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दूध-तेल ने बिगाड़ा किचन का बजट, सस्ती दाल और सब्जियों ने दी राहत

Inflation: देश भर में दूध और खाने के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। जून 2021 से अब तक दूध के भाव में 13 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। हालांकि, दालों, फलों और सब्जियों के दामों में ज्यादा उछाल नहीं आया है, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली है।

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमFri, 23 May 2025 05:33 AM
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दूध-तेल ने बिगाड़ा किचन का बजट, सस्ती दाल और सब्जियों ने दी राहत

देश भर में दूध और खाने के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। जून 2021 से अब तक दूध के भाव में 13 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। दूध के अलावा दही, पनीर, छाछ जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स भी महंगे हो रहे हैं। वहीं, खाने के तेल के दाम भी सितंबर 2023 से लगातार चढ़ रहे हैं। इनकी कीमतों में 10 से 20 रुपये प्रति लीटर तक की तेजी आई है। हालांकि, दालों, फलों और सब्जियों के दामों में ज्यादा उछाल नहीं आया है, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली है।

आरबीआई की रिपोर्ट क्या कहती है?

आरबीआई के मुताबिक, औसत महंगाई काबू में है, लेकिन कुछ चीजों के दाम आग की तरह बढ़ रहे हैं। खासकर, मूंगफली, सरसों, और सूरजमुखी के तेल के भाव आसमान पर हैं। पिछले एक साल में खाद्य तेल के सूचकांक में 25 अंक से ज्यादा की छलांग लगी है। वहीं, डेयरी प्रोडक्ट्स के सूचकांक में भी 30 अंक की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, अनाज, चीनी, दाल, और सब्जियों के दामों में गिरावट ने लोगों के हौसले बनाए रखे हैं।

कहां कितना बढ़ा, कहां नहीं?

खाद्य तेल: सूरजमुखी का तेल 130 से 159.2 रुपये/किलो, सरसों 152 से 170.8 रुपये/किलो, मूंगफली 182 से 190.4 रुपये/किलो।

दालें: उड़द 117 रुपये/किलो, मूंग 111.1 रुपये/किलो, मसूर 87.7 रुपये/किलो, चना 86.3 रुपये/किलो।

डेयरी: सूचकांक 122 से 152.1 अंक पर पहुंचा।

कहां कितना बढ़ा, कहां नहीं?

दूध और तेल महंगा होने की वजह?

1. दूध: गर्मी में दूध उत्पादन घटता है, जबकि डिमांड बढ़ जाती है। साथ ही, डेयरी कंपनियों का स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ जाता है। 2022-23 में देश में 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ, लेकिन प्रति व्यक्ति उपलब्धता सिर्फ 459 ग्राम/दिन है।

2. खाद्य तेल: लोग अब रिफाइंड की बजाय शुद्ध तेल (सरसों, मूंगफली) खरीद रहे हैं। पाम ऑयल का आयात अप्रैल में 53% घटा, लेकिन भारत अब भी दुनिया का 7वां सबसे बड़ा तेल आयातक है। 2001 में प्रति व्यक्ति खपत 8.2 किलो/साल थी, जो 2024 में बढ़कर 23.5 किलो हो गई।

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फल-सब्जियों की कीमतें स्थिर होने का कारण

इस बार फसल अच्छी रही है, जिसकी वजह से अनाज और दालों की कीमतें स्थिर है। गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों और फलों की आवक बढ़ जाती है, जिस कारण से आवक के मौसम में दाम नहीं बढ़ते है। साथ ही, इस बार सरकार ने प्याज समेत अन्य खाद्य वस्तुओं का पर्याप्त भंडार रखा है।

सप्लाई चेन प्रभावित होने से बढ़ सकते हैं दाम

जवाहर लाल नेहरू विश्विविद्यालय में प्रोफेसर रहे अरुण कुमार ने बताया, “गर्मी के मौसम में दूध की उत्पादकता कम होती है। क्योंकि गर्मी में पशु की दूध देना की क्षमता कम हो जाती है, जो कीमतें बढ़ने का एक कारण हो सकता है। दूसरे, खाद्य तेल की कीमतें उत्पादन पर निर्भर करती है। भारत में खाद्य तेल की उत्पादकता कम है, जिसकी वजह से कीमतों में तेजी आ सकती है। हालांकि, औसत महंगाई अभी नियंत्रण है, लेकिन वैश्विक बाजार में काफी अनिश्चितता है। भविष्य में सप्लाई चेन प्रभावित होने से दाम बढ़ सकते हैं।”

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