Unseasonal Rain Devastates Farmers in Darouli and Guthni Impacting Crops जिले में बेमौसम बारिश ने तरबूज की लाखों की फसल बर्बाद, Siwan Hindi News - Hindustan
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जिले में बेमौसम बारिश ने तरबूज की लाखों की फसल बर्बाद

10 अप्रैल को दरौली और गुठनी में हुई बारिश से किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। गेहूं और मौसमी फसलों को नुकसान हुआ है। नदी में कटाव से 50 एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हुई है। किसानों का कहना है...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानWed, 16 April 2025 02:37 PM
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 जिले में बेमौसम बारिश ने तरबूज की लाखों की फसल बर्बाद

गुठनी, एक संवाददाता। दरौली और गुठनी प्रखंड मुख्यालय में 10 अप्रैल को हुई मूसलाभर बारिश में किसानों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न कर दिया। जहां गेहूं की फसल को काफी क्षति और नुकसान पहुंचा है। वहीं मौसमी खेती पर भी इस बे मौसम बारिश का असर देखने को मिल रहा है। दरौली, गुठनी, रघुनाथपुर, सिसवन, प्रखंड मुख्यालय के दियारा इलाकों में होने वाले तरबूज, खरबूज, ककड़ी और परवल की खेती पर इस बारिश का व्यापक असर देखने को मिला है। किसानों का कहना था कि इस बारिश से जहां तरबूज की फसल सड़ने लगेगी। वहीं नदी का जलस्तर भी अचानक बढ़ने लगा है। ऐसे में फसलों को जहां नुकसान पहुंचने की संभावना है। वहीं आने वाले दिनों में उसके उत्पादन पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा। किसानों का कहना था कि इस तरह के मौसम पर मौसमी फल प्रभावित होते हैं। और उनके स्वाद में भी अंतर आ जाता है। नदी में कटाव से फसलो को हुआ नुकसान मौसम की मार झेल रहे किसानों को नदी में हुए कटाव की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। दियारा क्षेत्र में खेती कर रहे किसानों की मानें तो नदी में कटाव से करीब 50 एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि नदी में समा गई है। जिससे सब्जी, फल और मौसमी फलों को काफी नुकसान पहुंचा है। उनका कहना था कि नदी में कटाव से तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, शकरकंदी और सब्जियों की खेती प्रभावित हुई है। किसानों की माने तो नदी के पानी में आए तेजी के वजह से यह कटाव हुआ है। यूपी मे भी होता है यहा से सब्जियों का कारोबार प्रखण्ड के दियारा इलाक़ो मे गर्मियों के दिन मे हरे सब्जियों की खेती करीब 300 से 500 एकड़ जमीन मे किया जाता है। जिसको यूपी के लार, सलेमपुर, बनकटा, भटनी, बेल्थरा, सहित कई जगहों के ब्यापारी आकर यहा से सब्जियों व मौसमी फलो को ले जाते है। मंडी नहीं होने से किसानों को मायूस होकर खाली हाथ लौटना पड़ता है। किसानों का कहना था कि नदी मार्ग और सड़क मार्ग से फलों और सब्जियों को गावँ और देहात में ले जाकर बेचना पड़ता है। मौके पर सुबाष भर, श्रीचन्द्र मल्लाह, राजेन्द्र मल्लाह, विंध्याचल मल्लाह, हरि मल्लाह, राजेश राजभर, श्रीकान्त राजभर, सोहिल राजभर,रामप्रीत,रामभवन, श्रीनारायण भर मौजूद थे।

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