पेन नंबर नहीं होने से 50 हजार बच्चों की पहचान गुम
मुजफ्फरपुर में 50,000 बच्चों की पहचान केवल इस कारण गुम है कि उनके पास परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) नहीं है। निजी और कुछ सरकारी स्कूलों में रजिस्ट्रेशन न होने से बच्चों का पेन नंबर नहीं बना है। इससे...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) नहीं होने से 50 हजार बच्चों की पहचान गुम है। जिन निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन नहीं है, उनके बच्चों का पेन नंबर नहीं बना है। ऐसे सरकारी स्कूल भी जिनके बच्चों का पेन नहीं बना है, उनके बच्चों की पहचान भी गुम है।
जिले में मिडिल के 50 हजार से अधिक बच्चों का स्कूल बदला पर उनका पता नहीं बदला। गैर रजिस्टर्ड स्कूलों में पढ़ रहे ये बच्चे सरकारी स्कूल में आने के बाद रिकॉर्ड में लापता हैं। ऐसे बच्चे जब अन्य स्कूलों में नामांकन करा रहे हैं तो उनका कोई रिकॉर्ड ही नहीं हैं। ऐसे में स्कूल प्रभारी परेशान हैं कि इन बच्चों का नामांकन स्कूल के रजिस्टर पर तो है मगर विभाग के रिकार्ड में नहीं है। जबतक इन बच्चों का पेन नंबर नहीं बनता है तब तक ये विभागीय रिकार्ड में नामांकित कहलाएंगे भी नहीं।
बिना यू डायस छात्र पेन संख्या के स्थानांतरण प्रमाणपत्र मान्य नहीं
जिले के विभिन्न स्कूलों के हेडमास्टर ने बताया कि न केवल पांचवीं-छठी से लेकर सातवीं-आठवीं बल्कि नौवीं में नामांकन में मामला फंस गया है। निजी स्कूलों में पांचवीं या आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद जब ये बच्चे सरकारी स्कूल में नामांकन के लिए आ रहे तो मामला फंस रहा है। ये बच्चे स्थानांतरण प्रमाणपत्र लेकर आ रहे मगर उसपर यू डायस छात्र पेन संख्या दर्ज नहीं है। जब विभाग से इसपर पूछा जा रहा है तो पता चल रहा कि संबंधित स्कूल को यू डायस कोड मिला ही नहीं है। ऐसे में पेन नंबर मिलने का कोई सवाल ही नहीं है।
जिले में 600 से अधिक स्कूल बिना पेन नंबर के
जिले में पांचवीं और आठवीं तक के 600 से अधिक स्कूल बिना यू डायस कोड के ही चल रहे हैं। डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान सुजीत कुमार ने कहा कि ऐसे स्कूल के बच्चों के नए नामांकन में दिक्कत आ रही है। इनका नामांकन ले भी लिया जाए तो इनका कोई रिकार्ड नहीं रहेगा। विभाग से इसपर मार्गदर्शन मांगा गया है। बिना यू डायस वाले स्कूल से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
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