ऑफिस की यारी काम पर न पड़े भारी, एक्सपर्ट से जानें दोस्ती और वर्क के बीच संतुलन के तरीके
- ऑफिस में अकसर ऐसे दोस्त बन जाते हैं, जिनके साथ समय बिताना, मौज-मस्ती और गपशप हमें खूब भाता है। लेकिन क्या हो अगर यह गपशप आपके काम पर भारी पड़ने लगे? ऑफिस की इस दोस्ती को बरकरार रखते हुए कैसे न हो काम प्रभावित, बता रही हैं स्वाति शर्मा
ऑफिस में काम करते-करते क्या आपकी कुर्सी भी खिसककर पीछे बैठी अपनी दोस्त की तरफ पहुंच ही जाती है? या फिर ऑफिस के काम से दोस्त के पास जाने के बाद अपनी ही बातें छिड़ जाती हैं और समय का पता ही न चलता है? इन दोनों ही सवालों के जवाब अगर हां है तो ऐसे में लाजिमी है कि उस दिन का आपका और आपकी दोस्त दोनों का काम पूरा नहीं होगा और अगले दिन तक टल जाएगा। धीरे-धीरे यह एक सिलसिला बन जाता है। एक कंपनी में ऑपरेशन हेड की भूमिका निभा रही वंशिका खंडेलिया कहती हैं कि ऑफिस में कौन क्या कर रहा है, इस पर सभी सीनियर्स की नजर होती है और बात यहां-वहां से पता चल ही जाती है। दिन के अंत में हर किसी को काम से मतलब है और उसमें ढिलाई कोई बर्दाश्त नहीं करता। अगर आप लगातार अपनी डेडलाइन का पालन नहीं करेंगी तो धीरे-धीरे आपको जरूरी जिम्मेदारियां देनी बंद कर दी जाएंगी। इसका असर आपके काम और करियर दोनों पर बुरा पड़ सकता है। ऑफिस में दोस्ती करना गलत नहीं है, इसके अपने फायदे भी हैं। लेकिन आपकी दोस्ती काम पर भारी नहीं पड़नी चाहिए, इसलिए आपको अपने ऑफिस वाले दोस्तों और काम के बीच संतुलन के तरीके अपनाने होंगे।
काम को प्राथमिकता दें
सबसे पहले तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि दफ्तर काम के लिए होता है और काम किए बिना आप वहां नहीं रह सकती हैं। इसलिए अपने काम को सबसे पहले रखें। यही बात अपनी दोस्त को भी समझाएं। सबसे पहले उन कामों को प्राथमिकता दें, जिनकी डेडलाइन पहले है। ऐसे में आप बिना दिमाग भटकाए, उन्हें करने में जुट सकती हैं। कोशिश करें कि अपनी डेडलाइन पूरी होने से पहले ब्रेक न लें। ऐसा करने से आप काफी हद तक काम खींच सकते हैं। हां जो काम देर से देने हैं, उनके लिए आप थोड़ी देर के रिफ्रेशमेंट के लिए अपनी जगह से हट सकती हैं।
दोस्ती के लिए जगह और समय तय हो
बेशक आपको किसी का साथ अच्छा लगता है और आप उनसे ढेर सारी बातें करना पसंद करती हों। लेकिन दफ्तर में अनुशासन का होना जरूरी है। इसलिए कोशिश करें कि एक- दूसरे के साथ दफ्तर के समय यह वक्त बहुत लंबा न खिंचे। अपने दोस्तों से मिलने की जगह और समय तय करें। बीच-बीच में उनके केबिन या डेस्क पर मिलने जाने से बचें। अगर काम की बात के लिए जाना है तो सिर्फ ऑफिस संबंधी बात ही करें। आप हर तीन से चार घंटों के अंतर में अपने निर्धारित स्थान पर मिल सकती हैं। यह स्थान कॉफी मशीन, रिसेप्शन जैसा कुछ भी हो सकता है। पर, ज्यादा समय बातचीत में न बिताएं।
अपनी भूमिका का सम्मान करें
ऑफिस में दोस्ती किसी से भी हो सकती है। लेकिन इस दोस्ती को अपनी भूमिका पर हावी नहीं होने देना चाहिए। संभव है कि आप अपनी दोस्त की सीनियर हों या आप ही टीम लीडर हों। ऐसे में आपको दोस्त से वैसे ही पेश आना होगा, जैसे आप अन्य लोगों से पेश आ रही हैं। यहां समान दृष्टि की जरूरत है। दोस्त को खास बनाने की कोशिश आपको ही नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं, अगर आप अपनी दोस्त से जूनियर हैं, तब भी अपनी मर्यादा का ख्याल रखें और काम में उनसे किसी तरह की तरफदारी की उम्मीद न रखें।
बातों को तौलें
बातें तो ढेर सारी होती हैं। लेकिन अगर आपके पास किसी व्यक्ति से संबंधित कोई बात आ रही है तो उसे तौलें न कि किसी पर अंधा भरोसा करें। भले ही आपको यह बात आपकी करीबी दोस्त से ही क्यों न पता चल रही हो। इसके साथ ही अपनी दोस्त से भी इस बारे में खुलकर बात करें। अगर वह बार-बार किसी व्यक्ति की चर्चा करती हो तो उसे टोकें और आगे से ऐसा न करने की सलाह दें। ऐसा करने से आप किसी व्यक्ति विशेष के प्रति अपना गलत नजरिया बनाने से बच जाएंगी और काम पर इसका बुरा प्रभाव नहीं पडे़गा।
बातों को संतुलित रखें
ऑफिस में भले ही आपकी दोस्ती गहरी हो, लेकिन कभी-कभी काम का तनाव या काम के प्रति अलग-अलग नजरिये के चलते आपसी मनमुटाव की आशंका भी बन सकती है। इसके अलावा निजी तरक्की और कई कारणों से भी कुछ अनचाही परिस्थितियां खड़ी हो सकती हैं। इसलिए दफ्तर वाली दोस्ती में शुरू से ही अपनी बातें संतुलित रखें और अपनी बहुत निजी बातें को साझा करने से बचें। साथ ही दफ्तर के किसी अन्य व्यक्ति के बारे में भी ज्यादा बात करने से बचना जरूरी है। यह आपकी सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। दोस्तों से आपका संतुलित व्यवहार और संतुलित बातचीत आपको बेहतर कामकाजी जीवन दे सकती है।a
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