अपना खर्च चलाने को टोपियां सिलता था औरंगजेब, जानें उस जमाने में होती थी कितनी कमाई
- औरंगजेब अपने निजी खर्च के लिए टोपियां बुना करता था। यह दिखाने की कोशिश करता था कि वह बहुत ही नम्र और धर्मपरायण शासक है। अपने बाद उसने कोई बड़ी संपत्ति नहीं छोड़ी थी।

इतिहास में औरंगजेब का नाम बेहद क्रूर शासकों में दर्ज है। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां और भाई दाराशिकोह के खिलाफ भी क्रूरता का घिनौना खेल खेला। इसके अलावा इतिहास उसे भारत में जबरन धर्मपरिवर्तन और आस्था पर चोट पहुंचाने का गुनहगार भी ठहराता है। हालांकि उसके जीवन का एक पहलू ऐसा भी है जिसे जानकर आपको बेहद हैरानी होगी। औरंगजेब अपनी निजी जिंदगी के लिए जरूरी खर्च शाही खजाने से नहीं लेता था बल्कि इसके लिए काम करता था। वह अपना खर्च चलाने के लिए टोपियां बुना करता था।
छावा फिल्म में भी आपने देखा होगा कि वह अपने तख्त पर बैठकर कुछ बुनता रहता था। कई इतिहासकारों ने लिखा है कि औरंगजेब टोपियां बुनता था। औरंगजेब ने खर्च को कम करने के लिए संगीत और उत्सवों पर पाबंदी लगा दी थी। यह भी कहा जाता है कि वह इस्लाम को कट्टरता के साथ मानता था इसलिए नाच-गाने और उत्सव में ज्यादा विश्वास नहीं रखता था। वह चाहता था कि अपना खर्च भी वह मेहनत करके निकाले।
इतिहास के मुताबिक वह नमाज की टोपियां यानी तकियाह बुना करता था। वह इन टोपियों को बेचकर पैसे का इस्तेमाल अपने निजी खर्च में करता था। ऐसा करके वह खुद को धार्मिक और डाउन टु अर्थ शासक भी साबित करना चाहता था। यह भी रहा जाता है कि अंतिम समय में वह अपनी कब्र के लिए पैसे जुटा रहा था। उसने यह भी कहा था कि उसको कोई आलीशान कब्र ना बनाई जाए बल्कि इसे साधारण ही रखा जाए।
उस जमाने में मुगल साम्राज्य में सोने और चांद के साथ तांबे के सिक्के चला करते थे। आम तौर पर चांदी के सिक्के से ही लेनदेन होता था। उस जमान के अनुसार टोपी की कीमत 14 रुपये के आसपास हुआ करती थी यानी 14 चांदी के सिक्कों के बदले टोपी मिलती थी। औरंगजेब की मौत के बाद मुगल साम्राज्य का भी लगभग पतन हो गया। उसने आगे के लिए कोई बड़ी संपत्ति भी नहीं छोड़ी। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में उसका छोटी सी कब्र है जिसे शिफ्ट करने को लेकर विवाद चल रहा है।और