भारतीय डिफेंस स्टॉक्स में फिर हलचल, क्या है वजह और कितनी टिकाऊ है तेजी?
Defense Stocks: गार्डन रीच शिपबिल्डर्स (37%), कोचीन शिपयार्ड (35%), पारस डिफेंस (28%), मझगांव डॉक (19%), और भारत डायनामिक्स (18%) जैसी कंपनियों ने इस रैली को अगुवाई की।

Defense Stocks: भारतीय डिफेंस सेक्टर के शेयर एक बार फिर चर्चा में हैं। पिछले साल ठंडे पड़ने के बाद निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स ने 16 मई को 8,309 के रिकॉर्ड स्तर को छूकर 15% की छलांग लगाई, जो जुलाई 2024 के पिछले शिखर से भी ऊपर है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स (37%), कोचीन शिपयार्ड (35%), पारस डिफेंस (28%), मझगांव डॉक (19%), और भारत डायनामिक्स (18%) जैसी कंपनियों ने इस रैली को अगुवाई की।
क्यों बढ़ रहे हैं डिफेंस स्टॉक्स?
1. ऑपरेशन सिंदूर और वैश्विक मांग: भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को दिखाने वाले ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम जैसे उत्पादों में वैश्विक दिलचस्पी बढ़ाई। रूस ने भी भारत में S-500 मिसाइल सिस्टम बनाने का प्रस्ताव रखा है।
2. निर्यात में उछाल: FY25 में रक्षा निर्यात ₹23,622 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जो FY21 के मुकाबले तीन गुना है। FY29 तक इसे ₹50,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। PSUs (सरकारी कंपनियों) का निर्यात 43% बढ़ा, लेकिन प्राइवेट सेक्टर का निर्यात स्थिर रहा।
3. नए बाजार और NATO खर्च: दक्षिणपूर्व एशिया, यूरोप और अफ्रीका में निर्यात के अवसर बढ़ रहे हैं। NATO के ₹800 अरब के खर्च से भी भारतीय कंपनियों को फायदा मिल सकता है।
बजट और वैल्यूएशन का दबाव
FY26 के रक्षा बजट में ₹50,000 करोड़ का इजाफा हो सकता है, जिससे स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, शेयरों की कीमतें अब "महंगी" हो चुकी हैं। उदाहरण के लिए, BEL का P/E अनुपात 53 है, यानी निवेशक कंपनी के हर ₹1 के मुनाफे के लिए ₹53 दे रहे हैं। कुछ कंपनियों के मुनाफे में कमजोरी (जैसे Bharat Dynamics का 15% गिरावट) वैल्यूएशन को सही नहीं ठहराते।
ऑर्डर बुक में सुस्ती
पिछले साल की तुलना में नए ऑर्डर की रफ्तार धीमी हुई है। FY26 में सेना और नौसेना से बड़े ऑर्डर (जैसे BEL को ₹25,000 करोड़) की उम्मीद है, लेकिन कंपनियों को इन्हें पूरा करने में दक्षता दिखानी होगी। शिपबिल्डर्स जैसे मझगांव डॉक और गार्डन रीच के ऑर्डर बुक में भविष्य में बड़ी वृद्धि का अनुमान है, पर अभी इनका शेयर प्राइस पहले ही इन आशाओं में बढ़ चुका है।
उम्मीदें बनाम चुनौतियां
डिफेंस सेक्टर का लंबी अवधि का नजारा सकारात्मक है, लेकिन महंगे वैल्यूएशन और ऑर्डर बुक की अनिश्चितता से सतर्क रहने की जरूरत है। FY25 के मुकाबले FY26 में मुनाफे की गति धीमी हो सकती है। निवेशकों को कंपनियों के ऑर्डर पूरा करने की क्षमता और नए ठेकों पर नजर रखनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: लेखक माधवेंद्र को इक्विटी बाजार में 7 साल का अनुभव है और वे NISM-रिसर्च एनालिस्ट परीक्षा पास कर चुके हैं। उनकी विशेषज्ञता भारतीय कंपनियों, सेक्टरल ट्रेंड्स और मैक्रोइकॉनॉमिक विषयों पर है। लेखक ने इस लेख में चर्चित शेयरों में निवेश नहीं किया है।