जिससे 37 शोधार्थियों और संबंधित शिक्षकों को निराश होकर विश्वविद्यालय से बैरंग लौटना पड़ा।
ज्ञात हो कि, शोध पंजीकरण की प्रक्रिया के तहत शोध प्रस्ताव को पहले विभागीय शोध परिषद का फिर स्नातकोत्तर शोध परिषद का अनुमोदन आवश्यक होता है। इसी क्रम में मंगलवार को समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र और गृह विज्ञान विषयों के कुल 58 शोधार्थियों को अपना शोध प्रस्ताव प्रस्तुत करना था। इनमें समाजशास्त्र के 2, दर्शनशास्त्र के 21, अर्थशास्त्र के 31 तथा गृह विज्ञान के 4 शोधार्थी शामिल थे।
सभी शोधार्थी तथा संबंधित विभागों के शिक्षक नियत तिथि पर विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे थे, लेकिन बैठक से ठीक पहले यह सूचना दी गई कि, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन छुट्टी पर हैं, अतः बैठक नहीं हो सकेगी। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग द्वारा जारी सूचना में यह बताया गया है कि, अपरिहार्य कारणों से बैठक स्थगित की जाती है, लेकिन बैठक की नई तिथि की घोषणा नहीं की गई है। वहीं, सूत्र ने बताया कि, संबंधित टीम छुट्टी पर चले गए हैं। उनके आने के बाद ही नई तिथि निर्धारित की जाएगी। ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि, जब शोध परिषद की बैठक पूर्व से निर्धारित थी तो डीन कैसे अनुपस्थिति हो गए? यदि अनुपस्थित होना था तो बैठक की तिथि निर्धारित होने के पूर्व अपनी अनुपस्थिति के संबंध में उन्होंने सूचना क्यों नहीं दी?
अव्यवस्था से बढ़ा शोधार्थियों का तनाव:
शोध प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए दूर-दराज़ से आए विद्यार्थियों को इस अचानक रद्द हुई बैठक से भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। आर्थिक और मानसिक रूप से पहले ही दबाव में चल रहे शोधार्थियों के समय एवं संसाधनों की भी हानि हुई।
वाणिज्य विषय के शोधार्थियों का भविष्य अधर में:
विश्वविद्यालय में सिर्फ सामाजिक विज्ञान ही नहीं, वाणिज्य विषय से जुड़े 8 शोधार्थियों का मामला भी गहराता जा रहा है। इन शोधार्थियों के गाइड पीजीआरसी की बैठक से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिससे उनके प्रस्ताव अनुमोदन की प्रक्रिया अटक गई है। नियमानुसार, सेवानिवृत्त शिक्षक शोध निर्देशन नहीं कर सकते। विश्वविद्यालय ने सेवानिवृत हुए डीन की जगह नए डीन की समय पर नियुक्ति नहीं की, इसके करण अब विश्वविद्यालय की लेट लतीफ का नतीजा शोधार्थियों को भोगना पड़ रहा है। ऐसे में, इन शोधार्थियों के समक्ष गाइड बदलने या पुनः प्रक्रिया शुरू करने की चुनौती खड़ी हो गई है।
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल:
इस प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही से मुंगेर विश्वविद्यालय की शोध प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि, शोध जैसी गंभीर अकादमिक प्रक्रिया में इस तरह की देरी न केवल शोधार्थियों के करियर को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी आघात पहुंचाती है।
वहीं, शोधार्थियों एवं शिक्षकों की ओर से मांग की जा रही है कि, शोध परिषद के बैठक की नई तिथि शीघ्र घोषित की जाए,
सेवानिवृत्त गाइडों के स्थान पर नए गाइड की त्वरित नियुक्ति की जाए और ऐसी परिस्थितियों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए समयबद्ध और पारदर्शी अनुसूची बनाई जाए।
निष्कर्षित: मुंगेर विश्वविद्यालय को अपनी अकादमिक प्रक्रियाओं को अधिक सुनियोजित, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना होगा, ताकि शोधार्थियों का समय, श्रम और भविष्य सुरक्षित रह सके।
कहते हैं कुलपति:
सोमवार को सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए आयोजित होने वाली शोध परिषद की बैठक संबंधित डीन के छुट्टी पर चले जाने के कारण स्थापित करना पड़ा है। बैठक की तिथि पूर्व से निर्धारित थी इसके बावजूद डीन द्वारा छुट्टी ली गई है। इसमें गलती कहां हुई है इसकी जांच की जाएगी। जहां तक कॉमर्स के आठ शोधार्थियों के लिए चोर परिषद की बैठक नहीं होने और नए गाइड की नियुक्ति की बात है तो इस समस्या को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। कॉमर्स के शोधार्थी का ज्यादा समय एवं भविष्य बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। नए डीन एवं गाइड की जल्द ही नियुक्ति की जाएगी। समय को छोड़कर उनके लिए कुछ भी विशेष बदलाव नहीं होगा।
-प्रो संजय कुमार, कुलपति, मुंगेर
विश्वविद्यालय, मुंगेर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।