story of a zomato delivery agent accident took away his job worth Rs 1 lakh 25000 but not his courage जोमैटो डिलीवरी एजेंट की कहानी: एक्सीडेंट ने छीनी ₹1.25 लाख की नौकरी, मगर हिम्मत नहीं, Business Hindi News - Hindustan
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जोमैटो डिलीवरी एजेंट की कहानी: एक्सीडेंट ने छीनी ₹1.25 लाख की नौकरी, मगर हिम्मत नहीं

जोमैटो डिलीवरी एजेंट पहले शापुरजी पल्लोनजी ग्रुप में कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर था, जहां उसकी महीने की सैलरी 1.25 लाख रुपये थी। मगर एक कार एक्सीडेंट ने उसकी जिंदगी पलट दी।

Drigraj Madheshia मिंटMon, 26 May 2025 09:41 AM
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जोमैटो डिलीवरी एजेंट की कहानी: एक्सीडेंट ने छीनी ₹1.25 लाख की नौकरी, मगर हिम्मत नहीं

पुणे के एक शख्स श्रीपाल गांधी ने हाल ही में लिंक्डइन पर एक ऐसे जोमैटो डिलीवरी एजेंट की कहानी शेयर की, जिसकी जिंदगी का सफर संघर्ष और उम्मीद की मिसाल बन गया। श्रीपाल ने सबवे से ऑर्डर किया था, लेकिन कुछ आइटम मिस थे। उन्होंने डिलीवरी एजेंट से बात करते हुए 20 रुपये का एक्स्ट्रा चार्ज देकर मिसिंग चीजें लाने को कहा। मगर इस डिलीवरी पार्टनर ने न सिर्फ बिना पैसे लिए वो सामान लाकर दिया, बल्कि उसने एक सबक भी सिखा दिया।

एक्सीडेंट ने छीनी नौकरी, मगर हिम्मत नहीं

ये डिलीवरी एजेंट शारीरिक रूप से अक्षम है। उसके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त है। दुर्घटना से पहले वह शापुरजी पल्लोनजी ग्रुप में कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर था, जहां उसकी महीने की सैलरी 1.25 लाख रुपये थी। मगर एक कार एक्सीडेंट ने उसकी जिंदगी पलट दी। शरीर का आधा हिस्सा काम न करने की वजह से नौकरी चली गई। वह बताता है, "मैंने चलने की क्षमता खो दी, नौकरी गई, और कुछ समय तक तो उम्मीद भी टूट गई थी, लेकिन जोमैटो ने मुझे नया मौका दिया।"

जोमैटो बना सहारा

अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए उसने जोमैटो से जुड़कर डिलीवरी का काम शुरू किया। यहां उसे वो सम्मान और आत्मविश्वास मिला, जिससे उसने न सिर्फ अपनी बेटी को डेंटिस्ट्री की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाए, बल्कि खुद को "हैंडीकैप्ड" होने के बावजूद साबित किया। श्रीपाल से बातचीत में उसने कहा, "सर, जोमैटो ने मेरे परिवार को जीवित रखा। मैं शारीरिक रूप से अक्षम हो सकता हूं, लेकिन यह कंपनी मेरे लिए वरदान है। मैं कभी इनका नाम खराब नहीं होने दूंगा।"

गरीबी नहीं, गर्व से जीना सिखाया

श्रीपाल हैरान थे कि उस व्यक्ति ने न तो हालात पर शिकायत की, न बहाने बनाए। उसकी बातों में नकारात्मकता की जगह सकारात्मकता झलक रही थी। श्रीपाल ने लिखा, "उसने मेरा लंच ही नहीं पहुंचाया, बल्कि जीवन का एक अहम सबक दिया।" उन्होंने जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल को भी धन्यवाद दिया कि कंपनी का ये कदम विकलांगों को नया जीवन दे रहा है।

लोगों की प्रतिक्रिया

इस पोस्ट पर सैकड़ों यूजर्स ने डिलीवरी एजेंट की हिम्मत और जज्बे को सलाम किया। किसी ने लिखा, "ये कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किलें हमें रोक नहीं सकतीं," तो किसी ने जोमैटो की तारीफ करते हुए कहा, "ऐसी कंपनियां समाज बदल सकती हैं।" सच में, ये कहानी साबित करती है कि इंसान की जज्बा और मेहनत उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है।

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