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बिना देरी किए अवमानना की सहमति दें अटॉर्नी जनरल, निशिकांत दुबे पर कांग्रेस की मांग

  • कांग्रेस से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स पर पोस्ट किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई और सभी आदरणीय संस्थाएं वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के लिए चारा हैं। निशिकांत दुबे द्वारा यह सीधे तौर पर अपमानजनक टिप्पणी है।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSun, 20 April 2025 10:05 PM
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बिना देरी किए अवमानना की सहमति दें अटॉर्नी जनरल, निशिकांत दुबे पर कांग्रेस की मांग

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई पर दिए गए विवादित बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने अटॉर्नी जनरल से बिना देरी किए दुबे पर अवमानना की कार्यवाही चलाए जाने की अनुमति देने की मांग की है। बीजेपी सांसद ने एक दिन पहले वक्फ संशोधन कानून, राष्ट्रपति और राज्यपाल पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अदालत की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा पार कर रहा है और जितने भी गृह युद्ध हो रहे हैं, उसके जिम्मेदार खुद सीजेआई संजीव खन्ना हैं। दुबे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील ने अवमानना की कार्यवाही की मांग करते हुए अटॉर्नी जनरल को लेटर लिखा है।

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स पर पोस्ट किया, ''ऐसा प्रतीत होता है कि सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई और सभी आदरणीय संस्थाएं वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के लिए चारा हैं। दुबे द्वारा सीधे तौर पर अपमानजनक टिप्पणी। रोजाना ही उच्च नेताओं द्वारा नई मिसाइलें दागी जा रही हैं। क्या अब हम सुप्रीम कोर्ट की मिसाइलों के बारे में बात करना बंद कर देंगे? वास्तविकता यह है कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ मिसाइलें दागी जा रही हैं। दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया (मुझे चेहरा दिखाओ..हम कानून दिखाएंगे)। आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय। आशा है कि शांत अटॉर्नी जनरल बिना देरी के आपराधिक अवमानना ​​के लिए सहमति देंगे।

'खतरनाक रूप से भड़काऊ है बयान'

बता दें कि वक्फ अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता ने अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमण को पत्र लिखकर शीर्ष अदालत की 'गरिमा को घटाने' की मंशा से की गई 'बेहद निंदनीय' टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी है। एक दिन पहले ही दुबे ने शीर्ष अदालत को निशाना बनाते हुए कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद एवं विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा कि दुबे की टिप्पणी बेहद अपमानजनक और खतरनाक रूप से भड़काऊ है।

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'सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने वाला बयान'

तनवीर ने पत्र में कहा है, ''मैं यह पत्र न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) तथा उच्चतम न्यायालय अवमानना कार्यवाही विनियम नियमावली, 1975 के नियम 3(सी) के तहत झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से माननीय लोकसभा सदस्य श्री निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति विनम्रतापूर्वक मांगने के लिए लिख रहा हूं, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान दिए हैं जो बेहद निंदनीय, गुमराहपूर्ण हैं और उसका उद्देश्य भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय की गरिमा और अधिकार को कम करना है।'' दुबे की टिप्पणी केंद्र द्वारा न्यायालय को दिए गए इस आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को अगली सुनवाई तक लागू नहीं करेगा, क्योंकि न्यायालय ने उन पर सवाल उठाए थे।