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पटना में रोज 200 लोगों को काट रहे कुत्ते, आखिर क्यों हिंसक हो रहे डॉग

पटना जिले में कुत्ता काटने की घटना बढ़ी है। पांच-छह वर्षों में तीन लाख लोगों को कुत्ते ने शिकार बनाया है। डॉ¯. निवेदिता सिन्हा ने बताया कि एक पीड़ित कम से कम तीन टीका लेता है। सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार, 2020 से अबतक 8 लाख 80 हजार 676 एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज की खपत हुई है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, प्रधान संवाददाता, पटनाWed, 21 May 2025 06:28 AM
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पटना में रोज 200 लोगों को काट रहे कुत्ते, आखिर क्यों हिंसक हो रहे डॉग

पटना में कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। जिले में रोज 200 से ज्यादा लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। अस्पतालों में प्रतिदिन 250 से 300 लोग एंटी रेबीज टीका लेने पहुंच रहे हैं। इनमें से 75% नए मरीज होते हैं। अलग-अलग अस्पतालों में पहुंच रहे पीड़ितों और एंटी रेबीज वैक्सीन की खपत के आकलन से यह सामने आया है। सबसे अधिक वैक्सीन की खपत अक्टूबर से दिसंबर और मई से जुलाई के बीच होती है। पीएमसीएच को छोड़ अन्य सभी जिला अस्पतालों, पीएचसी में एंटी रेबीज लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक डॉ¯. मनोज सिन्हा ने बताया कि पिछले 15 दिनों से कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं।

पहले जहां 30 से 35 लोग एआरबी वैक्सीन लेने आते थे, अब यह 50 से 55 हो गई है। वहीं गर्दनीबाग अस्पताल, शास्त्रीनगर, दीघा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रोज पांच से सात लोग कुत्ता काटने से पीड़ित होकर वैक्सीन लेने आते हैं। आसपास के इलाके में सबसे ज्यादा कुत्ते का आतंक दानापुर-खगौल में है। दोनों जगह र लगभग 50 से 75 पीड़ित रोज वैक्सीन लेने आते हैं। इनमें एक तिहाई पुराने मरीज होते हैं।

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पीएमसीएच में 50 से 70 मरीज पहुंचते हैं वैक्सीन लेने

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और ग्रामीण अस्पतालों में कुत्ता काटने के पीड़ितों की संख्या बढ़ी है वहीं पीएमसीएच में यह संख्या सामान्य बनी हुई है। पीएमसीएच कम्युनिटी मेडिसिन (पीएसएम) के हेड डॉ.अजय कृष्णा ने बताया कि औसत 50 से 60 मरीज रोज वैक्सीन लेने यहां आते हैं। पिछले मई, जून में रोज औसत 100 से 150 पीड़ित टीका लेने पीएमसीएच पहुंचते थे, वहीं यह संख्या घटकर 70 से 75 तक रह गई है।

भूख-प्यास और गर्मी के कारण हिंसक हो रहे

बिहार वेटेनरी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश तिवारी ने कहा कि गली के कुत्ते को कोई खाना नहीं दे रहा है। बच्चे हो रहे हैं वे ट्रैफिक दुर्घटना में मारे जा रहे हैं। वे अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। गर्मी बढ़ने से उनमें बेचैनी भी बढ़ी है। भूख-प्यास और असुरक्षा के कारण उनका गुस्सा बढ़ रहा है और वे दौड़ा-दौड़ाकर काट रहे हैं। स्ट्रीट डॉग के लिए खाने-पीने, उनके बच्चों के लिए शेल्टर की व्यवस्था हो तो ये घटनाएं कम होंगी।

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आवारा कुत्तों की अधिक संख्या बड़ा कारण

पटना में कुत्ता काटने की घटना अधिक होने का सबसे बड़ा कारण है आवारा कुत्तों की अधिक संख्या है। हर चौक-चौराहे, मांस-मुर्गा की दुकानों के आसपास, होटलों-ढाबे, कचरा प्वाइंट के आसपास कुत्तों के झुंड का जमावड़ा रहता है। निगम की ओर से पांच साल पहले कुत्ते की गणना की गई थी। इसके अनुसार सिर्फ शहरी इलाके में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग एक लाख 80 हजार थी। निगम की ओर से कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण के लिए एजेंसी का चयन भी किया गया था। एजेंसी को बंध्याकरण की जिम्मेवारी दी गई थी। लेकिन योजना बीच में ही रुक गई।

जिले में कुत्ता काटने की घटना बढ़ी है। पांच-छह वर्षों में तीन लाख लोगों को कुत्ते ने शिकार बनाया है। डॉ¯. निवेदिता सिन्हा ने बताया कि एक पीड़ित कम से कम तीन टीका लेता है। सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार, 2020 से अबतक 8 लाख 80 हजार 676 एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज की खपत हुई है। इन वर्षों में औसतन 60 हजार लोग प्रतिवर्ष एंटी रेबिज वैक्सीन लिए हैं। 2021-22 में सबसे कम 7230 जबकि 2019-20 में सबसे अधिक 2 लाख 11 हजार 956 एंटी रेबीज वैक्सीन की खपत हुई।

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