हमने IPO के लिए सरकार से बात नहीं की...एनएसई ने मीडिया रिपोर्ट को किया खारिज
NSE IPO: भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने नवंबर 2019 में, 2020 में दो बार और अगस्त 2024 में फिर से इसी तरह के अनुरोध किए थे।
NSE IPO: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने अपने आईपीओ को लेकर सरकार से बातचीत नहीं की है। दरअसल, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि एनएसई ने सरकार को पत्र लिखकर अपने आईपीओ में हस्तक्षेप करने की मांग की है। अब स्टॉक एक्सचेंज ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा कि पिछले 30 महीनों में भारत सरकार के साथ उसके आईपीओ के संबंध में कोई पत्राचार नहीं हुआ है।
क्या था रिपोर्ट में
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि भारत का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, वित्त मंत्रालय से अपने नियोजित आईपीओ को लेकर बाजार नियामक के साथ वर्षों से चल रहे गतिरोध में हस्तक्षेप करने के लिए कह रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज एनएसई साल 2016 से आईपीओ लॉन्च करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, कानूनी मामलों और शासन संबंधी कमियों के कारण मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। बता दें कि भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज ने नवंबर 2019 में, 2020 में दो बार और अगस्त 2024 में फिर से इसी तरह के अनुरोध किए थे।
यदि आईपीओ को मंजूरी मिल जाती है तो भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय स्टेट बैंक, मॉर्गन स्टेनली और कनाडा पेंशन निवेश योजना बोर्ड सहित एक्सचेंज में बड़े निवेशकों को वर्षों के बाद बाहर निकलने का रास्ता मिल जाएगा।
सेबी चेयरमैन ने कही थी ये बात
बीते अप्रैल महीने में सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा था कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बहुप्रतीक्षित आईपीओ नियामकीय समीक्षा के अंतर्गत है और एनएसई और सेबी के बीच कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए चर्चा जारी है। सेबी की चिंताओं में प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति, प्रौद्योगिकी और समाशोधन निगम में बहुलांश स्वामित्व आदि मुद्दे शामिल हैं।
एनएसई के नतीजे
हाल ही में एनएसई ने मार्च तिमाही और वित्तीय वर्ष 2025 के नतीजे घोषित किए, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में उसके नेट प्रॉफिट में 47% की वृद्धि दर्ज की गई। यह प्रॉफिट ₹12,188 करोड़ रहा। स्टॉक एक्सचेंज के बोर्ड ने ₹35 प्रति इक्विटी शेयर (3,500%) के फाइनल डिविडेंड की भी सिफारिश की।