demand for Indian missiles increased after operation sindoor defense exports may jump ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय मिसाइलों की बढ़ी डिमांड, उछलेगा डिफेंस एक्सपोर्ट, Business Hindi News - Hindustan
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय मिसाइलों की बढ़ी डिमांड, उछलेगा डिफेंस एक्सपोर्ट

भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के प्रयास में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लेकर तोपखाने व बंदूकों तक विभिन्न प्रकार के हथियारों के अपने निर्यात का विस्तार कर रहा है। आज भारत से रक्षा उपकरण ले रहे देशों की सूची में कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी शामिल हैं।

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमWed, 21 May 2025 08:32 AM
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय मिसाइलों की बढ़ी डिमांड, उछलेगा डिफेंस एक्सपोर्ट

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने जो अपनी ताकत दिखाई है, उससे हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट और अधिक बढ़ जाएगा। भारत में लगभग 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं। केंद्र सरकार ने साल 2024-25 के लिए रक्षा बजट के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष में आवंटित 5.94 लाख करोड़ रुपये से 4.3 प्रतिशत अधिक है।

भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के प्रयास में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लेकर तोपखाने व बंदूकों तक विभिन्न प्रकार के हथियारों के अपने निर्यात का विस्तार कर रहा है। यह विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली के प्रयास के हिस्से के रूप में आता है। भारत ने 2024-25 तक वार्षिक रक्षा निर्यात को 35,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

शुद्ध निर्यातक देश बनने की राह पर भारत

भारत रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक देश बन जाने की राह पर अग्रसर हो चुका है। आज भारत से रक्षा उपकरण ले रहे देशों की सूची में कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी शामिल हैं, जिन्हें भारत बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण भी निर्यात कर रहा है।

भारतीय उपकरण उत्पादक कंपनियों द्वारा नौसैनिक जहाजों का निर्माण भारत में ही करना एक बड़ी कामयाबी रही है। इस क्षेत्र में कुछ कंपनियों द्वारा सस्ती गश्ती नौकाएं बनाकर भारत के मित्र देशों को बेची गई हैं। इसी प्रकार हवाई रक्षा क्षेत्र में हिंदुस्तान एरोनॉटक्सि लिमिटेड ने प्रयोग के तौर पर उच्च स्तरीय हल्का हेलिकॉप्टर का निर्माण भी सफलतापूर्वक किया है। अब तो धीरे-धीरे सरकारी एवं निजी क्षेत्र में कई रक्षा उपकरण उत्पादक कंपनियां अपने नए उत्पादों के साथ दुनिया के अन्य देशों से मुकाबला करने की स्थिति में आ रही हैं।

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दुनिया में भारत के किन रक्षा उत्पादों की बढ़ रही मांग

भारतीय मिसाइलों की मांग जोर पकड़ने लगी है। इनमें सबसे खास मिसाइल या मिसाइल रक्षा प्रणाली हैं: ब्रह्मोस, आकाश और पिनाक।

भारतीय विमानों की मांग भी बढ़ रही है। इनमें प्रमुख हैं - डोर्नियर-228, एलसीए तेजस और एएलएच ध्रुव।

तोपखाना की मांग भी बढ़ी है। 155 मिमी/52 कैलिबर डीआरडीओ एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम की आपूर्ति विदेश में हो रही है।

भारतीय बख्तरबंद वाहनों की मांग हो रही है। टैंक परिवहन के विभिन्न मॉडल दुनिया में बिक रहे हैं।

भारतीय पनडुब्बी, युद्धपोत, तेज इंटरसेप्टर बोट, हल्के टॉरपीडो को भी दुनिया के अनेक देश खरीद रहे हैं।

भारतीय रडार भी अच्छे माने जा रहे हैं। 2डी और 3डी निगरानी वाले रडार निर्माण में तेजी आ रही है।

गोला-बारूद और छोटे हथियारों की भी मांग बढ़ी है। राइफल, बुलेटप्रूफ जैकेट से लेकर सैन्य बूट तक की भारी मांग है।

आत्मनिर्भरता की ओर

महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व के दूसरे नंबर के हथियार आयातक भारत को अब सरकार ने स्वदेशी के मंत्र से हथियारों का निर्यात देश बना दिया है। सरकार का लक्ष्य है कि 2024-25 तक रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 36,500 करोड़ रुपये किया जाए। सरकार का ध्यान स्वदेशी हथियार निर्माण पर अधिक है। भारत ने 53 से अधिक देशों के साथ रक्षा सहयोग समझौते किए हैं, जिससे भारतीय रक्षा उत्पादों के लिए नए बाजार खुल रहे हैं।

भारतीय रक्षा उत्पादों ने प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता प्रदान करने के लिए ख्याति प्राप्त कर ली है, जिससे वे कई विकासशील और मध्यम आय वाले देशों के लिए आकर्षक बन गए हैं। इसका आंशिक कारण भारत में विनिर्माण लागत कम होना तथा लागत प्रभावी समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना है। उदाहरण के लिए, भारत निर्मित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की कीमत अन्य देशों की तुलनीय प्रणालियों की तुलना में काफी कम है, जिससे यह आर्मेनिया जैसे देशों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है।

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