मुंगेर विश्वविद्यालय में जांच समितियों की निष्क्रियता पर उठे सवाल, वर्षों से लंबित हैं कई मामले
मुंगेर विश्वविद्यालय में जांच समितियों का गठन तो किया गया है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। गंभीर मामलों की जांच केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल...

मुंगेर, संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय में जांच समितियां तो बनती हैं, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। वर्षों से कई गंभीर मामलों की जांच केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस निष्क्रियता पर अब सवाल उठने लगे हैं।
विश्वविद्यालय के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि, जब कोई मामला उजागर होता है, तो उस पर लीपापोती करने के लिए जांच समिति बना दी जाती है। परंतु, समिति की जांच रिपोर्ट पर आगे की कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। इससे यह साफ हो जाता है कि, जांच की मंशा गंभीर नहीं होती, बल्कि केवल मामले को टालने का एक तरीका भर होता है।
पुराने मामलों में कार्रवाई के नाम पर पसरा है सन्नाटा:
ज्ञात हो कि, पूर्व में धनराज सिंह कॉलेज, सिकंदरा में विज्ञान संकाय में बिना मान्यता के नामांकन का मामला सामने आया था। इस पर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी, जिसने अपनी जांच रिपोर्ट भी सौंप दी थी। लेकिन, आज तक इस जांच रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया गया, यह सामने नहीं आ पाया है। इसी प्रकार, विश्वविद्यालय के अधिकारियों के लिए खरीदे गए मोबाइल और लैपटॉप के गायब होने का मामला भी सामने आया। कुलसचिव ने मामले को उजागर किया और जांच समिति गठित की गई। समिति द्वारा जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद कार्रवाई की सिफारिश भी की गई, लेकिन अब तक न तो एफआईआर दर्ज हुई और न ही किसी अधिकारी पर ठोस कार्रवाई हुई। हालांकि, सार्वजनिक दबाव के कारण एक मोबाइल और एक लैपटॉप वापस लौटा दिया गया, लेकिन अभी भी एक मोबाइल गायब है, जिसकी कोई जानकारी नहीं है। यदि मामला पुलिस को सौंपा गया होता, तो अब तक दोषी का पता चल सकता था।
नई जांच, पुरानी कहानी:
पिछले वर्ष तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त एक शिक्षक से जुड़े मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। इसके साथ ही, पिछले वर्ष 15 फरवरी को राजभवन से प्राप्त एक शिकायत की जांच के निर्देश भी कुलपति को दिए गए थे, लेकिन उन पर अब तक कोई प्रगति नहीं दिखी है।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर उठे सवाल:
लगातार जांच रिपोर्टों को ठंडे बस्ते में डालने से विश्वविद्यालय प्रशासन की नीयत पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि, जिन व्यक्तियों पर जांच चल रही होती है, उन्हें ही विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न पदों से नवाजा जाता है। इससे विश्वविद्यालय की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगने लगा है। ऐसे में स्पष्ट है कि, मुंगेर विश्वविद्यालय में जांच समितियां महज औपचारिकता बनकर रह गई हैं। जब तक रिपोर्टों पर समयबद्ध और पारदर्शी कार्रवाई नहीं होती, तब तक विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर संदेह बना रहेगा।
विवि प्रशासन का पक्ष:
कोई भी मामला उजागर होने पर उसकी जांच के लिए जांच समिति का गठन किया जाता है। जांच समिति की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का अधिकार कुलपति का होता है। पिछले कुलपति ने इन मामलों पर कोई भी निर्णय नहीं लिया। वर्तमान कुलपति को अब तक हुए विभिन्न मामलों की जांच से संबंधित जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही विभिन्न मामलों के जांच पर क्या कार्रवाई हुई, इसकी निगरानी के लिए एक सेल का गठन किया जाएगा। इसकी सूचना शीघ्र ही जारी की जाएगी। इसके बाद कुलपति के निर्देशानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
-कर्नल विजय कुमार ठाकुर, कुलसचिव,
मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर
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